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रेवसा गांव में किसानों की आवाज़ बुलंद, 20 दिन भी जारी है धरना

धरना स्थल पर भाकपा (माले) सहित कई जन संगठनों और छात्र संघ प्रतिनिधियों ने समर्थन जताया है। बुधवार को आयोजित प्रतिवाद सभा में स्थानीय नेताओं ने प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाज़ी की।
 

धीरे-धीरे जनआंदोलन बनता जा रहा है धरना

गांव वालों की जायज मांग नहीं सुन रहे उपजिलाधिकारी

जल्द समाधान नहीं निकाला तो होगा DM कार्यालय का घेराव 

चंदौली जिले में  भारतमाला परियोजना के तहत ज़मीन अधिग्रहण के विरोध में चंदौली जिले के पीडीडीयू नगर तहसील अंतर्गत रेवसा गांव में चल रहा अनिश्चितकालीन धरना अब जनआंदोलन का रूप ले चुका है। 20वें दिन भी ग्रामीणों का संघर्ष जारी है, जिसमें महिलाओं, बुज़ुर्गों और युवाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है। ऐसा कहा जा रहा है कि धरना देने वाले लोग दिन रात धरनास्थल पर डंटे हुए हैं और अपनी मांगों को पूरा करने की आवाज लगा रहे हैं। 

 क्या है मामला
 ग्रामीणों का आरोप है कि उन्हें बिना उचित मुआवज़ा और सहमति के ज़मीन से बेदखल किया जा रहा है। उनका कहना है कि प्रशासन ने न तो पारदर्शिता बरती और न ही किसानों की बात सुनी। इस अन्याय के खिलाफ उन्होंने शांतिपूर्ण धरना शुरू किया, जो अब 19वें दिन में प्रवेश कर चुका है।

 धरने को मिल रहा व्यापक समर्थन 
धरना स्थल पर भाकपा (माले) सहित कई जन संगठनों और छात्र संघ प्रतिनिधियों ने समर्थन जताया है। बुधवार को आयोजित प्रतिवाद सभा में स्थानीय नेताओं ने प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाज़ी की। वक्ताओं ने कहा कि यह सिर्फ ज़मीन का नहीं, बल्कि सम्मान और अधिकार का सवाल है।

 प्रशासन पर गंभीर आरोप धरने में शामिल लोगों ने आरोप लगाया कि उपजिलाधिकारी (एसडीएम) द्वारा आंदोलनकारियों को धमकाया जा रहा है। भाकपा (माले) ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने जल्द समाधान नहीं निकाला, तो वे डीएम कार्यालय का घेराव करेंगे।

 डीएम की चुप्पी पर उठ रहे सवाल 
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि ज़िले के जिलाधिकारी इस गंभीर स्थिति पर कब संज्ञान लेंगे? क्या प्रशासन किसानों की जायज मांगों को सुनेगा या दबाव की नीति ही अपनाई जाएगी? ग्रामीणों की उम्मीदें अब डीएम की पहल पर टिकी हैं।

जनता की आवाज़ बनता जा रहा है आंदोलन
 रेवसा गांव का यह धरना अब सिर्फ एक गांव की लड़ाई नहीं रह गई, बल्कि यह किसानों के अधिकारों की रक्षा का प्रतीक बनता जा रहा है। यदि प्रशासन ने समय रहते संवाद और समाधान की पहल नहीं की, तो यह आंदोलन और व्यापक रूप ले सकता है।

नज़रें अब प्रशासन की अगली कार्रवाई पर
 जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं, ग्रामीणों का धैर्य जवाब दे रहा है। ज़रूरत है कि प्रशासन संवेदनशीलता दिखाए और न्यायपूर्ण समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाए। क्या रेवसा की आवाज़ शासन तक पहुंचेगी..यह तो आने वाला समय बताएगा।

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