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टेंडर के 4 महीने बाद भी नहीं शुरू हुआ घोसवा पुलिया का काम, 59 लाख का बजट पास फिर सो रहे ठेकेदार व अफसर

बरहनी ब्लॉक के घोसवा गांव में 12 साल से टूटी पुलिया का निर्माण टेंडर होने के बावजूद अधर में लटका है। 59 लाख की मंजूरी के बाद भी ठेकेदार ने काम शुरू नहीं किया, जिससे ग्रामीण हादसों के साये में जीने को मजबूर हैं।

 

12 वर्षों से जर्जर और रेलिंग विहीन पुलिया

59 लाख रुपये की कार्ययोजना को मिली मंजूरी

टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी निर्माण ठप

सकलडीहा और बरहनी ब्लॉक का प्रमुख संपर्क मार्ग

रात के अंधेरे में नहर में गिरने का बढ़ा खतरा

चंदौली जनपद में सरकारी सिस्टम और ठेकेदारों की जुगलबंदी किस कदर आम आदमी पर भारी पड़ती है, इसकी बानगी बरहनी ब्लॉक के घोसवा गांव में देखने को मिल रही है। नरायनपुर पंप कैनाल से निकली नहर पर स्थित घोसवा पुलिया पिछले 12 वर्षों से जर्जर हाल में है। हैरानी की बात यह है कि प्रशासन ने 59 लाख रुपये का बजट मंजूर कर 4 महीने पहले टेंडर भी कर दिया, लेकिन धरातल पर ईंट तक नहीं रखी गई।

12 साल का इंतजार और प्रशासन की सुस्ती
नरायनपुर पंप कैनाल की नहर पर बनी यह पुलिया पिछले एक दशक से अधिक समय से क्षतिग्रस्त है। इसकी रेलिंग टूटकर नहर में समा चुकी है और रैंप पूरी तरह उखड़ गया है। स्थानीय निवासी मुन्ना के अनुसार, यह पुलिया गांव को सीधे सैयदराजा-जमानिया राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ती है। रेलिंग न होने के कारण रात के समय बाइक सवार और साइकिल चालक अक्सर अनियंत्रित होकर नहर में गिर जाते हैं। ग्रामीण पिछले कई वर्षों से इस पुलिया के नवनिर्माण की मांग कर रहे थे, लेकिन सरकारी फाइलें कछुआ गति से चलती रहीं।

टेंडर के बाद भी नहीं बदली तस्वीर
चंद्रप्रभा प्रखंड के अधिकारियों ने दबाव बढ़ने पर 59 लाख रुपये की कार्ययोजना शासन को भेजी थी। शासन से मंजूरी मिलने के बाद करीब चार माह पूर्व इसकी टेंडर प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई। ग्रामीणों को उम्मीद थी कि अब नए साल से पहले नई पुलिया मिल जाएगी, लेकिन ठेकेदार ने काम शुरू ही नहीं किया। वहीं दूसरी तरफ, इसी नहर पर कपसिया माइनर के हेड पर एक अन्य पुलिया का काम दूसरे ठेकेदार द्वारा तेजी से कराया जा रहा है, जो घोसवा के ग्रामीणों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है।

दो ब्लॉकों का संपर्क मार्ग, बढ़ता खतरा
यह पुलिया मात्र एक गांव की नहीं, बल्कि सकलडीहा और बरहनी ब्लॉक को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण सेतु है। पंचायत प्रतिनिधि अनुज सिंह ने बताया कि टेंडर हुए महीनों बीत गए लेकिन ठेकेदार ने अभी तक निर्माण सामग्री भी मौके पर नहीं गिराई है। ग्रामीण यशवर्धन सिंह का कहना है कि विभाग के चक्कर लगा-लगाकर वे थक चुके हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासनों की घुट्टी पिलाई जा रही है।

अधिकारियों का दावा: ठेकेदार को नोटिस जारी
इस मामले में चंद्रप्रभा प्रखंड के अधिशाषी अभियंता हरेंद्र कुमार का कहना है कि टेंडर की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। उन्होंने स्वीकार किया कि ठेकेदार की लापरवाही के कारण काम शुरू होने में देरी हुई है। विभाग की ओर से ठेकेदार को कार्य तत्काल आरंभ करने के कड़े निर्देश जारी किए गए हैं। यदि जल्द ही निर्माण शुरू नहीं हुआ तो संबंधित एजेंसी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

फिलहाल, घोसवा के ग्रामीणों को एक बार फिर जर्जर और खतरनाक पुलिया के सहारे ही अपनी जान जोखिम में डालकर सफर तय करना पड़ेगा। अब देखना यह है कि प्रशासनिक हंटर के बाद ठेकेदार कब अपनी नींद से जागता है।

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