सांसद-विधायकजी सड़क और पुल छोड़ इस पर भी दीजिए ध्यान, इंटीग्रेटेड हेल्थ लैब हो गयी रिजेक्ट
जिला अस्पताल में जमीन नहीं मिलने से प्रोजेक्ट हो गया है कैंसिल
चंदौली में इंटीग्रेटेड हेल्थ लैब का सपना टूटा
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने किया 2 साल पुराना प्रस्ताव निरस्त
90 तरह की जांचों की मिलने वाली थी सुविधा
चंदौली जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त करने की दिशा में चंदौली जिले के लिए प्रस्तावित इंटीग्रेटेड पब्लिक हेल्थ लैब (IPHL) योजना पर पानी फिर गया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) ने दो वर्ष पूर्व मंजूर इस परियोजना को अब निरस्त कर दिया है। कारण स्पष्ट है—जिला अस्पताल परिसर में इसके निर्माण हेतु पर्याप्त भूमि की अनुपलब्धता है।
90 प्रकार की जांचें होनी थीं संभव
इस अत्याधुनिक लैब में 90 तरह की जांचों की सुविधा मिलने वाली थी। इनमें वायरल, बैक्टीरियल और अन्य गंभीर बीमारियों की माइक्रोबायोलॉजिकल जांच भी शामिल थी। योजना का उद्देश्य था कि मरीजों को एक ही छत के नीचे गुणवत्तापूर्ण और समयबद्ध जांच सुविधा उपलब्ध हो।
वर्तमान लैब सेवाएं सीमित
फिलहाल जिला अस्पताल में केवल सीमित जांचें जैसे-एलएफटी (LFT), केएफटी (KFT), डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड, एचआईवी, हेपेटाइटिस बी/सी, कैल्शियम व लिपिड प्रोफाइल ही उपलब्ध हो पाती हैं। इनके अलावा बाकी जांचों के लिए मरीजों को निजी लैब की शरण लेनी पड़ती है, जिससे ना केवल आर्थिक बोझ बढ़ता है, बल्कि रिपोर्ट की विश्वसनीयता को लेकर भी शंका बनी रहती है।
इन गंभीर बीमारियों की होनी थी सुविधा
इंटीग्रेटेड लैब में निम्नलिखित गंभीर और संचारी रोगों से संबंधित जांच शामिल की जानी थीं, जिसमें चिकनगुनिया, स्क्रब टाइफस, डायरिया, कालाजार, एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES), टीबी, कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग, अल्जाइमर, मोतियाबिंद सहित अन्य गैर-संक्रामक रोग शामिल थे।
चिकित्सा महाविद्यालय के अधीन गया जिला अस्पताल
अब जिला अस्पताल चंदौली राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय के प्रशासनिक नियंत्रण में आ चुका है। इससे पहले प्रस्ताव जिला अस्पताल स्तर पर भेजा गया था। नई व्यवस्था के तहत यदि दोबारा योजना को पुनर्जीवित करना हो, तो मेडिकल कॉलेज प्रशासन से भूमि उपलब्धता की अनुमति लेकर नए सिरे से प्रस्ताव भेजना होगा।
प्राचार्य डा. अमित सिंह का बयान
प्राचार्य डा. अमित सिंह ने बताया कि यह योजना मेरे कार्यकाल से पूर्व की है। भूमि की कमी के कारण प्रस्ताव को निरस्त किया गया है। हम दोबारा प्रयास करेंगे कि जमीन चिन्हित कर योजना को आगे बढ़ाया जा सके। यदि यह लैब बनती है, तो मरीजों को बहुत सहूलियत मिलेगी।
विकल्पों की कमी से जूझते मरीज
गांव-देहात से आने वाले सैकड़ों मरीजों को अक्सर रिपोर्ट के लिए दो-दो दिन इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में एक आधुनिक लैब की सुविधा जिले के स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत कर सकती थी।
चंदौली जैसे आकांक्षी जिले में IPHL जैसी सुविधा का न बन पाना स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बड़ा झटका है। अब जिम्मेदारी प्रशासनिक इकाइयों की है कि भूमि चिन्हित कर इस योजना को पुनः आगे बढ़ाएं, ताकि स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे।
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