हाईकोर्ट के आदेश के बाद चंदौली सीएमओ पर कसेगा शिकंजा, सचिव के हलफनामे पर सवाल

नागवंशी की याचिका पर होगी 7 नवंबर को अगली सुनवाई
पत्नी की मौत के बाद किया है मुकदमा
अब घेरे में आया है चंदौली का स्वास्थ्य विभाग
चंदौली जिले में विभा सिंह नागवंशी की मौत के बाद हाईकोर्ट में चल रहे मामले में ऐसा लगता है कि जिला प्रशासन और मुख्य चिकित्सा अधिकारी और उनकी टीम पर जल्द ही शिकंजा कसा जाएगा। हाई कोर्ट की खंडपीठ ने वागीश कुमार सिंह नागवंशी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को दिशा निर्देश दिए हैं, जिसमें अपर महाधिवक्ता ने इस मामले में और स्पष्ट जानकारी कोर्ट को देने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा है, जिससे इस मामले की सुनवाई अब 7 नवम्बर को होगी।

कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि चंदौली जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी समेत अन्य अधिकारियों को बचाने के लिए राज्य सरकार के अधिकारियों ने हाई कोर्ट में हलफनामा दिया है, जबकि उनको इन अधिकारियों पर ठोस कार्यवाही करनी करनी चाहिए थी। कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी के बाद अपर महाधिवक्ता पीके गिरी ने इस मामले में और अधिक स्पष्ट जानकारी कोर्ट को देने के लिए समय मांगा है, जिससे चंदौली जनपद के जुड़े इस मामले में अगली सुनवाई 7 नवंबर को की जाएगी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी और प्रशांत कुमार के खंडपीठ ने वागीश कुमार सिंह नागवंशी की याचिका की सुनवाई के दौरान सरकारी अधिकारियों को बचाने की कार्यवाही पर नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने चंदौली जिले के संबंधित अस्पताल और डायग्नोस्टिक सेंटर को नोटिस जारी करके जवाब मांगा था और कहा था की सचिव स्तर के अधिकारी मामले में अपना हलफनामा दाखिल करें। इस मामले में सचिव ने हलफनामा दाखिल करके बताया कि चंदौली जिला अधिकारी में सीएमओ के खिलाफ शिकायत दर्ज की है और जांच कमेटी भी गठित की गई है।
कोर्ट ने जवाब पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विपरीत सीएमओ ने अस्पताल की शिकायत को दरकिनार करके उसका पंजीकरण रिन्यूवल कर दिया। ऐसा लग रहा है कि सचिव हलफनामा अधिकारियों को बचाने के लिए दे रहे हैं।
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