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देवदरी व राजदरी में पर्यटन बढ़ाने के लिए बनाएं प्लान, देना होगा खास तरह के ऑफर

चंदौली जिले के चकिया के राजदरी-देवदरी जलप्रपात को ईको टूरिज्म के तहत विकसित किए जाने के बाद भी नववर्ष के प्रथम व दूसरे दिन विदेशी पर्यटक नहीं पहुंचे।
 

गत वर्ष की तुलना में पांच हजार बढ़ गया राजदरी का राजस्व

नूतन वर्ष पर भारतीय पर्यटकों की संख्या रही 986

दो वर्षों से कम पहुंच रहे पर्यटक 

चंदौली जिले के चकिया के राजदरी-देवदरी जलप्रपात को ईको टूरिज्म के तहत विकसित किए जाने के बाद भी नववर्ष के प्रथम व दूसरे दिन विदेशी पर्यटक नहीं पहुंचे। विदेशी एक भी पर्यटक के नहीं पहुंचने से वन विभाग के अधिकारी, कर्मचारी मायूस रहे। हालांकि भारतीय पर्यटकों का तांता लगा रहा। कहा जा रहा है कि अफसरों को पर्यटन बढ़ाने के लिए कोई खास योजना बनाकर काम करना चाहिए और स्कूलों-कॉलेजों व संस्थानों को कुछ आकर्षक ऑपर देने होंगे तो ही यहां पर नियमित पर्यटन बढ़ेगा। 


बताया जा रहा है कि नववर्ष के प्रथम दिन जलप्रपात पर 176 कार, 151 बाइक, छह बस पहुंची। पर्यटकों की संख्या 986 रही। पर्यटकों के वाहन व पर्यटक प्रवेश शुल्क के रूप में कुल 71,120 रुपये राजस्व के रूप में वन विभाग को प्राप्त हुए। जबकि एक जनवरी 2024 को राजदरी देवदरी जलप्रपात पर वाहन व पर्यटकों से प्रवेश शुल्क के रूप में 66,440 रुपये राजस्व के रूप में प्राप्त हुए थे। एक जनवरी वर्ष 2023 को 2,25,750 राजस्य के रूप में वन विभाग को प्राप्त हुए थे। 


इसी प्रकार वर्ष 2022 में नूतन वर्ष पर 1,62,520 राजस्व के रूप में प्राप्त हुए थे। विभागीय आकड़ों पर गौर फरमाएं तो एक जनवरी 2021 को 2,24,550 राजस्य के रूप में प्राप्त हुए थे। एक जनवरी 2020 को एक लाख 32 हजार, एक जनवरी 2019 को एक लाख 25 हजार रुपये राजदरी देवदरी जलप्रपात प्रवेश द्वार से राजस्व वसूली हुई थी। जलप्रपात पर प्रमुख रूप से नववर्ष, स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस पर सैलानियों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि होती है। इस दिन का वन विभाग को बेसब्री से इंतजार रहता है।

अबकी वर्ष भले ही पिछले वर्ष के सापेक्ष में मामूली राजस्व की वृद्धि हुई है। लेकिन पिछले छह वर्षों के रिकार्ड से साफ होता है कि पिछले लगातार दो वर्षों से जलप्रपात पर जाने वाले वाले पर्यटकों की संख्या घटी है। विभाग को अपेक्षाकृत राजस्य की कम हुई है। विभाग पिछले दो वर्ष में घाटे में जा रहा है। आमजन का मानना है कि जलप्रपात को ईको टूरिज्म के तहत बढ़ावा दिया गया। इसके बावजूद पर्यटकों की संख्या में इजाफा नहीं हुआ, बल्कि संख्या घट गई है। जलप्रपात पर स्थित नेचर सेंटर सहित अन्य सुविधाएं वन निगम के हवाले कर देने और बंद पड़े रहने से यह स्थिति उत्पन्न हुई है।


इस सम्बंध में चंद्रप्रभा रेंज के वन क्षेत्राधिकारी योगेश कुमार सिंह ने बताया कि निश्चित तौर पर वन विभाग पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ कार्य कर रहा है। इसके बावजूद राजदरी, देवदरी जलप्रपात पर पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या में पिछले दो वर्ष से गिरावट आना चिंतनीय है। पर्यटकों की संख्या में कमी होने से प्रवेश शुल्क के रूप में लेने वाले कर कम होने राजस्व को भी नुकसान पहुंचा है।

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