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पहले भी हो चुकी है सिलिंडर ब्लॉस्ट की घटनाएं, देखिए इस हादसे से क्या लिया जाता है सबक

वैसे तो ऑक्सीजन को जीवनदायिनी गैस कहा जाता है, लेकिन सिलिंडर में भरी ऑक्सीजन थोड़ी लापरवाही जानलेवा भी साबित हो सकती है।
 

चंदौली जिले में वैसे अगर देखा जाय तो जिले में पहले भी सिलिंडर फटने की घटनाएं हो चुकी हैं। 23 सितंबर 2020 को मुगलसराय कोतवाली क्षेत्र के चंदासी स्थित इंडियन एयर गैस लिमिटेड फैक्ट्री में सिलिंडर में एसिटिलीन गैस भरने के दौरान विस्फोट हो गया था। उस घटना में आपरेटर समेत तीन लोग घायल हो गए थे। उस दौरान फैक्ट्री में कैल्शियम कार्बाइड से एसिटिलीन गैस बनाकर सिलिंडर में भरने का काम किया जा रहा था। 

इसके साथ साथ वहीं 22 अगस्त 2021 को रामनगर थाना क्षेत्र के सूजाबाद स्थित पोलाव शहीद बाबा की मजार के पास मेले में गुब्बारे में हवा भरने वाला सिलिंडर में ब्लॉस्ट हो गया था। उस दौरान एक महिला सहित दो लोगों की मौत हो गई थी वहीं चार लोग घायल हो गए थे।

वैसे तो ऑक्सीजन को जीवनदायिनी गैस कहा जाता है, लेकिन सिलिंडर में भरी ऑक्सीजन थोड़ी लापरवाही जानलेवा भी साबित हो सकती है।शुक्रवार को रविनगर में हुई घटना ने इसे साबित कर दिया है। मुख्य अग्निशमन अधिकारी रमाशंकर तिवारी ने बताया कि सिलिंडर के नाब के टूटने से ही यह हादसा हुआ है। इसकी जांच कर कार्रवाई होनी चाहिए।

मुख्य अग्निशमन अधिकारी ने कहा कि सिलिंडर में ऑक्सीजन बेहद तेज प्रेशर से भरी जाती है। ऐसे में लीकेज होने पर उसी प्रेशर से वह बाहर भी निकलती है। सिलेंडर में 2000 पीएसआई (पाउंड स्क्वायर इंच) की स्पीड से गैस भरी जाती है। लीकेज होने पर इतनी ही स्पीड से गैस बाहर भी निकलती है। लीकेज होने पर सिलेंडर भी उसी तरह रफ्तार से पीछे भागेगा, जिस तरह गुब्बारे से हवा निकलने पर वह पीछे भागता है। यह बेहद खतरनाक है। घर या प्लांट में आक्सीजन सिलिंडर में विस्फोट होने पर इमारत के ढहने का भी खतरा रहता है। ऐसे में इसका इस्तेमाल काफी सावधानी से करना चाहिए। 

मुख्य अग्निशमन अधिकारी ने कहा कि ऑक्सीजन खत्म होने पर इसे बार-बार भरवाने के लिए रिफिल करना जरूरी होता है। यही वजह है कि इसमें रिसाव की संभावना होती है और किसी अनहोनी के चलते इसमें आग भी लग सकती है। इसके अलावा आक्सीजन सिलिंडर को हमेशा सीधे रखना चाहिए और उसमें क्लंप लगा हो । इसके साथ ही पांच साल में सिलिंडर की हाइड्रो टेस्टिंग भी जरूरी होती है।
 

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