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चंदौली जिले के किसानों को नहीं मिलेगा सिंचाई का पानी, सुनिए अधिकारी क्या दे रहे हैं जवाब

सिंचाई विभाग के अनुसार केंद्रीय जल आयोग के निर्देशानुसार नारायणपुर पंप नहर चलाने के लिए गंगा का जलस्तर कम से कम 60 मीटर और भूपौली पंप नहर के लिए 57 मीटर आवश्यक है।
 

जिले में गंगा का जलस्तर घटने का दिखाई दे रहा असर

नहरों से नहीं मिल रहा किसानों को पानी

जिले के कई इलाकों में धान की बुवाई हो रही प्रभावित

चंदौली जिले में धान की  नर्सरी डालने के साथ-साथ कुछ स्थानों पर धान की रोपाई की भी तैयारी की जा रही है, लेकिन जिले में सिंचाई साधन किसानों को जवाब देते नजर आ रहे हैं, जिससे किसानों की समस्या बढ़ने वाली है ।  फिलहाल इसके पीछे गंगा के जलस्तर के घटने का दावा किया जा रहा है , लेकिन किसानों की इस समस्या का कोई हल नहीं निकल पा रहा है। कोई और उपाय खोजने में फिलहाल सिंचाई विभाग और जिला प्रशासन असफल नजर आ रहा है। 

जिले की कई नहरों में किसानों को अभी भी सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है। नारायणपुर और भूपौली पंप कैनालों का संचालन गंगा नदी के जलस्तर में कमी के कारण फिलहाल बंद कर दिया गया है। इसके लिए सरकारी अधिकारियों के द्वारा अलग तरह की दलील दी जा रही है और केंद्र सरकार तथा जल आयोग के नियम जनता और किसानों को समझाए जा रहे हैं। 

सिंचाई विभाग के अनुसार केंद्रीय जल आयोग के निर्देशानुसार नारायणपुर पंप नहर चलाने के लिए गंगा का जलस्तर कम से कम 60 मीटर और भूपौली पंप नहर के लिए 57 मीटर आवश्यक है। वर्तमान में दोनों स्थानों पर जलस्तर इस मानक से नीचे है, जिससे नहरों का संचालन संभव नहीं हो पा रहा। जब तक यह जलस्तर बढ़ता नहीं है तब तक सिंचाई का पानी गंगा नदी से नहीं दिया जा सकता है। 

इस संकट को देखते हुए सैयदराजा विधायक सुशील सिंह ने पंप कैनालों का निरीक्षण किया और किसानों से मुलाकात कर उन्हें आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि जैसे ही गंगा का जलस्तर निर्धारित सीमा तक पहुंचेगा, नहरों का संचालन तत्काल शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने किसानों से धैर्य बनाए रखने की अपील की है।

सिंचाई विभाग और जिला प्रशासन हालात पर नजर बनाए हुए हैं और जल आपूर्ति बहाल करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। लेकिन जब तक गंगा में जलस्तर नहीं बढ़ता, तब तक किसानों को धान की बुवाई के लिए नहर के पानी का इंतजार करना पड़ेगा।


गांवों में किसानों के चेहरे पर चिंता साफ देखी जा सकती है। उनका कहना है कि यदि समय पर पानी नहीं मिला तो धान की बुवाई प्रभावित होगी। जिससे फसल उत्पादन और आमदनी दोनों पर असर पड़ेगा।

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