जिले का पहला ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टलMovie prime

डीएम साहिबा बताएं कब से नहरों में आएगा पानी, बर्बाद हो रही है खेती व किसानी

जिले की भूपौली पंप कैनाल से निकलने वाली इनायतपुर माइनर, डेढगावां माइनर, हेतमपुर माइनर व बसगावां माइनर में पानी नहीं है।
 

सार्वजनिक करवा दीजिए नहरों को चलने की तारीख

 किसानों से कर लीजिए चर्चा

आखिर क्यों नहीं समय पर चलायी जाती हैं नहरें

वैसे अगर देखा जाय तो चंदौली जिले में गेहूं के फसल की सिंचाई के लिए शासन की ओर से एक जनवरी से नहरों में पानी छोड़े जाने का निर्देश है। इसके बावजूद जिले की कई नहरें अभी सूखी पड़ी हैं, जबकि अधिकांश किसानों ने गेहूं की बोआई एक माह पूर्व ही कर दी है। अब फसल को पानी की सख्त आवश्यकता है। नहरों में पानी न होने से किसान महंगा डीजल फूंककर मशीन से खेतों की सिंचाई करने को विवश हो रहे हैं और जिलाधिकारी समेत तमाम अफसर केवल किसानों की आय दोगुनी करने का कोरा आश्वासन दे रहे हैं।

जिले के करीब सवा लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती होती है। फसल की रोपाई से लेकर सिंचाई तक किसान नरायनपुर से निकली मुख्य गंगा नहर, मूसाखाड़ बांध की नहरों, लिफ्ट कैनालों और राजकीय नलकूपों पर आश्रित रहते हैं। इसके बावजूद अभी तक किसी भी नहर में पर्याप्त पानी नहीं दिख रहा है। वहीं बिजली से चलने वाले पंप भी लो वोल्टेज की समस्या के कारण चल नहीं पा रहे हैं।

 नगवा पंप कैनाल पर क्षेत्र के हजारों एकड़ खेतों के सिंचाई की जिम्मेदारी है लेकिन उसका पानी हेड से मात्र कुछ दूरी तक ही सिमट कर रह जाता है। वहीं घास और झाड़-झंखाड़ से नहर और माइनर पटे हैं। लघुडाल खंड वाराणसी के अवर अभियंता सुशांत श्रीवास्तव ने बताया कि नहरों में शीघ्र पानी छोड़ा जाएगा। 

कंदवा इलाके के नरायनपुर से निकली अमड़ा बड़ी नहर और उससे जुड़े घोसवा महुंजी माइनर, असना डेढ़गांवा, झगड़ूचक माइनर सहित तमाम माइनर सूखी हुई हैं। किसानों ने बताया कि गेहूं की बोआई किए एक माह से ज्यादा समय बीत गया लेकिन नहरों में पानी न आया है। 

जिले की भूपौली पंप कैनाल से निकलने वाली इनायतपुर माइनर, डेढगावां माइनर, हेतमपुर माइनर व बसगावां माइनर में पानी नहीं है। किसान नेता दीनानाथ श्रीवास्तव व गौसपुर के किसान नरेंद्र यादव ने बताया कि इनायतपुर माइनर में पानी न आने के कारण प्राइवेट ट्यूबवेल का सहारा लेना पड़ रहा है।

जिले के पहाड़ी क्षेत्र चकिया में स्थित कर्मनाशा और चंद्रप्रभा सिस्टम के बांधों में पानी होने के बावजूद नहरों का संचालन अभी तक आरंभ नहीं हुआ है। कर्मनाशा सिस्टम के बांधों में कुल 25 दिनों का पानी शेष बचा है। इससे सिंचाई के लिए दो बार नहरों के माध्यम से पानी दिया जा सकता है। किसान भगवान सिंह, नंदलाल पांडेय, वीरेंद्र पाल ने बताया कि क्षेत्र के पचफेड़िया माइनर, भभौरा रामपुर माइनर, कुंडा हेमैया माइनर, बोदारा माइनर, पड़री माइनर, नकोईया माइनर व गुलगुलिया से निकली रामपुर माइनर की नहरों में जगह जगह उगे झाड़-झंखाड़ की सफाई न होने से सिंचाई के दौरान पानी के बहाव में अवरोध उत्पन्न होगा। 


गंगा के किनारे टांडाकला, कैथी, बलुआ, मटियारा गांव की नहरें सूखी पड़ी हैं, जबकि इस समय गेहूं के सिंचाई के लिए पानी की आवश्यकता है। किसानों का कहना है कि गेहूं की बोआई किए एक माह से अधिक समय बीत गया है लेकिन नहरों में एकबार भी पानी नहीं छोड़ा गया है। इससे निजी पंप से सिंचाई करने को विवश हैं।संवाद किसानों को पहले तो खाद की कमी से जूझना पड़ा। अब गेहूं की सिंचाई के लिए नहरों के माध्यम से पानी भी नहीं मिल रहा है। इससे फसल पर बर्बाद होने का खतरा मंडरा रहा है।नहरों में अभी तक पानी नहीं छोड़े जाने के कारण महीनों पहले बोई गई गेहूं की फसल सूखने की कगार पर पहुंच रही है। सिंचाई को लेकर विभागीय अधिकारी पूरी तरह अंजान बने हुए हैं।
 

चंदौली जिले की खबरों को सबसे पहले पढ़ने और जानने के लिए चंदौली समाचार के टेलीग्राम से जुड़े।*