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कौन रोकेगा जानलेवा साबित हो रहे डग्गामार ट्रैक्टर, रात में चलते हैं धुंआधार ट्रैक्टर

चंदौली जिले में कृषि कार्य हेतु लिखकर गिट्टी-बालू और मिट्टी का अवैध परिवहन कर रहे ट्रैक्टर जानलेवा साबित हो रहे हैं। डग्गामार ट्रैक्टरों की कमान नौसिखिये चालकों के हाथों में होती है, जिससे आए दिन हादसे होते हैं।
 

कृषि कार्य लिख ट्रैक्टर से कर रहे गिट्टी-बालू और मिट्टी का अवैध परिवहन

परिवहन विभाग और पुलिस की लापरवाही जारी

आए दिन होती हैं दुर्घटनाओं पर दोनों खामोश

हादसों में चार लोगों की जा चुकी है जान

 

चंदौली जिले में कृषि कार्य हेतु लिखकर गिट्टी-बालू और मिट्टी का अवैध परिवहन कर रहे ट्रैक्टर जानलेवा साबित हो रहे हैं। डग्गामार ट्रैक्टरों की कमान नौसिखिये चालकों के हाथों में होती है, जिससे आए दिन हादसे होते हैं। पिछले सात माह में चार लोगों की जान जा चुकी है। परिवहन विभाग और पुलिस की लापरवाही का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

आपको बता दें कि जिले में कृषि कार्य के नाम पर 12,800 ट्रैक्टर पंजीकृत है। इन ट्रैक्टरों से सबसे ज्यादा बिल्डिंग मैटेरियल ढोया जाता है। वहीं, अवैध खनन और मिट्टी, बालू के अवैध परिवहन में भी इनका इस्तेमाल हो रहा है।

बताते चलें कि बालू और मिट्टी ढोने वाले ट्रैक्टर चालक अधिक फेरे लगाने के चक्कर में तेज रफ्तार से भागते हैं, जिससे दुर्घटनाएं होती हैं। इनकी न तो इनके कभी फिटनेस जांच होती और न कागज की। यही नहीं, ज्यादातर ट्रैक्टर चालकों के पास लाइसेंस भी नहीं है।


बिना लाइट और इंडीकेटर के दौड़ते हैं ट्रैक्टर


अवैध परिवहन करने वाले ट्रैक्टर रात में सबसे खतरनाक साबित होते है। ट्रैक्टर ट्रॉली में न तो लाइट लगी होती ओर न इंडीकेटर। ऐसे में रात में ये ट्रैक्टर दुर्घटना का सबब बनते हैं। इसके बाद भी पुलिस और परिवहन विभाग के लोग केवल अपनी मुट्ठी गर्म करके खामोश हैं।


हाईकोर्ट भी जारी कर चुका है आदेश


एक महीने पहले एक मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि पंजीकृत ट्रैक्टर-ट्रॉली का उपयोग गैर कृषि कार्यों के लिए किया जाना केंद्रीय मोटरयान अधिनियम 1988 एवं उत्तर प्रदेश मोटरयान कराधान अधिनियम 1998 का उल्लघंन है। हाईकोर्ट ने कहा था कि परिवहन विभाग से अपेक्षा की जाती है कि अनधिकृत ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर अंकुश लगाए। अगर कानून बनाना पड़े, तो इस दिशा में भी विचार करे।

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