चंदौली जिले के इन इलाकों में होगा डाल्फिन का दीदार, जानिए क्या है वन विभाग का प्लान

गंगा के किनारे भूपौली, डेरवा और बलुआ में अठखेलियां करते दिखेंगी गंगा डॉल्फिन
वाराणसी और गाजीपुर में 6-6 डॉल्फिन मित्रों की हुई तैनाती
वन विभाग की इस योजना का होगा बड़ा लाभ
वाराणसी और गाजीपुर के अलावा गंगा डॉल्फिन अब पोडीडीयू नगर के गंगा ग्राम में भी देखी जा सकती हैं। चंदौली जिले के भूपौली, डेरवा, पकड़ी, बिस्पुर, सराय और बलुआ में गंगा में डॉल्फिन अठखेलियां करते हुए देखी जा सकती हैं। छह महीने पहले बलुआ में एक मछुआरे के जाल में फंसकर डॉल्फिन बाहर आई थी। उसे फिर गंगा में छोड़ दिया गया। अब समय-समय पर चंदौली के लोग भी इस दुर्लभ प्रजाति के जीव डॉल्फिन को अठखेलियां करते हुए देख सकेंगे।

वाराणसी की डॉल्फिन मित्र तनु त्रिवेदी ने बताया कि गंगा डॉल्फिन जिसे आम भाषा में सूस कहा जाता है, एक स्तनधारी जलीय जीव है। इसे राष्ट्रीय जलीय जीव भी घोषित किया जा चुका है। इसका अस्तित्व इतना पुराना है कि उसका उल्लेख पुराणों में भी है।
ऐसी मान्यता है कि जब मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरण की तैयारी में थी, उस समय उनकी कुछ सहेलियां उनके वियोग में धरती पर चलने का आग्रह करने लगीं। वे एक सूस के आकार में ढल गई और गंगा जी के साथ भारतवर्ष में रहने लगीं। इसी वजह से कुछ ग्रामीण इन्हें गंगा परी के नाम से भी संबोधित करते हैं।
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने प्रोजेक्ट डॉल्फिन की शुरुआत 2021 में की थी। इस परियोजना का उद्देश्य डॉल्फिन को विलुप्त होने से बचाव और संरक्षण करना है। इसी पहल के तहत प्रदेश के वन विभाग ने गंगा डॉल्फिन के संरक्षण के लिए डॉल्फिन मित्र कार्यक्रम की शुरुआत भी की है। इसके तहत वाराणसी और गाजीपुर में 6-6 डॉल्फिन मित्रों की तैनाती भी हुई है। जो गंगा डॉल्फिन की सुरक्षा एवं संरक्षण के कार्य में लगे है। वाराणसी के वन विभाग की तरफ से नाव से डॉल्फिन सफारी का भी आयोजन किया है। नागरिक डॉल्फिन की अठखेलियां देखने के लिए कैथी स्थित डॉल्फिन पॉइंट जाने के लिए पंजीकरण भी करा सकते हैं।

नहीं देख सकतीं गंगा डॉल्फिन
डॉल्फिन मित्र तनु त्रिवेदी ने बताया कि गंगा डाल्फिन की संरचना समुद्री डॉल्फिन की सरंचना से भिन्न होती है। ये हल्की भूरे रंग की होती हैं और इनका पेट गोल व गुलाबी रंग का होता है। इनका शरीर मजबूत और गर्दन लचीली होती है। वजन लगभग 150 किलोग्राम तक होता है। ये देख नहीं सकती हैं। हालांकि इनकी आंखें होती हैं, परंतु कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि ये अंधी होती हैं।
स्टडी कहती है कि इनकी आंखों में क्रिस्टलाइन लेंस का अभाव होता है। अमेजन नदी की डॉल्फिन की आंखें छोटी होती हैं, परंतु विकसित होने पर वे स्पष्ट रूप से देख सकती हैं। इसी प्रकार इरावदी डाल्फिन आंखें छोटी होने के बाद भी देख सकती हैं। गंगा डॉल्फिन की बहन सिंधु नदी की डॉल्फिन की आंखों की संरचना उसी के समान है और वे भी देख नहीं सकती हैं।
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