नौगढ़ से अमेरिका की MNC तक जा पहुंचा चंदौली का लाल, शमशेरपुर के गौतम राठौर को मिला 42 लाख का पैकेज
जंगल के गांव से निकलकर टेक वर्ल्ड का सितारा बना गौतम
बहुराष्ट्रीय टेक्नोलॉजी कंपनी में हुआ सेलेक्शन OKTA
शमशेरपुर निवासी संजय सिंह राठौर के पुत्र हैं गौतम राठौर
चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ में छोटे से गांव शमशेरपुर से निकलकर गौतम राठौर ने वो कर दिखाया है, जो कभी एक सपना लगता था। अमेरिका की बहुराष्ट्रीय टेक्नोलॉजी कंपनी OKTA ने उन्हें 42 लाख रुपये सालाना के पैकेज पर चुना है। फिलहाल उनकी नियुक्ति बैंगलोर में हुई है।
आपको बता दें कि गौतम राठौर, शमशेरपुर निवासी श्री संजय सिंह राठौर के पुत्र हैं। उनके गांव में न तो कोई उच्चस्तरीय स्कूल है और न ही आधुनिक संसाधन। मजबूरी में उन्हें वाराणसी और प्रयागराज में रहकर अपनी पढ़ाई पूरी करनी पड़ी। संसाधनों की कमी को उन्होंने कभी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया।

सैनिक स्कूल में मिला था दूसरा स्थान
गौतम ने उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल की प्रवेश परीक्षा में दूसरा स्थान प्राप्त किया था। शुरू से ही वे मेहनती, लक्ष्य केंद्रित और आत्मनिर्भर रहे। उनका मानना है कि हालात चाहे जैसे हों, अगर इरादा मजबूत हो तो मंज़िल दूर नहीं।
संघर्ष के साथी, बड़े पापा बने प्रेरणा स्रोत
गौतम अपने बड़े पिताजी श्री बलिराम सिंह उर्फ गोविंद सिंह को अपना सबसे बड़ा मार्गदर्शक मानते हैं। वे कहते हैं, संघर्ष में टिके रहना, हालात से लड़ना और हार न मानना मैंने अपने बड़े पापा से सीखा। वे हमेशा मुझे हौसला देते रहे, कभी गिरने नहीं दिया। उनके शब्द मेरे लिए दवा की तरह काम करते रहे।”
परदादा प्रसिद्ध नारायण 1893 के प्रयागराज विश्वविद्यालय के स्नातक रहे ...
गौतम के दादा श्रीवंत सिंह एक प्रतिष्ठित समाजसेवी रहे हैं और परदादा प्रसिद्ध नारायण सिंह, जो 1893 में ही प्रयाग विश्वविद्यालय से स्नातक थे, उस समय की एक बड़ी उपलब्धि माने जाते हैं। यह प्रेरक विरासत ही गौतम के चरित्र में ईमानदारी, संघर्ष और सेवा का भाव लाई।
आज जैसे ही यह खबर शमशेरपुर गांव पहुंची, मिठाइयां बांटी गईं, बच्चे और युवा जश्न में झूम उठे। बुजुर्गों ने कहा कि गौतम ने दिखा दिया कि जंगलों से भी सितारे निकल सकते हैं, अगर सपना सच्चा हो और मेहनत पूरी हो, गौतम अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, भाई सिद्धार्थ, बहन आस्था, और अपने पूरे गांव के शुभचिंतकों को देते हैं। उनका मानना है कि यह केवल उनकी नहीं, पूरे क्षेत्र की जीत है। गौतम की सफलता हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़ा सपना देखता है।
यह कहानी बताती है कि अगर जिद हो उड़ान भरने की, तो कोई जंगल रोक नहीं सकता।
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