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चंद्रकांता किला को भी सजाइए और संवारिये DFO साहब, यहां भी है पर्यटन की संभावनाएं

राजकुमार वीरेंद्र विक्रम सिंह और विजयगढ़ की राजकुमारी चंद्रकांता के वे इंतेहा प्रेम की निशानी आज भी  लोगों के आकर्षण का केंद्र है। रहस्यों का ऐसा तिलिस्म जो समाप्त होने का नाम नहीं लेता।
 

पर्यटन स्थल बनाने से बढ़ेंगे रोजगार के अवसर

नौगढ़ के स्थानीय लोगों को मिलेगा लाभ

ऐतिहासिक विरासत को संजाने व संवारने की जरूरत

चंदौली जिले के जिला मुख्यालय से 75 किलोमीटर की दूरी पर नौगढ़ बांध का झरना व तहसील मुख्यालय से दो किलोमीटर की दूरी पर चंद्रकांता का किला और नौगढ़ के जंगल हमेशा से आकर्षण का केंद्र रहे हैं। हालांकि आम जनमानस के लिए किले को नहीं खोला जाता है, बाहर से ही इसका नजारा मिलता है। अगर इसे पर्यटन स्थल बना दिया जाए तो पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और पर्यटकों की संख्या भी बढ़ेगी। इससे क्षेत्र में रोजगार भी बढ़ेगा।

हिंदी के प्रसिद्ध उपन्यासकार बाबू देवकीनंदन खत्री के प्रसिद्ध उपन्यास चंद्रकांता के पाठकों के मन में इस रहस्यमयी किले के बारे में विस्तार से जानने के जिज्ञासा हिलोरे मारते रहती है। नौगढ़ का चंद्रकांता किला अब वन विश्राम गेस्ट हाउस के रूप में तब्दील हो गया है, लेकिन हमेशा से ही पर्यटकों को लुभाता रहा है। राजकुमार वीरेंद्र विक्रम सिंह और विजयगढ़ की राजकुमारी चंद्रकांता के वे इंतेहा प्रेम की निशानी आज भी  लोगों के आकर्षण का केंद्र है। रहस्यों का ऐसा तिलिस्म जो समाप्त होने का नाम नहीं लेता। कहते हैं कि किले तक पहुंचने का गुप्त रास्ता था, जो अंदर ही अंदर विजयगढ़ और चुनारगढ़ तक पहुंचता है।

बताते हैं कि नौगढ़ के सैनिक इसी रास्ते विजयगढ़ और चुनारगढ़ के गुप्त रहस्य को जानने के लिए जाते थे। प्राचीन धरोहर के नाम पर किले का ऊपरी हिस्सा आज भी मौजूद है, जहां से महाराज शिकार खेलने और बरामदे में बैठकर प्रकृति का आनंद लेते थे। यहां पुराने आम, बरगद और पीपल के वृक्ष आज भी मौजूद हैं। कर्मनाशा नदी के किनारे खड़ा यह किला आज भी कौतूहल का विषय है ।

दिखता है मनोरम दृश्य

चंद्रकांता किले से कर्मनाशा नदी और आसपास के क्षेत्र का अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है। नौगढ़ किले के आसपास कुछ अवशेष भी पाए गए थे। यह अवशेष लगभग 3000 वर्ष पुराने बताए गए हैं। अगर इसे पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाए तो यहां पर सैलानियों की संख्या अधिक हो जाएगी।

कैसे पहुंचे चंद्रकांता किला नौगढ़

चंद्रकांता किला पहुंचने के लिए पीडीडीयू नगर जंक्शन से रोडवेज या प्राइवेट साधन से चकिया होते हुए नौगढ़ तहसील तक पहुंचना है जिसकी दूरी कुल 70 किलोमीटर है। इसी बीच में राजदरी देवदरी औरवाटाड़ जलप्रपात व छान पाथर जलप्रपात भी है। सोनभद्र रेलवे स्टेशन से प्राइवेट साधन या टैक्सी जीप और बस से नौगढ़ चंद्रकांता किला पहुंचते हैं सोनभद्र से दूरी मात्र 40 किलोमीटर है।

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