चंदौली जिले में खुशहाल होंगे बकरी पालने वाले, कृत्रिम गर्भाधान के जरिए होगा ये लाभ
केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान मथुरा की ओर से मिलेगी मदद
नस्ल सुधार और आय वृद्धि के लिए नयी पहल
बकरियों का होगा कृत्रिम गर्भाधान
चंदौली जिले के बकरी पालकों के लिए यह खबर अच्छी है। अब अच्छी नाल और अधिक वजन के बकरे-बकरियां होंगी। इसके लिए जनपद के 9 विकास खंडों में कृत्रिम गर्भाधान को व्यवस्था कराई जाएगी। नई व्यवस्था से पालकों की आय में वृद्धि होगी। पशुपालन विभाग के कर्मचारियों व चिकित्सकों की इसके लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा।
आपको बता दें कि विभाग के अनुसार, केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान मथुरा की ओर से लोकसभा चुनाव के बाद उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। पूर्वांचल के मीरजापुर समेत पश्चिमी यूपी के जिलों में इसको प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। इससे बकरियां बकरियों में नस्ल सुधार तो होगा ही, उनमें बीमारियां फैलने से रोका जा सकेगा। जनपद में मौजूदा समय में 6.47 लाख गौ व महिषवंशी पशुओं का पालन किया जा रहा। इसके अलावा लगभग 87 हजार बकरियां भी पाली जा रहीं।
कहा जा रहा है कि जिले में अभी तक गाय और पैसों का ही कृत्रिम गर्भाधान होता था, लेकिन पहली बार बकरियों का भी कृत्रिम गर्भाधान कराया जाएगा। आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए बकरी पालन एक अच्छा व्यवसाय है।
कई बीमारियों से होगा बचाव
बकरे से बकरियों में फैलने वाले रोगों में भी कमी आएगी। इनमें कई बीमारियां होती हैं, जिनमें मुख्यतः मोनियोसिस, ब्रूसेलोरिस्स, विनिये वत्निकस शामिल हैं। विभाग का मानना है कि कृत्रिम गर्भाधान से इन बीमारियों से बचाव होगा।
गर्भाधान से होंगे ये लाभ
● अच्छी नस्ल की बकरियां पैदा की जा सकती हैं।
● पशुओं के प्रजनन संबंधित रिकार्ड में आसानी होगी।
● अच्छी नस्ल और अधिक वजन के बकरे, बकरियां होंगे।
इन जिलों में शुरू होगी प्रक्रिया
मीरजापुर, कानपुर, हमीरपुर, महोबा, औरया, इटावा, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली, अलीगढ़, पटा, हाथरस, कासगंज, मेरठ, गाजियाबाद, हापुड बागपत् बुलंदशहर, आगरा, मैनपुरी, फिरोजाबाद, मुरादाबाद, रामपुर, संभल, बिजनौर, अमरोहा, बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर, पीलीभीत, झांसी, जालौन, चित्रकूट, बांदा।
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी का दावा
इस संबंध में मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजकिशोर सिंह ने बताया कि कृत्रिम गभर्भाधान के बाद बकरियां उन्नत नस्ल की बकरें और बकरिया पैदा करेंगी। दूध उत्पादन भी बढ़ेगा और बकरियों में होने वाली वीमारियां भी न के बराबर होगी। इससे बकरी पालकों की आय बढ़ेगी।
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