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चंदौली में काले चावल को मिला कलेक्टिव मार्क, विश्व पटल पर चमक रहा जिले का नाम

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show चंदौली जिले को धान का कटोरा कहा जाता है। यहां की भूमि और सिंचाई व्यवस्था के चलते यहां हमेशा से धान की अच्छी और बेहतर पैदावार होती रही है । जिले में धान की खेती करने वाले किसानों की उत्सुकता को देखते हुए 2018 में तत्कालीन जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल ने मणिपुर से ब्लैक राइस
 
चंदौली में काले चावल को मिला कलेक्टिव मार्क, विश्व पटल पर चमक रहा जिले का नाम

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चंदौली जिले को धान का कटोरा कहा जाता है। यहां की भूमि और सिंचाई व्यवस्था के चलते यहां हमेशा से धान की अच्छी और बेहतर पैदावार होती रही है । जिले में धान की खेती करने वाले किसानों की उत्सुकता को देखते हुए 2018 में तत्कालीन जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल ने मणिपुर से ब्लैक राइस का सैंपल मंगाया और पहली बार 30 किसानों ने इसकी खेती की।

2019 में हजार से ज्यादा किसानों ने इसकी खेती की। परिणाम बेहतर मिला और किसानों की आय बढ़ाने के लिए शुरू किए गए इस प्रयोग का फायदा जिले के किसानों को मिला। अच्छी ब्रांडिंग की वजह से किसानों को काला चावल का न सिर्फ अच्छा दाम मिला, बल्कि पूरे देश में पहचान भी हुई। जिससे किसानों को अधिकतम आय होने लगी। तबसे लगातार हर वर्ष इसकी पैदावार हो रही है।

आप को बता दें कि अब विश्व पटल पर भी ब्लैक राइस की वजह से चंदौली का नाम लिया जा रहा है। जिले के काले चावल की मांग आस्ट्रेलिया सहित विश्व के कई देशों में हुई है। इससे लगातार किसान इसकी खेती के लिए लालायित हो रहे हैं।

बताया जाता है कि चंदौली प्रशासन की पहल पर काले चावल को कलेक्टिव मार्क यानी विशेष उत्पाद की मान्यता मिली है। चंदौली कृषि उत्पाद में यह मार्क दिलाने वाला प्रदेश का इकलौता जिला है।

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