तकनीकी समिति की मीटिंग : जिलाधिकारी ने बताया खरीफ और रवि फसलों के लिए कैसे ले सकते हैं आसानी से ऋण

कृषक आगामी खरीफ एवं रबी 2025 -26 की फसल के लिए स्केल ऑफ फाइनेंस के आधार पर ले सकेंगे आसानी से ऋण
सीडीओ और अन्य अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक
कई अन्य कार्यों के लिए भी लोन मिलने की पूरी संभावना
चंदौली जिले में आज जिलाधिकारी निखिल टीकाराम फुंडे के निर्देश के क्रम में मुख्य विकास अधिकारी आर जगत साईं की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में वर्ष 2025-26 की जिला स्तरीय तकनीकी समिति की बैठक सम्पन्न हुई। जिसमें विभिन्न फसलों, मत्स्य पालन, पशुपालन, रेशम कीट पालन तथा मधुमक्खी पालन कार्यक्रमों के सुचारू रूप से संचालन के लिए उसकी लागत के अनुसार संस्थागत वित्त की व्यवस्था हेतु वर्ष 2025-26 के वित्तमान का अनुमोदन दिया गया।

इस दौरान जिला कृषि अधिकारी विनोद कुमार यादव द्वारा बताया गया कि कतिपय निवेशों के मूल्य में सीमान्त वृद्धि के दृष्टिगत वित्तमान में 1.90 प्रतिशत् (अरहर) से लेकर 3.70 प्रतिशत् (तिल) तक की वृद्धि प्रस्तावित की गयी है।औद्यानिक फसलो के वित्तमान में जिला उद्यान अधिकारी द्वारा समस्त औद्यानिक फसलों पर 3 प्रतिशत की वृद्धि प्रस्तावित की गयी। सहायक निदेशक मत्स्य ने वर्ष 2024-25 के वित्तमान 50-4.00 लाख प्रति हे० के सापेक्ष इस वर्ष वर्ष 2025-26 हेतु रू०-400000.00 का वित्तमान स्थिर रखने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

मधुमक्खी पालन के लिए जिला उद्यान अधिकारी ने 50 मौन गृहों के लिए वित्तमान को वर्ष 2024-25 की दर रू0-250000.00 से बढ़ाकर 257500.00 रूपये (3 प्रतिशत की वृद्धि) प्रस्तावित की है। रेशम विभाग द्वारा सहतूत सिल्क पालन के लिए वित्तमान की दर वर्ष 2024-25 के स्तर पर वर्ष 2025-26 में भी प्रति एकड़ रू0-3.00 लाख पर स्थिर रखने का सुझाव दिया गया। पशुपालन विभाग द्वारा गाय पालन में 11.80 प्रतिशत, भैंस पालन में 7.00 प्रतिशत् तथा भेड़/बकरी पालन में वर्ष 2024-25 में वितगत वर्ष में 60-16470 के सापेक्ष वर्ष 2025-26 में रू0-5940 (-63.90 प्रतिशत), सुकर पालन में वर्ष 2024-25 में रू0 18900 के सापेक्ष वर्ष 2025-26 में विगत वर्ष में रू०- 9990 (-47.10 प्रतिशत) तथा मुर्गी पालन वर्ष 2024-25 में रू0-810 के सापेक्ष वर्ष 2025-26 में रू०-783 (-3.30 प्रतिशत) का प्रस्ताव दिया गया है।
मुख्य विकास अधिकारी द्वारा बताया गया कि वित्तमान के निर्धारण में एक ओर जहा कृषकों की उत्पादन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पर्याप्त वित्तीय व्यवस्था अपेक्षित होती है वही पर फसल बीमा के प्रीमियम का भार अधिक न पड़े तथा कृषक ऋण जाल में ना फसे इसका भी ध्यान देना आवश्यक होता है तथा कृषकों से अपेक्षा की गयी कि जिन कृषकों द्वारा गेहूँ की फसल का बीमा कराया गया है वे ओलावृष्टी, अतिवर्षा एवं कटाई के उपरान्त 14 दिनों के अन्दर खेत में गेहूँ की फसल में क्षति होने की स्थिति में निर्धारित समयावधि में फसल बीमा कम्पनी के हेल्प लाइन नं0- 14447 एवं उप कृषि निदेशक, चन्दौली को सूचित करें ताकि नियमानुसार कार्यवाही की जा सके।
इस दौरान बैठक में जिला कृषि अधिकारी, उप कृषि निदेशक, सहायक निदेशक मत्स्य, डी०डी०एम० नाबार्ड, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, जिला उद्यान अधिकारी एवं समिति के सभी सदस्य उपस्थित रहे।
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