विकास को आईना दिखा रहा है देवकली गांव में बना सचिवालय, 10 साल बाद भी पड़ा है आधा-अधूरा

सचिवालय के ही कैम्पस में चलता है हेल्थ एन्ड वेलनेस सेंटर, जिला सहकारी समिति और ग्राम सचिवालय भी साथ
सचिवालय भवन में न खिड़की लगी और न ही दरवाज़ा
कार्यदायी संस्था काम छोड़कर फरार
ग्रामीणों को नहीं मिल रही हैं समुचित सेवाएं
चंदौली जिले के बरहनी विकास खण्ड के देवकली गांव में दस वर्षों पूर्व में बना ग्राम सचिवालय आज भी धूल फांक रहा है। एक तरफ सरकार गावों के सचिवालयों को कंप्यूटरीकृत करके विकास को नया आयाम देने की बात क़रती हैं, तो वहीं देवकली गांव में बना ग्रामीण सचिवालय शोपीस बना हुआ है|गांव वालों की मानें तो यहां पर दस वर्ष बीत गये, लेकिन गांव के सचिवालय में खिड़की दरवाजा लगाना कार्यदायी संस्था भूल गयी। जिससे गांव में न तो पंचायत की बैठकें होती हैं और न ही गांव के चुने मेंबर्स कभी जान पाते हैं कि विकास की कार्य योजनाए कब और कैसे बनती हैं। गांव में एक भी आंगनबाड़ी सेंटर नहीं है। इसके कारण बच्चे गांव के कंपोजिट विद्यालय में ही अटैच हैं। सभी बच्चे प्राथमिक विद्यालय में ही जाते हैं।

ग्रामीणों ने बताया कि यहाँ हेल्थ एन्ड वेलनेस सेंटर दो सालों से बनकर तैयार हैं। ठेकेदार द्वारा खिड़की दरवाजा नहीं लगाया गया। यहाँ कोई डाक्टर की नियुक्ति नहीं होने से ग्रामीणों को इस बने सेंटर से कोई लाभ नहीं मिलता।
इसी कैंपस में बना सहकारी समिति सेंटर भी जर्जर हालत में हैं। फिर भी किसानों के लिए खाद बीज एवं गेहूँ धान क्रय सेंटर चलता हैं। बिडंबना यह है कि जिस संस्था की बिंडिंग तैयार है, वह संस्था चलती ही नहीं है, जिसका भवन जीर्णशीर्ण हालात में हैं, उसमे क्रय केंद्र चलता हैं। जिससे हमेशा जान का खतरा बना रहता हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी
बाल पुष्टाहार विभाग की सीडीपीओ नंदनी शुक्ला ने बताया कि गांव में आंगनवाड़ी सेंटर बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है। धन मिलते ही आंगनबाड़ी केंद्र बनेगा और बच्चों को सारी सुविधाएं भी मिलेंगी।
बरहनी पीएचसी अधीक्षक डॉक्टर शैलेन्द्र कुमार ने कहा कि कार्यदायी संस्था ने अभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर को हैंड-ओवर नहीं किया है। इसलिए ग्रामीणों को चिकित्सा का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
सुदर्शन प्रसाद का कहना है कि जिला सहकारी समिति का भवन जर्जर होने से यहाँ पर्याप्त खाद नहीं आती है, जिससे किसानों को समय पर खाद नहीं मिल पाती है। किसान कई सालों से परेशान हैं।
गांव के प्रधान हनुमान बिंद का कहना है कि हमारे यहाँ दो आंगनवाड़ी सेंटर चला है। दोनों सेंटर के बच्चे कम्पोजिट विद्यालय पर ही भोजन करते हैं, जिनका राशन उनके द्वारा दिया जाता है। सेंटर कब व कैसे बनेगा, यह तो विभाग ही बता पाएगा।
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