चंदौली में रबी सीजन की बंपर तैयारी : 50% अनुदान पर मिल रहा गेहूं का बीज, इन जगहों पर उर्वरकों का पर्याप्त स्टॉक
रबी फसलों की बुवाई का सर्वोत्तम समय शुरू
चंदौली में राजकीय गोदामों सहित IFFCO और KRIBHCO से मिलेंगे बीज
50% सब्सिडी पर पाएं गेहूं, चना और सरसों का बीज
यूरिया, DAP और पोटाश की पर्याप्त उपलब्धता
किसानों को DAP की जगह SSP प्रयोग करने की सलाह
चंदौली जिले में रबी सीजन की बुवाई का सर्वोत्तम समय शुरू हो चुका है। किसान भाइयों को समय पर गुणवत्तापूर्ण बीज और उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए जिला कृषि विभाग ने अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं। जिला कृषि अधिकारी विनोद कुमार यादव ने बताया कि इस समय गेहूं, चना, मटर, मसूर, सरसों और अलसी जैसी प्रमुख रबी फसलों की बुवाई चल रही है, जिसके लिए बीज का आवंटन कर दिया गया है।
50% अनुदान पर बीज की उपलब्धता
चंदौली में किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान पर बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इसके लिए केन्द्रों को बीज का आवंटन कर दिया गया है।
राजकीय बीज गोदाम : राजकीय बीज गोदामों के लिए गेहूं का 8250 क्विंटल, चना 375 क्विंटल, मटर 99.40 क्विंटल, मसूर 129.00 क्विंटल और सरसों 15.00 क्विंटल का लक्ष्य आवंटित किया गया है। इसके सापेक्ष गोदामों पर गेहूं (1492 क्विंटल), चना (200 क्विंटल), मटर, मसूर और सरसों का बीज उपलब्ध करा दिया गया है।
अन्य केंद्रों से भी मदद : राजकीय गोदामों के अलावा, IFFCO (नवीन मंडी) से 350 क्विंटल, KRIBHCO सेंटर (चकिया) से 500 क्विंटल और NSC सेंटर से 1000 क्विंटल गेहूं का बीज भी 50% अनुदान पर किसानों को मिलेगा।
जिला कृषि अधिकारी ने सभी किसान भाइयों से अपील की है कि वे अपने नजदीकी राजकीय बीज गोदामों से समय पर अनुदानित बीज प्राप्त करें, ताकि अधिकतम उत्पादन प्राप्त हो सके।
उर्वरक का पर्याप्त भंडार
उर्वरकों की उपलब्धता को लेकर कृषि अधिकारी ने आश्वस्त किया कि जिले में अक्टूबर के लक्ष्य के सापेक्ष उर्वरक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। वर्तमान में यूरिया (12521 मैट्रिक टन), डीएपी (8957 मैट्रिक टन), एनपीके (4436 मैट्रिक टन), एसएसपी (6677 मैट्रिक टन) और पोटाश (510 मैट्रिक टन) का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है। किसान भाई अपनी खतौनी के अनुसार सरकारी और निजी क्षेत्रों से निर्धारित दर पर आवश्यकतानुसार उर्वरक प्राप्त कर सकते हैं।
तिलहनी और दलहनी फसलों के लिए विशेष सलाह
कृषि अधिकारी ने किसानों को एक महत्वपूर्ण सलाह दी है। उन्होंने आग्रह किया है कि तिलहनी (सरसों, अलसी) और दलहनी (चना, मटर, मसूर) फसलों में डीएपी (DAP) का प्रयोग न करके एनपीकेएस (NPKS) या एसएसपी (SSP) का प्रयोग करें। एसएसपी और एनपीकेएस में सल्फर और कैल्शियम पाया जाता है। सल्फर के प्रयोग से तिलहनी फसलों में तेल की मात्रा में वृद्धि होती है, जबकि कैल्शियम से मृदा संरचना में सुधार होता है, जिससे फसल का कुल उत्पादन बढ़ जाता है।
शिकायत होने पर तुरंत करें सूचित
उन्होंने सख्त चेतावनी दी कि यदि कोई भी खुदरा विक्रेता उर्वरक के साथ किसानों की सहमति के बिना अन्य उत्पाद देता है, तो वे तत्काल कृषि विभाग को सूचित करें, ताकि नियमानुसार सख्त कार्रवाई की जा सके।
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