चंदौली जिले में गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु के करीब, तटवर्ती गांवों में बाढ़ का खतरा गहराया
गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु के बेहद करीब पहुंचा
प्रति घंटे एक सेंटीमीटर की रफ्तार से बढ़ रहा जलस्तर
तटवर्ती गांवों के खेतों में डूबने लगा हरा चारा और सब्जियां
बलुआ घाट की सभी सीढ़ियां जलमग्न
ग्रामीणों में दहशत
चंदौली जनपद में गंगा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे तटवर्ती गांवों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। बलुआ स्थित गंगा घाट पर शुक्रवार रात से शनिवार दोपहर तक करीब दो फीट जलस्तर बढ़ चुका है। शनिवार दोपहर 12 बजे गंगा का जलस्तर 69.95 मीटर दर्ज किया गया, जो चेतावनी बिंदु 70.262 मीटर से महज तीन सेंटीमीटर नीचे है, जबकि खतरनाक जलस्तर 71.262 मीटर से 1.31 मीटर कम है। एक सेमी प्रति घंटे की रफ्तार से जलस्तर में हो रही वृद्धि ने प्रशासन और ग्रामीणों की चिंता बढ़ा दी है।
गंगा किनारे बसे गांवों—भूपौली, डेरवा, महड़ौरा, कांवर, पकड़ी, महुअरिया, बलुआ, गंगापुर, महुआरी खास, विशुपुर, टांडाकला, सोनवरसा, सराय, महुअर कला, हरथन जुड़ा, चकरा, तोरगावा, हसनपुर, सहेपुर, नादी निधौरा व बड़गांवा आदि में बाढ़ की आशंका से लोग सहमे हुए हैं। खेतों में लगी हरी सब्जियां, चारा और धान की नई रोपाई डूबने की कगार पर पहुंच गई है। घाटों की सभी सीढ़ियां पानी में डूब चुकी हैं। ग्रामीणों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही हैं।
धानापुर क्षेत्र में भी खतरे की दस्तक
धानापुर क्षेत्र के नरौली, रामपुर दिया, प्रसहटा, बुद्धपुर, हिंगुतरगढ़ समेत कई गांवों में भी गंगा का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ और कटान का खतरा पैदा हो गया है। ग्रामीणों का कहना है कि कुछ दिनों पहले जलस्तर में थोड़ी गिरावट से राहत महसूस हुई थी, लेकिन शुक्रवार देर रात से दोबारा बढ़ोतरी शुरू हो गई है। इससे अब लोगों में दहशत का माहौल बन गया है।
प्रशासनिक दावों और जमीनी हकीकत में फर्क
प्रशासन की ओर से दावा किया जा रहा है कि बाढ़ की स्थिति पर सतत निगरानी रखी जा रही है। जरूरत पड़ने पर नावें, राहत सामग्री और अन्य संसाधनों की व्यवस्था की जा रही है। लेकिन तटवर्ती गांवों के ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें अब तक न तो कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश मिले हैं और न ही नाव या सहायता पहुंची है। इस स्थिति में लोगों को अपने स्तर पर तैयारी करनी पड़ रही है।
कर्मनाशा प्रणाली स्थिर, मगर बंधियां खाली
चकिया क्षेत्र में कर्मनाशा जल प्रणाली फिलहाल स्थिर हो गई है, जिससे कुछ राहत जरूर मिली है। लतीफशाह बीयर से ओवरफ्लो बंद हो गया है और लेफ्ट व राइट कर्मनाशा नहरों के जरिए धान की रोपाई शुरू हो चुकी है। चंद्रप्रभा प्रखंड के अधिशासी अभियंता हरेंद्र कुमार ने बताया कि मूसाखांड बांध से पानी छोड़े जाने का क्रम बंद हो गया है। फिलहाल सभी जलाशयों में खरीफ फसल के लिए पर्याप्त पानी मौजूद है।
हालांकि पठारी क्षेत्रों की 12 बंधियों—भोका, मोकरम, गनेशपुर आदि—में पानी की कमी बनी हुई है। इन इलाकों के किसान अभी भी इंद्रदेव की कृपा की प्रतीक्षा में हैं। बारिश नहीं होने से इन बंधियों में जल संचयन नहीं हो सका है, जिससे आगे चलकर जल संकट उत्पन्न हो सकता है।
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