मुख्यमंत्री का आदेश हवा हवाई, चंदौली कलेक्ट्रेट में अधिकारी रहते हैं गायब, पीड़ित होते हैं परेशान
चंदौली में समय से कार्यालय में नहीं बैठते अफसर
जब डीएम-एडीएम रहते हैं गायब तो क्या करें लोग
मुख्यमंत्री कार्यालय से भी अब नहीं होती चेकिंग
चंदौली जनपद के कलेक्ट्रेट में बैठने वाले अफसर मनमाने हैं। यहां पर जिलाधिकारी सहित कई अधिकारी खुद समय पर नहीं आते, क्योंकि इनको अब मुख्यमंत्री कार्यालय से आने वाले फोन का डर नहीं रहता है। पहले मुख्यमंत्री के कार्यालय से फोन करके समय से कार्यालय में बैठने वाले अफसरों की चेकिंग की जाती थी और लेटलतीफ अफसरों की क्लास भी लगती थी, लेकिन योगी सरकार में ये अफसर मनमाने हो गए हैं।
चंदौली जनपद के कलेक्ट्रेट कार्यालय में अधिकारियों के समय से नहीं आने पर पीड़ितों में गुरुवार को आक्रोश देखने को मिला। पीड़ित 9:30 बजे से ही जिलाधिकारी व अपर जिला अधिकारी का इंतजार करते रहे और 11:30 बजे तक कोई भी अधिकारी कलेक्ट्रेट नहीं पहुंचा जिससे पीड़ित परेशान रहे। आपको बता दें कि चंदौली जिला मुख्यालय स्थित कलेक्ट्रेट में जब जिला अधिकारी व अपर जिलाधिकारी ही समय से कार्यालय में नहीं बैठते हैं तो जिले के अन्य अधिकारियों समय से कैसे उपस्थित रह सकते हैं। इसकी वानगी गुरुवार को कलेक्ट्रेट कार्यालय में देखने को मिली।
पीड़ित कलेक्ट्रेट पहुंच कर अपनी समस्या के समाधान के लिए अधिकारियों का इंतजार कर रहे थे और 11:30 बजे तक ना जिला अधिकारी पहुंचे और ना ही अपर जिलाधिकारी पहुंचे, जिससे पीड़ितों ने अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह पहले दिन की घटना नहीं है चंदौली में आए दिन जब जिले के बड़े अधिकारी अपने कार्यालय से गायब रहते हैं तो अन्य अधिकारियों की क्या बात कही जाए। जबकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी अधिकारियों को अपने कार्यालय में 10 से 12 बजे तक जनता की सुनवाई के लिए समय निर्धारित किया हैस लेकिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से मीटिंग का हवाला देकर अधिकारी अक्सर लापता रहते हैं, जिससे पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाता है और वह हार थक कर वापस चले जाते हैं।
यही नहीं पीड़ितों की माने तो इन्हीं अधिकारियों की मनमानी के चलते लोकसभा के चुनाव पर भी असर पड़ा था, जिससे भाजपा को प्रदेश में अधिकतर सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा । मुख्यमंत्री नित नए आदेश पारित कर रहे हैं, लेकिन धरातल पर अधिकारी उसे जनता के लिए उतनी मुस्तैदी से लागू नहीं कर पा रहे हैं। जनता अपनी समस्याओं से परेशान है और केवल कागजी खाना पूर्ति करके अधिकारी अपनी वाहवाही लूटने में लगे हुए हैं।
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