DM साहब के फरमान के बाद ये है ग्राउंड रिपोर्ट : चंदौली समाचार की पड़ताल में खुली पंचायतों की पोल

मीटिंग में चेतावनी देने से काम नहीं चलेगा DM साहब
सच जानने के लिए खुद आपको मारना होगा छापा
केवल फाइलों में खुलते हैं पंचायत भवन
ताले में बंद हैं नौगढ़ के सचिवालय और CSC सेंटर
चंदौली जिले के जिलाधिकारी के फरमान के बाद पहले ही दिन चंदौली समाचार की ग्राउंड रिपोर्ट में चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई है। पंचायत सचिवालय ही नहीं, कई जगह कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) भी बंद मिले। जहां शासन की योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए था, वहां केवल ताले की खटर-पटर और दीवारों पर जमी धूल दिखी।

जिलाधिकारी चंद्रमोहन गर्ग ने कल यानी मंगलवार को ग्रामीण स्वच्छता समिति की बैठक में आदेश दिया कि सभी पंचायत सचिवालय खुले रहें। लेकिन चंदौली समाचार की टीम ने बुधवार को पड़ताल किया। इसमें पंचायत सचिवालय रिठीया, देवखत और देवरी कला बंद मिला, गांव के लोगों ने बताया कि पंचायत भवन सालों से बंद हैं, जिन पंचायत सचिवों का स्थानांतरण हो चुका है उनका ही नाम अभी तक अंकित है।

रिपोर्ट में पंचायत सचिवालय खुला, हकीकत में सन्नाटा
जिला प्रशासन को भेजी गई एक रिपोर्ट चंदौली समाचार के हाथ लगी है, जिसमें पंचायत सचिव जितेंद्र कुमार यादव की ओर से रिपोर्ट दी गई है कि सभी सचिवालय और केंद्र नियमित रूप से खुल रहे हैं। लेकिन जमीनी हकीकत इसके ठीक उलट है। न पंचायत सहायक है, न सचिव मौजूद। डिजिटल सेवाओं के लिए जरूरी CSC केंद्र अमृतपुर भी बंद पड़ा था। मौके पर जाकर देखा गया तो पंचायत अमृतपुर में सीएससी सेंटर पर भी ताला लटका हुआ मिला। ग्रामीणों की परेशानियां दिन पर दिन बढ़ गई हैं।
लटके ताले से कैसे कहें अपनी परेशानी
पंचायत देवखत, रिठिया, बोदलपुर, मरवटिया, अमृतपुर, मलेवर, बोदलपुर, अमदहां चरनपुर समेत दर्जनों पंचायतों के ग्रामीणों का कहना है कि सचिवालय और सीएससी केंद्र हमेशा बंद रहता है। जाति, निवास, राशन कार्ड या पेंशन जैसी जरूरी सेवाएं हम लोगों को नौगढ़, चकिया जाकर ही करानी पड़ती हैं। यहां इसके होने न होने का कोई फायदा नहीं है।
जनता को मिल रही सजा, सिस्टम बजा रहा ताली
पंचायत सचिवालय और सीएससी सेंटर दोनों के बंद होने से डिजिटल इंडिया का सपना गांवों में दम तोड़ रहा है। आवास योजना, मनरेगा, वृद्धा पेंशन, बैंकिंग सेवाएं, बिजली बिल जमा, राशन कार्ड—सब रुक गए हैं। नौगढ़ में जनता ब्लॉक, तहसील या साइबर कैफे के चक्कर काट रही है, जहाँ अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ता है।
अब यहां पर कई सवाल उठते हैं..जैसे...
1. डीएम साहब अब आप किस पर कार्रवाई करेंगे..?
2. जिस सचिवालय और CSC सेंटर में ताले लटक रहे हैं, वहां जिम्मेदार कौन है..?
3. क्या सिर्फ रिपोर्ट भेज देना ही सच्चाई को छुपाने के लिए काफी है..?
4. डीएम साहब खुद बाहर निकल कर बंद पंचायत भवनों पर छापा मारेंगे..?
5. क्या पंचायत भवनों के खिलाफ भी अभियान चलाया जाएगा..?
ऐसा बोल रहे ग्रामीण
गांव के लोगों का कहना है कि अगर शासन सच में गांवों तक सेवा पहुंचाना चाहता है, तो सिर्फ मीटिंग में चेतावनी देना नहीं चलेगा। फील्ड में उतरकर सच देखना होगा और कई बहानेबाज अफसरों पर बड़ा एक्शन लेना होगा तभी ग्रामीणों को उनका हक मिलेगा और ऐसे आदेशों का इमानदारी से पालन होगा।
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