हाईवे को लेकर मोदी सरकार की नयी योजना, हाईवे और एक्सप्रेस वे के लेन ऐसे होंगे डिसाइड

अगले 2 साल में न्यूनतम 4 लेन के होंगे सभी राजमार्ग
सेंजर कार यूनिट के आधार पर बनाया जा रहा है मानक
हाईवे का मानक उदार बनाने की है तैयारी
जानिए हाईवे और एक्सप्रेस वे के लेन का कैसे होगा निर्धारण
मोदी सरकार ने सड़क परिवहन मंत्रालय को सड़कों को और बेहतर बनाने के लिए छूट दे रखी है। इसीलिए राजमार्गों को लेकर नए-नए प्रोजेक्ट बन रहे हैं। फिलहाल 10 लाख करोड़ रुपये के खर्च के साथ 25,000 किलोमीटर के दो लेन वाले हाईवे को न्यूनतम चार लेन का बनाने की घोषणा के साथ सड़क परिवहन मंत्रालय राजमार्गों की चौड़ाई बढ़ाने के लिए नियमों को उदार बनाने जा रहा है।

आपको बता दें कि कोई हाईवे और एक्सप्रेस वे कितने लेन का होगा, इसका निर्णय वाहनों की संभावित संख्या को ध्यान में रखते हुए लिया जाता है। मंत्रालय जल्द ही इससे संबंधित नई नीति जारी करेगा, जिसमें वाहनों के प्रोजेक्शन को लेकर अधिक वैज्ञानिक तौर-तरीका अपनाने के साथ ही दस-बीस वर्षों की जरूरतों का ध्यान रखा जाएगा।
अभी दो लेन के हाईवे के लिए न्यूनतम 12,500 पीसीयू (पैसेंजर कार यूनिट) प्रतिदिन का मानक निर्धारित है। पीसीयू यातायात के प्रवाह अर्थात सड़कों पर वाहनों के प्रभाव को मापने की इकाई है और यह एक सामान्य कार के बराबर मानी जाती है।
ये है लेन का असली मानक
इसी अनुपात में दोपहिया के लिए 0.5 और भारी वाहनों के लिए 2.5 से 3.5 पीसीयू की गणना की जाती है। नए नियमों के तहत 12,000 पीसीयू राजमार्गों को चार लेन का बनाने के लिए पर्याप्त होगा। इसी आधार पर मंत्रालय ने फोर लेन के उन हाईवे का आडिट कराया है जहां प्रतिदिन बीस हजार पीसीयू का मानक पार हो जाता है। इन सभी को छह लेन का बनाया जाएगा। 30,000 पीसीयू वाले हाईवे आठ लेन के बनेंगे।

सूत्रों के अनुसार, मंत्रालय ने नए हाईवे व एक्सप्रेसवे निर्माण के प्रोजेक्टों के साथ पहले बने हाईवे के ढांचे को मजबूत करने का फैसला किया है। चार और छह लेन के सभी हाईवे को इलेक्ट्रानिक मानिटरिंग से भी लैस करने की तैयारी है। इसके लिए पूरे नेटवर्क की जियो फेंसिंग कर ली गई है। दो लेन के समस्त हाईवे को चौड़ा करने की डीपीआर तैयार कर ली गई है। चार और छह लेन के 16,422 किमी को आठ लेन तक चौड़ा करने की योजना को तीन वर्ष में पूरा किया जाएगा।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मंत्रालय ने राज्यों के राजमार्गों को अपने हाथ में लेने के बजाय अपने नेटवर्क पर ज्यादा ध्यान देने का फैसला किया है। बड़ा कारण स्टेट हाईवे में मरम्मत और रखरखाव के अनुबंध न होना है। केंद्र सरकार अब अपने रोड प्रोजेक्टों में खामियों को दूर करने की जिम्मेदारी ठेकेदारों पर डाल रही है। राज्यों में उनके लोक निर्माण विभागों की सड़कों के मामले में ऐसी व्यवस्था नहीं है।
चंदौली जिले की खबरों को सबसे पहले पढ़ने और जानने के लिए चंदौली समाचार के टेलीग्राम से जुड़े।*