DM साहब इसके लिए खोजिए जमीन : 162 लाख की लागत से बनने वाला हाईटेक मिनी सेंटर ढाई साल से अधर में

इजराइली तकनीक पर आधारित हाईटेक नर्सरी योजना अधर में लटकी
जमीन चिह्नित न होने से नहीं हो पा रहा स्थापित
ढाई साल से जिले में भूमि तलाश कर रहा उद्यान विभाग
चंदौली जिले के किसानों को सब्जियों की उन्नत खेती के जरिए आर्थिक रुप से समृद्ध करने की योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है। इसके लिए मौसमी सब्जियों की नर्सरी तैयार करने के लिए करीब 162.41 लाख की लागत से इजराइली तकनीक पर आधारित हाईटेक मिनी सेंटर बननाहै। उद्यान विभाग की ओर से करीब ढाई साल से जमीन की तलाश की जा रही है लेकिन अब तक जमीन चिह्नित नहीं होने के चलते अभी तक सेंटर स्थापित नहीं हो सका है। इससे हाईटेक मिनी सेंटर अधर में लटका हुआ है।

आकांक्षात्मक जिलों में शामिल धान का कटोरा कहे जाने वाले इस जिले में किसानों की आय दो गुनी करने और रोजगार की संभावना के दृष्टिगत प्रदेश सरकार की ओर से शंकर शाकभाजी एवं बेहन उत्पादन के लिए इजराइली तकनीक पर आधारित हाईटेक नर्सरी और हाईटेक वेजीटेबल सीडलिंग उत्पादन इकाई स्थापित किया जाना है। इसके तहत उद्यान विभाग की ओर से मिनी सेंटर आफ एक्सीलेंस फार वेजीटेबल का निर्माण कराया जाना है। इस सेंटर का निर्माण मनरेगा योजना के धन से कराया जाएगा। इसमें 162.41 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। जिसमें 6.39 श्रमांश में और 156.02 लाख रुपये सामाग्री में खर्च होंगे। सेंटर निर्माण के बाद उसमें मौसमी सब्जियों की नर्सरी तैयार की जाएगी। ताकि किसानों को उच्च गुणवत्ता की लौकी, नेनुआ, मिर्च, टमाटर, करैला आदि अन्य सब्जियां मुहैया करायी जा सके। इससे रोजगार के सृजन होंगे। साथ ही किसानों की आय दोगुनी होगी। वहीं धान का कटोरा सब्जी के क्षेत्र में भी पहचान बनाएगा। मिनी सेंटर आफ एक्सीलेंस फार वेजीटेबल का निर्माण के लिए सबसे पहले विकास भवन के पास कृषि विभाग की जमीन चिह्नित की गई थी। लेकिन तकनीकी दिक्कतों के चलते वहां जमीन उपलब्ध नहीं हो पायी।

इससे अन्य जगह पर जमीन की तलाश शुरू की गई। जिला प्रशासन के निर्देश पर उद्यान विभाग ने चकिया और सकलडीहा तहसील में क्षेत्र में जमीन की तलाश की लेकिन इसमें कामयाबी नहीं मिल सकी। उद्यान विभाग की ओर से जमीन चयनित होने के बाद मिनी सेंटर स्थापित करने की प्रक्रिया तेज कर दी जाएगी।
सेंटर का संचालन करेगा स्वयं सहायता समूह
चंदौली। हाईटेक वेजीटेबल सीडलिंग उत्पादन इकाई का संचालन से अर्जित होने वाले लाभांश में अधिकृत स्वयं सहायता समूहों एवं भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान केंद्र के माध्यम से 80 व 20 प्रतिशत के अनुपात हिस्सेदारी होगी। इसमें 20 फीसदी स्वयं सहायता समूहों के महिला सदस्यों को आवश्यक प्रशिक्षण देने के साथ समय-समय पर स्थापित इकाई के मेंटेनेंस व अपग्रेडेशन का कार्य किया जाएगा। वहीं अधिकृत स्वयं सहायता समूह अर्जित होने वाला 80 प्रतिशत धनराशि इकाई के संचालन के लिए वर्किंग कैपिटल की व्यवस्था होगी। शेष धनराशि सदस्यों में मानदेय के रूप में वितरित की जाएगी।
इस संबंध में जिला उद्यान अधिकारी शैलेंद्र दुबे ने बताया कि हाईटेक वेजीटेबल इकाई स्थापित कराने के लिए कई जगह जमीन देखी गई। एक-दो जगह जमीन चिह्नित भी की गई। लेकिन वह मानक को पूरा नहीं किया। फिलहाल जमीन तलाशी जा रही है। जमीन चयनित होने के बाद हाईटेक मिनी सेंटर स्थापित करने की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।
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