बीज शोधन और भूमि शोधन करके किसान उठाएं लाभ, अच्छी पैदावार के लिए मान सकते हैं कृषि रक्षा अधिकारी की बात
कृषि रक्षा अधिकारी स्नेह प्रभा ने दी किसानों की सलाह
कृषि रक्षा अभियान रबी वर्ष 2024 के पहले जागरुकता कार्यक्रम
बीज शोधन व भूमि शोधन रसायन पर 75 प्रतिशत का अनुदान
किसानों को यदि जैविक व रासायनिक दोनों दवाओं से बीज शोधन करना हैं तो बुवाई से चार से पांच दिन पहले रसायन और बुवाई के एक दिन पहले जैव नियंत्रक से बीज शोधन करें। लेकिन जैव नियंत्रक की मात्रा दोगुनी कर देनी चाहिए। रबी फसलों की बुवाई से पहले बीज व भूमि शोधन जरूरी है। स्वस्थ और निरोग बीज बोने से ही फसलें स्वस्थ होंगी।
चंदौली जिले में जिला कृषि रक्षा अधिकारी स्नेह प्रभा ने बताया कि वर्तमान में रबी की बुआई का समय आ गया है। ऐसे में कृषक भाइयों को सूचित करना है कि बुआई से पहले बीज शोधन अवश्य किया जाय, ताकि फसलों में रोग लगने की संभावना से बचा जा सके।
कहा जाता है कि रोग बीज, मृदा, वायु एवं कीटों द्वारा फैलते है एवं बीज जनित रोगों का कोई भी उपचार सम्भव नहीं है। बीज जनित व भूमि जनित रोगों से आगामी बोई जाने वाली फसल के बचाव हेतु बीज शोधन अत्यंत महत्वपूर्ण है।
बीज शोधन के लिए दें ध्यान
बीज शोधन का कार्य कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत अथवा थीरम 75 प्रतिशत 2.5 ग्राम से 3 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से तथा ट्राइकोडर्मा जैविक रसायन द्वारा 4 से 5 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से किया जाता है। बीज शोधन द्वारा फसल की रोगों से सुरक्षा कर अधिक पैदावार ली जा सकती है, जिससे कृषकों की आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ होगी।
इसलिए किसान भाइयों को बीज शोधन जैसे महत्वपूर्ण कार्य के प्रति ध्यान देना चाहिए। बीज शोधन व भूमि शोधन रसायन कृषि रक्षा इकाइयों पर 75 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध है। अधिक जानकारी के लिए कृषि रक्षा अधिकारी से सम्पर्क कर सकते हैं।
भूमि शोधन के लिए जरुरी बात
भूमि शोधन हेतु 2.5 किग्रा व हेक्टेयर ट्राइकोडर्मा या ब्यूबेरिया बैसियाना बायो रसायन को 75 किग्रा सड़ी हुई गोबर की खाद में मिलाकर 10-12 दिन तक छाया युक्त स्थान पर रखकर पानी के छीटे मारें, ताकि नमी बरकरार रहे। तत्पश्चात् इस 75 किग्रा गोबर की खाद, जो कि बायोपेस्टीसाइड में तब्दील हो चुका है। इसे जुताई करके बुवाई से पहले खेत में मिला दें। इससे खेत में मौजूद दीमक एवं फफूंद से छुटकारा मिलेगा। साथ ही साथ खेत में जैविक खाद की कमी भी पूर्ण हो जाएगी।
चंदौली जिले की खबरों को सबसे पहले पढ़ने और जानने के लिए चंदौली समाचार के टेलीग्राम से जुड़े।*