जन्म जयंती पर नहीं याद आये भाजपा के प्रणेता, स्मारक पर नहीं गए सांसद-विधायक
वाराणसी व चंदौली के लगभग दर्जन भर नेता
जनप्रतिनिधियों को नहीं याद आई उनकी आदमक प्रतिमा
स्मृति उपवन में पुष्प अर्पित करने की नहीं मिली फुर्सत
केवल सोशल मीडिया से निभायी औपचारिकता
वाराणसी व चंदौली सीमा पर स्थित पड़ाव के पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति उपवन व उनकी 63 फीट ऊंची आदमकद प्रतिमा का बीते 16 फरवरी 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां आकर लोकार्पण किया था। लोकार्पण के वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में इसे भारतीय जनता पार्टी का तीर्थ बताया था और कहा था कि यह स्थल पार्टी कार्यकर्ताओं को राष्ट्र के लिए समर्पण व उनके कर्तव्यों के प्रति सदैव याद दिलाते रहेगा।उसके बाद से यहां प्रति वर्ष उनके अवतरण दिवस को जन्म जयंती के रूप में मनाया जाने लगा। 2020 के बाद से उनकी जन्म जयंती पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाने लगा था। एकात्मवाद के प्रणेता की 108 वीं जयंती पर दोनों जिलों के दर्जन भर जन प्रतिनिधियों को इस बार उनकी आदमकद प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने की फुर्सत नहीं मिल पाई। जिसकी लोगों के बीच अब चर्चा हो रही है। यह भी चर्चा है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ महेंद्र नाथ पांडेय के चंदौली से लोकसभा चुनाव हारने के बाद उनकी जनपद में सक्रियता कम होने के कारण सभी जन प्रतिनिधि भी निष्क्रिय हो गए हैं।
आपको बता दें कि वाराणसी के बार्डर पर चंदौली जनपद के पड़ाव स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति उपवन है। उपवन में विशालकाय उनकी प्रतिमा पर 25 सितंबर को उनकी जयंती के मौके पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए वाराणसी एवं चंदौली जनपद के लगभग दर्जनभर जन प्रतिनिधियों में से कोई भी चर्चित चेहरा नजर नहीं आया। जबकि वाराणसी से जहां प्रदेश सरकार में एक कैबिनेट मंत्री हैं दो राज्यमंत्री हैं और जनपद के अन्य विधायक एवं भाजपा जिलाध्यक्ष हैं, वहीं चंदौली जनपद से दो-दो राज्यसभा सांसद, तीन विधायक, एमएलसी, जिला अध्यक्ष सहित अन्य जन प्रतिनिधि भी पार्टी के तीर्थ कहे जाने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति उपवन में जाना भूल गए।
भाजपा के जनप्रतिनिधि व नेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय के आदर्शों पर चलने की बात करते हैं और उनको भाजपा के प्रणेता बताते हैं, लेकिन बीते 25 सितंबर को उनकी जयंती के मौके पर आदमकद प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए नहीं पहुंचना लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है।लोग कहने लगे हैं कि उनके सिध्दांतों पर चलने की दुहाई देने की बात सिर्फ राजनैतिक मंचों पर ही होती है, जबकि उनके आदर्शों से भाजपा नेताओं का कोई सरोकार नहीं है।
लोगों के बीच जोरों पर यह भी अब चर्चा हो रही है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय के लोकसभा चुनाव हारने के बाद उनके शिथिल होने से दोनों जनपद के जन प्रतिनिधि व पदाधिकारी शिथिल हो गए हैं।जब तक वह सांसद व मंत्री रहे तो पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए पहुंचते रहते थे। उनके पहुंचने से दोनों जिलों के जनप्रतिनिधि और पार्टी के पदाधिकारी भी उनके साथ पंडित दीनदयाल उपाध्याय को याद करने के लिए आ जाते थे।
अब तो नेता लोग अपनी सोशल मीडिया की टीम को काम सौंप पर बेफिक्र हो गए हैं। टीम के लोग तस्वीरें पोस्ट कर दे रहे हैं और बाकी समर्थक लाइक कमेंट करके महापुरुषों को याद कर ले रहे हैं। जब बड़े नेता जाते तो छोटे नेता भी शकल दिखाने के नाम पर पहुंच जाते थे। जब बड़े नहीं गए तो छोटे भी समय निकाल नहीं पाए।
मालूम हो कि 11 फरवरी 1968 ई में पंडित दीनदयाल उपाध्याय का पार्थिव शरीर तत्कालीन मुगलसराय के यार्ड में मिला था। इसी को यादगार बनाने के लिए प्रधानमंत्री ने इस स्थल पर उनकी प्रतिमा व स्मृति उपवन का लोकार्पण किया था।जहां पार्टी के साथ ही आम जन मानस को पंडित दीन दयाल उपाध्याय के आदर्शों व सिद्धांतों से प्रेरणा मिलती रहे।
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