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आज धानापुर शहीद स्मारक पर जुटेंगे नेता व देशभक्त, देंगे शहीदों को श्रद्धांजलि

 चंदौली जनपद का धानापुर थाना का महाइच क्षेत्र 16 अगस्त 1942 को ही यहां के रणबाकुरों ने अपना बलिदान देकर थाने पर तिरंगा फहराते हुए 10 दिन के लिए आजाद कर दिया था
 

अंग्रेजी हुकूमत के दिनों की होगी यादें ताजा

1942 में ही धानापुर हो गया था आजाद

जानिए कितनी बड़ी कुर्बानी के बाद

पहली बार मिली थी 10 दिनों की आजादी

 

 चंदौली जनपद का धानापुर थाना का महाइच क्षेत्र 16 अगस्त 1942 को ही यहां के रणबाकुरों ने अपना बलिदान देकर थाने पर तिरंगा फहराते हुए 10 दिन के लिए आजाद कर दिया था, जिसकी गूंज इंग्लैंड के संसद तक पहुंच गई थी।


 आपको बता दें कि निवर्तमान समय में वाराणसी जिले का महाईच क्षेत्र के भारत मां के मतवालों ने गांधी जी द्वारा 9 अगस्त 1942 को करो या मरो के उद्घोषणा के बाद कामता प्रसाद विद्यार्थी के नेतृत्व में गांव-गांव टोलियां बनाकर फिरंगियों को भगाने में जुट गई थी। 16 अगस्त 1942 को क्षेत्र के लगभग पांच हजार युवा कामता प्रसाद विद्यार्थी के नेतृत्व में धानापुर थाने पर पहुंच गए और वहां के थाना अध्यक्ष अनवारुल हक से तिरंगा फहराने के लिए शांति प्रिय तरीके से अपील किया। 

अंग्रेजों के पिट्ठू के रूप में थानाध्यक्ष गुरुर में फायरिंग कर दिया। उसके बाद आक्रोशित भारत माता के मतवालों ने थाने का गेट तोड़ते हुए अंदर घुस गए और थानाध्यक्ष अनवर उल हक सहित दो पुलिस कर्मियों को मौत के घाट उतरते हुए आग के हवाले कर दिया। 


इस गोलीबारी में कुल 8 लोग घायल हुए थे, जिसमें हीरा सिंह, रघुनाथ सिंह और महंगू सिंह तीन लोग शहीद भी हो गए।  धानापुर थाने पर पुलिसकर्मियों की हत्या करने के बाद बाकी पुलिसकर्मी भाग गए और वहां तिरंगा फहरा दिया गया। यह तिरंगा 16 अगस्त 1942 से लेकर 26 अगस्त तक फहराता रहा और महाइच क्षेत्र 10 दिनों के लिए अंग्रेजी हुकूमत में भी आजाद हो गया था।


धानापुर कांड की गूंज इंग्लैंड के संसद तक पहुंच गई। 10 दिनों के बाद भारी दलबल के साथ अंग्रेज पुनः धानापुर थाने पर कब्जा करने के लिए आए और फिर अंग्रेजी हुकूमत कायम हो गई। लेकिन भारत मां की आजादी के लिए सर पर कफ़न बांधे हुए युवा भूमिगत होकर लगातार अंग्रेजों को निशाना बनाते रहे, जिसका परिणाम रहा कि कई लोगों को जान भी गंवानी पड़ी। धानापुर में थाना फूंक कर झंडा फहराने का कार्यक्रम 16 अगस्त को हुआ, वही 28 अगस्त को सैयदराजा में भी इसी तरह की घटना हुई थी। सकलडीहा रेलवे स्टेशन तथा धीना में रेलवे लाइन को उखाड़ने का कार्य भी वीर सपूतों द्वारा किया गया, ताकि रेलवे की आवाजाही बंद हो जाए। 


इसीलिए आजादी के बाद प्रतिवर्ष धानापुर के शहीद स्मारक पर 16 अगस्त को वीर सपूतों को याद करने के लिए सभी पार्टियों के राजनेता जुट कर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।

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