नदियों के किनारे बसे गांवों में बाढ़ का कहर, चंदौली में चंद्रप्रभा और गड़ई नदी का पानी खेतों में घुसा
लगातार बारिश से बढ़ा नदियों का जलस्तर
बांधों से छोड़े गए पानी ने बढ़ाई मुश्किलें
धान की फसल और चारा डूबा, किसान परेशान
डीएम-एसपी ने किया बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा
चंदौली जिले में लगातार हो रही बारिश और बांधों से पानी छोड़े जाने के बाद नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ गया है। कर्मनाशा, चंद्रप्रभा और गड़ई नदियों में उफान के चलते डेढ़ दर्जन से अधिक गांव बाढ़ से प्रभावित हो गए हैं। कई गांवों के खेत पानी में डूब चुके हैं, जिससे ग्रामीणों की धान की फसल और पशुओं का चारा पूरी तरह बर्बाद हो गया है।

बांधों से छोड़ा गया पानी, खेत बने तालाब
पिछले दो दिनों से पहाड़ी इलाकों में भारी बारिश हो रही है। मूसाखांड़ और चंद्रप्रभा बांध पानी से लबालब भर जाने के बाद डैम से पानी छोड़ा गया। इसके चलते बबुरी क्षेत्र समेत कई गांवों के खेत और सीवान डूब गए हैं। हालांकि अभी तक गांवों में पानी नहीं घुसा है, लेकिन किसानों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है।
डीएम-एसपी ने किया बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा
रविवार को जिलाधिकारी चंद्रमोहन गर्ग और पुलिस अधीक्षक आदित्य लांग्हे ने कर्मनाशा और चंद्रप्रभा नदी किनारे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया। उन्होंने अधिकारियों को बांधों पर विशेष सुरक्षा व्यवस्था करने और प्रभावित ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने के निर्देश दिए।

प्रशासन की तैयारी – राहत शिविर, गोताखोर और मेडिकल कैंप
प्रशासन ने बाढ़ से निपटने के लिए राहत शिविर, पशु शिविर और मेडिकल कैंप स्थापित किए हैं। गोताखोरों की टीम और रेस्क्यू दल तैनात कर दिए गए हैं। एसडीएम दिव्या ओझा ने बबुरी पहुंचकर नदी तटवर्ती वनवासी परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर भेजने की व्यवस्था की।

ग्रामीणों की बढ़ी मुश्किलें
गांवों में रह रहे लोगों को बाढ़ से सबसे ज्यादा परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। स्थानीय निवासी राजेश खरवार ने बताया कि गड़ई नदी का पानी बढ़ने से धान की फसल और पशुओं का चारा डूब गया है। वहीं, दीपक यादव ने कहा कि चंद्रप्रभा और गड़ई नदी का पानी खेतों में घुस गया है, जिससे परिवार के भरण-पोषण का संकट खड़ा हो गया है।

प्रभावित गांव
सदर कोतवाली क्षेत्र के कांटा, विशुनपुरा और बबुरी सहित कई गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पशुओं के चारे की कमी और फसलों के नुकसान के कारण स्थिति और गंभीर हो रही है।

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