चंद्रप्रभा बांध में पानी की स्थिति शून्य होने का संकट, सिंचाई को 15 दिन का पानी शेष
बारिश नहीं होने से पिछड़ रही खेती प्रभावित होगी उपज
जुलाई माह बीतने को है लेकिन अभी तक नहीं हुई पर्याप्त बारिश
मात्र 40 से 50 प्रतिशत ही हो पाई है धान की रोपाई
चंदौली जनपद में मानसून की बेरूखी ने अन्नदाताओं को परेशान कर दिया है। बारिश नहीं होने से धान की रोपाई तो प्रभावित हो ही रही आने वाले दिनों में सूख रही फसल को बचाने के लिए भी किसानों को सिंचाई के पानी के लिए संकट का सामना करना पड़ेगा। बांधों का जलस्तर नीचे जाने से कर्मनाशा सिस्टम में जहां मात्र 15 दिन का पानी शेष रह गया है, वहीं चंद्रप्रभा बांध में पानी की स्थिति शून्य होने के कगार पर है।
आपको बता दें कि जुलाई माह बीतने को है, लेकिन अभी तक पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण धान की खेती पिछड़ रही है। अभी तक मात्र 40 से 50 प्रतिशत के बीच ही धान की रोपाई हो पाई है। आने वाले एक सप्ताह के अंदर तेज बारिश नहीं हुई तो खेती तो प्रभावित होगी ही, उपज पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा। रोपी गई धान की फसल को सूखता देख अन्नदाताओं की पीड़ा बढ़ गई है। खरीफ के चालू सीजन में कृषि विभाग की ओर से 1.15 लाख हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
बताते चलें कि जून माह के द्वितीय पखवारे में नर्सरी तैयार होते ही किसानों ने धान की रोपाई का कार्य आरंभ कर दिया। किसानों में उम्मीद बंधी थी कि मानसून ने साथ दिया तो फसल का तेजी से विकास होगा, लेकिन जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में ही जनपद में मानसून की सक्रियता कमजोर पड़ गई।
पर्याप्त बारिश नहीं होने और तेज धूप के कारण रोपी गई धान की फसल सूख रही है। वहीं पानी के अभाव में खेतों में दरार पड़ गई है। बारिश नहीं होने से धान की रोपाई का कार्य भी बाधित हो गया है। हालांकि सिंचाई विभाग की ओर से नहरों में पानी छोड़ा जा रहा, लेकिन बारिश नहीं होने से बांधों के जल स्तर में निरंतर कमी आने से सिंचाई के लिए पानी का संकट गहरा गया है। सिंचाई विभाग के अनुसार कर्मनाशा सिस्टम यानि मूसाखांड़ बांध में अब मात्र 15 दिन के सिंचाई के लिए पानी शेष रह गया है। ऐसे में आने वाले दिनों में नहरों का संचालन हो पाना भी मुश्किल हो जाएगा।
इस संबंध में सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता सर्वेश चंद्र सिन्हा ने बताया कि चंद्रप्रभा बांध में सिंचाई के लिए पानी स्थिति अब शून्य होने वाली है। वहीं कर्मनाशा सिस्टम में मात्र 15 दिन का पानी और शेष है।
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