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चंदौली में जारी है कुत्तों का आतंक, एक महीने में 1500 से ज्यादा लोग शिकार

शहर में घुमंतू कुत्ते लोगों के लिए खतरे का सबब बने चुके हैं। रात में गुजरने के दौरान घुमंतू कुत्ते अक्सर लोगों को दौड़ा लेते हैं। सबसे अधिक समस्या रात में बाइक से गुजरने वालों को होती है। रात में कुत्ते कई बार हमलावर हो जाते हैं।
 

कुत्तों ने 1500 लोगों को काटा

खतरे का सबब बनते जा रहे हैं सड़क के आवारा कुत्ते

मुगलसराय का ऐसा है रिकॉर्ड

चंदौली जिले में आवारा व घुमंतू कुत्ते जिलेवासियों के लिए परेशानी का सबब बनते जा रहे हैं। सड़कों व गलियों में घूम रहे कुत्ते रात में अधिक हमलावर हो जाते हैं। यही वजह है कि राजकीय महिला चिकित्सालय में प्रति माह डेढ़ हजार से अधिक लोग एंटी रैबीज का इंजेक्शन लगवाने पहुंच रहे हैं।

जिले के चारों नगरी निकायों में घुमंतू कुत्तों को की संख्या लगातार बढ़ रही है। सड़कों पर घुमंतू कुत्ते आए दिन लोगों को काटकर जख्मी कर रहे हैं। केवल मुगलसराय नगर पालिका क्षेत्र में 30 दिनों में 1500 से ज्यादा लोगों को कुत्तों ने काटकर जख्मी किया है। इसके बाद भी जिले के चारों नगर निकायों में इन कुत्तों को न तो पकड़ने के कोई इंतजाम हैं और न ही इनकी बढ़ती आबादी की रोकथाम के लिए नसबंदी किए जाने की कोई व्यवस्था है। कुत्तों की आक्रामकता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है। राजकीय महिला चिकित्सालय में प्रति माह डेढ़ हजार से अधिक लोग एंटी रैबीज का इंजेक्शन लगवाने पहुंच रहे हैं।

Dogs Bite

शहर में घुमंतू कुत्ते लोगों के लिए खतरे का सबब बने चुके हैं। रात में गुजरने के दौरान घुमंतू कुत्ते अक्सर लोगों को दौड़ा लेते हैं। सबसे अधिक समस्या रात में बाइक से गुजरने वालों को होती है। रात में कुत्ते कई बार हमलावर हो जाते हैं।

जिले के एक मात्र नगर पालिका पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर और नगर पंचायत चकिया, चंदौली और सैयदराजा के पास इन आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या की रोकथाम के लिए कोई उपाय नहीं है।

नगर पालिका क्षेत्र के 25 वार्डो में लगभग डेढ़ लाख आबादी रहती है। सभी वार्डो में कुत्तों की भरमार है। नगर क्षेत्र में कुत्तों की संख्या लगभग ढाई हजार के पार हो चुकी है। वहीं नगर पंचायत क्षेत्रों में आवारा कुत्तों से लोग काफी भयभीत है। लोगों के अनुसार कुत्ते दिन में अक्सर छोटे बच्चों पर हमलावर हो जाते हैं।

Dogs Bite

लोगों का कहना है कि आवारा कुत्तों को पकड़ने और नसबंदी के लिए विभाग को व्यवस्था करनी चाहिए।  यह व्यवस्था नगर पंचायत और नगर पालिका की जिम्मेदारी है। वह इसकी रोकथाम के लिए उपाय नहीं करेंगे तो कौन करेगा।


हो रही है कुत्तों की नसबंदी
नगर निकायों के पास कुत्तों को पकड़ने और नसबंदी का कोई इंतजाम नहीं होने पर नगर के सुभाष नगर निवासी नरेंद्र अरोड़ अपने एनजीओ के माध्यम से आवारा कुतों की नसबंदी और एंटी रैबीज के इंजेक्शन लगवाते है। नरेंद्र अरोड़ा ने बताया कि उनकी संस्था वाराणसी फॉर एनिमल्स के जरिये एक साल में 150 से 200 कुत्तों की नसबंदी करवाने के साथ  उन्हें एंटी रैबीज के इंजेक्शन लगवाते है। बताया कि प्रत्येक कुत्ते पर एक से डेढ़ हजार रुपये तक का खर्च आता है।

नगरपालिका के प्रभारी अधिशाषी अधिकारी व तहसील के उपजिलाधिकारी विकासधर दूबे का कहना है कि
नगर पालिका के पास आवारा कुत्तों को पकड़ने की कोई व्यवस्था नहीं है। लेकिन जनसमस्या को ध्यान में रखते आवारा कुत्तों को पकड़ने के शीघ्र ही उपाय किए जाएंगे।

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