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केवल आचार संहिता नहीं इस बात का भी था डर, इसीलिए हो गया पुल का उद्घाटन

 मुख्यालय के रेलवे ओवर ब्रिज को इस तरह महिमामंडित करके चंदौली जिले के राजनेताओं ने उसका शुभारंभ किया, जिस तरह से चंदौली जिले की यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि हो।
 

केवल आचार संहिता नहीं इस बात का भी था डर

इसीलिए हो गया पुल का उद्घाटन

विधायकों को इस बात की है आशंका

तभी तो आनन-फानन में 3 विधायकों ने काट दिया पुल का फीता

चंदौली जिले के मुख्यालय के रेलवे ओवर ब्रिज को इस तरह महिमामंडित करके चंदौली जिले के राजनेताओं ने उसका शुभारंभ किया, जिस तरह से चंदौली जिले की यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि हो। लेकिन रेलवे ओवर ब्रिज उद्घाटन के बाद भी अभी तक आम जनता के लिए चालू नहीं हो पाया है। रेलवे ओवर ब्रिज का शुभारंभ भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की  जल्दबाजी और ओवर ब्रिज बनाने के नियमों और मानक के बीच चली आ रही तकरार का नतीजा है। भाजपा नेता चुनाव के पहले इस उपलब्धि को हर हालत में भुनाना चाहते थे, लेकिन डॉ. महेन्द्र नाथ पांडेय के बीमार पड़ जाने व रेलवे ओवर ब्रिज को पैदल जनता के लिए भी अब तक न खोले जाने के बाद भाजपा के नेताओं की किरकिरी हो रही है। वहीं आला अफसर भी पर्दे के पीछे तरह तरह की बातें कह रहे हैं।

भाजपा के नेता इसे ऐतिहासिक उपलब्धि बताते हुए राजनीतिक लाभ लेने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं तो वहीं इस पुल पर जाने से रोके जाने पर लोग भाजपा सरकार व नेताओं के बारे में उल्टे-सीधे कमेंट भी कर रहे हैं। 

चुनावी आचार संहिता का डर

कहा जा रहा है कि चुनावी आचार संहिता के डर के कारण भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने चुनावी लाभ लेने के लिए भारी भरकम कार्यक्रम आयोजित करके रेलवे ओवरब्रिज का शुभारंभ तो करा दिया है, लेकिन आज भी लोग इससे आवागमन शुरू नहीं कर पाए हैं। अब जिला मुख्यालय पर इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि जब आवागमन शुरू ही नहीं होना था तो शुरुआत किस बात की गई है। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की इस तरह की हरकत से चुनावी लाभ मिलने की कौन कहे एक गलत संदेश जा रहा है। 

टिकट कटने व चुनाव हारने का भय

जिला मुख्यालय पर इस बात की चर्चा शुरू हो गयी है कि अगर जल्दीबाजी करते हुए इसका फीता नहीं काटा गया होता तो इस रेलवे ओवरब्रिज पर कई नेतागण अपने नाम का पत्थर लगवाने में असमर्थ हो जाते..क्योंकि चुनाव के दौरान व उसके बाद क्या होगा.. यह उनको भी पता नहीं है। इसी आशंका के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी के नेता जल्दबाजी में रेलवे पुल का शुभारंभ कराने की जी-जान से कोशिश करते रहे और निर्माण एजेंसी पर दबाव बनाकर इसका उद्धाटन तो करा लिया लेकिन इसका लाभ अभी तक जनता को नहीं मिलने की उम्मीद है।

कहा जा रहा है जिले में कई नेताओं को टिकट कटने का खतरा सता रहा है तो कई नेताओं को हार का। ऐसे में सभी को इस बात की उम्मीद है कि रेलवे ओवर ब्रिज के चालू होने से उनको राजनीतिक लाभ मिलेगा। साथ ही रेलवे ओवर ब्रिज को चालू कराने की उपलब्धि उनके खाते में ही रहे। इसीलिए इसका केवल कागजी उद्धाटन व शुभारंभ कराया गया है। 

पुलिस से किचकिच व कहासुनी

 पुल के शुभारंभ के बाद समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व विधायक मनोज कुमार सिंह डब्लू अपनी गाड़ी और लोगों को लेकर इस पुल पर जाने की जिद पर अड़ गए तो मंगलवार को उन्हें रेलवे ओवर ब्रिज पर जाने के पहले पुलिस से कहासुनी करनी पड़ी।  जब पुलिस के सिपाहियों ने उन्हें पुल पर जाने से रोक दिया तो काफी देर तक वहां हंगामा चला और कहा गया कि पुल अभी पूरी तरह से तैयार नहीं है। इसलिए यह यातायात के लिए नहीं खोला जा सकता है। मनोज कुमार सिंह डब्लू बार-बार यही सवाल पूछते रहे जब यह तैयार नहीं था तो इसका शुभारंभ क्यों कर दिया गया।

Chandauli Railway Over bridge

कम से कम अटलजी के नाम पर छोड़ देते

चंदौली समाचार से बात करते हुए मनोज सिंह डब्लू ने कहा कि भाजपा के लोग ऐसा काम करके अटलजी की गरिमा पर दाग लगा रहे हैं। पुल का नामकरण अगर भारत रत्न पंडित अटल बिहारी बाजपेयी के नाम पर करवा रहे हैं तो कोई ऐसी हरकत नहीं करनी चाहिए थी जिससे कि उनकी गरिमा को ठेस पहुंचे, लेकिन हर काम में राजनीतिक व चुनावी लाभ लेने की भाजपायी नेताओं की आदत का यह एक नमूना है। वह अपने लाभ के लिए कुछ भी कर सकते हैं।

 वहीं भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का कहना था कि चुनावी आचार संहिता के चक्कर में रेलवे ओवर ब्रिज उद्घाटन के बिना उद्धाटन के शुरू न हो जाए। इसी के चक्कर में इसका उद्घाटन करना पड़ गया है। नेताओं का कहना था कि रेलवे ओवर ब्रिज तैयार होने के बाद जनता अपने आप इस पर आने जाने लगती। जब जनता इस पर आने जाने लगती तो उसके बाद इसके उद्धाटन का कोई औचित्य नहीं होता। 

आपको बता दें कि यह रेलवे ओवर ब्रिज 26 जनवरी के पहले पूरी तरह से खोलना संभव नहीं है। हो सकता है उसके पहले यह पैदल और दुपहिया वाहनों के साथ-साथ हल्के वाहनों के लिए खोला दिया जाए।

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