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रायल ताल की जमीन बेचने वालों से वसूली तय, प्रशासन ने शुरू की कार्रवाई, जानिए क्या है अगला एक्शन

अब प्रशासन किसानों को एक और नोटिस देने की तैयारी में जुट गया है। इस पर भी किसान नहीं चेते तो इसके बाद आरसी जारी कर किसानों से वसूली की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
 

जिले की 80 एकड़ जमीन पर फैला रायल ताल

नियमों की अनदेखी करके जेल निर्माण के लिए खरीदी गई थी जमीन

1960 के दशक में किसानों के नाम कैसे हुई थी जमीन

अब सामने आया है घोटाला..तो कार्रवाई का बन गया है प्लान

चंदौली जिले के विकास खंड सकलडीहा के बरंगा में रायल ताल की सरकारी जमीन को जेल निर्माण के लिए किसानों से खरीदा गया था, जिसकी जांच शासन स्तर पर तो चल ही रही है, लेकिन स्थानीय स्तर पर जिला प्रशासन ने किसानों को बेदखल कर राशि वसूली के लिए नोटिस जारी कर दिया है।

बावजूद प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि किसान अभी भी इस जमीन पर खेती कर रहे हैं, ऐसे में जिलाधिकारी के निर्देश पर जगह जगह गड्ढे किए जा रहे हैं, ताकि इस पर खेती न हो सके। वहीं अब प्रशासन किसानों को एक और नोटिस देने की तैयारी में जुट गया है। इस पर भी किसान नहीं चेते तो इसके बाद आरसी जारी कर किसानों से वसूली की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

बताते चलें कि 80 एकड़ के लिए 40 करोड़ को हुआ भुगतान जनपद में जेल बनाने के लिए करीब 80 एकड़ सरकारी जमीन ही खरीद ली गई। यही नहीं, किसानों को इसके एवज में 40 करोड़ रुपये भुगतान भी कर दिया गया। मामले की जानकारी होते ही शासन ने एक टीम गठित कर जांच शुरु कर दी है। जिस जमीन को जेल निर्माण के लिए खरीदा गया, वह सरकारी अभिलेख में रायल ताल के नाम से दर्ज है। प्रशासन का दावा है कि रायल ताल के अभिलेख आज भी सुरक्षित हैं। तालाब के नाम से जमीन होने के कारण इस पर जेल निर्माण नहीं किया जा सकता।
 

कैसे किसानों के नाम हो गयी जमीन
प्रशासन का दावा है कि वर्ष 1960 से 1965 के बीच रायल ताल की जमीन गलत तरीके से सौ से अधिक किसानों के नाम कर दी गई थी। तभी से किसान इस पर खेती कर रहे हैं। वर्ष 2017 में शासन के निर्देश पर सकलडीहा ब्लाक के बरंगा गांव में जेल बनाने की कवायद शुरू की गई। राजस्व विभाग ने जमीन चिह्नित की, जबकि सेंट्रल जेल वाराणसी के तत्कालीन जेलर ने निबंधन कार्यालय में तत्कालीन एसडीएम व उपनिबंधन अधिकारी के साथ सौ से अधिक किसानों की भूमि की रजिस्ट्री कराई। चार वर्ष पूर्व रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी करा ली गई थी। बाद में पता चला कि जिस जमीन की रजिस्ट्री कराई गई है, वह किसानों की नहीं बल्कि रायल ताल के नाम से सरकारी दस्तावेज में दर्ज है।

 

क्या कह रहे हैं डीएम चंदौली
इस संबंध में चंदौली जिले के जिलाधिकारी निखिल टीकाराम फुंडे ने बताया कि रायल ताल की जमीन से किसानों का बेदखल करने के बाद भी वह इस पर खेती कर रहे थे। ऐसे में पुलिस लाइन निर्माण के लिए रायल ताल में ही जगह-जगह खोदकर मिट्टी लाई जा रही है, ताकि इस पर खेती न हो सके। किसानों को दूसरी नोटिस भेजी जा रही है। इसके बाद आरसी जारी कर रिकवरी की जाएगी।

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