नौगढ़ में अधीक्षक ने पूरी की मां की आखिरी इच्छा, नेत्रदान करके दिया एक बड़ा संदेश
चंदौली के नौगढ़ में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अवधेश पटेल ने अपनी मां की अंतिम इच्छा को पूरा करते हुए नेत्रदान का नेक कार्य किया है। शोक की घड़ी में लिया गया यह साहसी निर्णय समाज में अंगदान के प्रति नई चेतना जगाएगा।
डॉ. अवधेश पटेल की अनूठी मिसाल।
मरणोपरांत नेत्रदान का बड़ा संकल्प।
मां की अंतिम इच्छा हुई पूरी।
समाज के लिए प्रेरणादायक संदेश।
मानवता की सेवा में बड़ा कदम।
चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर अवधेश पटेल ने एक मिसाल कायम की है। अक्सर देखा जाता है कि बड़े पदों पर बैठे लोग औपचारिकताओं में उलझे रह जाते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो जिम्मेदारी के साथ संवेदनशीलता निभाना जानते हैं। नौगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अवधेश पटेल ने अपने भाइयों के साथ मिलकर यह साबित कर दिया कि पद, प्रोटोकॉल और व्यस्तता से ऊपर मानवता होती है।
नेत्रदान: ऐसा दान जो मृत्यु के बाद भी जीवन देता है
नेत्रदान को यूं ही सभी दानों में श्रेष्ठ नहीं कहा जाता। यह वह दान है, जिससे किसी अंधे व्यक्ति की दुनिया रोशन हो जाती है। जीवनभर अंधकार में जीने वाला व्यक्ति जब पहली बार रोशनी देखता है, तो उसका पूरा जीवन बदल जाता है। इसी सोच के साथ डॉ. अवधेश पटेल और उनके भाइयों ने मरणोपरांत नेत्रदान का निर्णय लिया।
शाह आई हॉस्पिटल, IMA की टीम ने निभाई जिम्मेदारी
माता स्व. विमला देवी के निधन की सूचना मिलते ही डॉ. अजय मौर्य के नेतृत्व में वाराणसी के रामकटोरा स्थित शाह आई हॉस्पिटल एवं आईएमए की विशेष टीम नौगढ़ पहुंची। पूरी प्रक्रिया चिकित्सकीय मानकों और मानवीय संवेदनाओं के साथ पूरी की गई। कॉर्निया को सुरक्षित निकालकर नेत्रदान की प्रक्रिया सफलतापूर्वक संपन्न कराई गई।
भाइयों की सहमति और परिवार की एकजुटता बनी ताकत
इस संवेदनशील फैसले में केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरा परिवार शामिल रहा। डॉ. बृजेश पटेल, डॉ. अवधेश पटेल और डॉ. धीरेंद्र पटेल ने आपसी सहमति से नेत्रदान का निर्णय लिया। उनकी पत्नियां अंकित पटेल और कल्पना पटेल भी इस मानवीय पहल में पूरी मजबूती से साथ रहीं। यह एक ऐसा क्षण था, जहां दुख के बीच भी सेवा का भाव हावी रहा।
माता की वर्षों पुरानी इच्छा को मिला सम्मान
डॉ. अवधेश पटेल ने चंदौली समाचार को बताया कि उनकी माता स्व. विमला देवी की यह इच्छा वर्षों से थी कि मृत्यु के बाद उनकी आंखें किसी जरूरतमंद को दी जाएं। वह अक्सर कहती थीं कि अगर उनके जाने के बाद भी कोई दुनिया देख सके, तो यही उनके जीवन की सबसे बड़ी सफलता होगी। परिवार ने माता की इसी भावना को अंतिम समय में साकार किया।
समाज को दिया बड़ा संदेश
एक ओर जहां डॉ. अवधेश पटेल सीएचसी जैसे महत्वपूर्ण संस्थान की जिम्मेदारी निभा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उन्होंने समाज को यह संदेश दिया कि प्रशासनिक पद इंसान को संवेदनहीन नहीं बनाता। यह घटना लोगों को नेत्रदान के लिए प्रेरित करेगी और समाज में सकारात्मक सोच को मजबूत करेगी।
दो जिंदगियों में रोशनी, समाज के लिए मिसाल
डॉ. अवधेश पटेल ने कहा कि अगर हमारे निर्णय से किसी अंधे की आंखों में रोशनी आ सकती है, तो इससे बड़ा संतोष और कोई नहीं। यह नेत्रदान केवल एक परिवार का फैसला नहीं, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण बनकर सामने आया है।
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