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चंदौली जिले में फेल हो रहा है इन्वेस्टर्स समिट का सपना, उद्योगों की रफ्तार धीमी होने से खुश नहीं हैं इंन्वेस्टर्स

 चंदौली में निवेश की अपार संभावनाओं के बावजूद जमीन की उपलब्धता और विभागीय प्रक्रियाओं में विलंब उद्योगों की राह में सबसे बड़ी अड़चन बनकर खड़ी हैं। प्रशासन को तेज निर्णय प्रक्रिया और व्यवस्थित समन्वय से निवेशकों का भरोसा फिर से जीतना होगा।
 

जमीन और एनओसी बनीं सबसे बड़ी अड़चन

इन्वेस्टर्स समिट के 289 में से 41 एमओयू रद्द

21 उद्यमी रुचि नहीं दिखा रहे

उद्योग विभाग के मुताबिक 99 उद्यमियों को भूमि उपलब्ध कराई

चंदौली जिले में इन्वेस्टर्स समिट के दौरान हुए निवेश करारों को धरातल पर उतारने में भूमि और विभागीय प्रक्रिया सबसे बड़ी बाधा बनकर सामने आ रही है। बीते दो वर्षों में हुए 248 निवेश प्रस्तावों में से केवल 67 उद्योग ही शुरू हो सके हैं, जबकि बाकी अभी भी कागजों तक ही सीमित हैं। इसके लिए तमाम तरह की अड़चनें गिनायी जा रही हैं और इन्वेस्टर्स समिट के सपने को साकार करने के बजाय बहाने बनाए जा रहे हैं। 

99 उद्योगों को जमीन मिली, 137 को अभी तलाश

उद्योग विभाग के मुताबिक अब तक 99 उद्यमियों को भूमि उपलब्ध कराई जा चुकी है। वहीं, 137 उद्यमी अब भी भूमि का इंतजार कर रहे हैं, जबकि 21 उद्यमी ऐसे भी हैं जिन्होंने एमओयू तो किया था, लेकिन अब उद्योग स्थापित करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे।

इन्वेस्टर्स समिट के दौरान कुल 289 एमओयू हुए थे। जिनकी कुल लागत 35639 करोड़ रुपये आंकी गई थी। लेकिन इनमें से 41 एमओयू वापस लिए जा चुके हैं। अब तक स्थापित उद्योगों की लागत लगभग 19642 करोड़ रुपये है, जिससे 205 लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है।

टूरिज्म से लेकर हैंडलूम तक के उद्योग शुरू

अब तक जो 67 उद्योग धरातल पर उतरे हैं उनमें टूरिज्म, डेयरी, एक्साइज, हैंडलूम, आयुष, कोल्ड स्टोरेज और एमएसएमई एक्सपोर्ट यूनिट्स शामिल हैं। चार अन्य उद्योग अंतिम चरण में हैं और उन्हें भी शीघ्र पोर्टल पर अपडेट किया जाएगा।

प्रक्रियात्मक अड़चनें भी बनीं बाधा

उद्यमियों को उद्योग लगाने के लिए जरूरी एनओसी, लाइसेंस, धारा 80 की प्रक्रिया और ग्राउंड वाटर अनुमति जैसे विभागीय कार्यों में देरी हो रही है। राज्य सरकार ने भले ही सिंगल विंडो सिस्टम शुरू किया हो लेकिन उसकी रफ्तार अब भी उम्मीदों पर खरी नहीं उतर रही।

अधिकारियों का दावा - हर समस्या का हल संभव

उद्योग उपायुक्त सिद्धार्थ यादव के मुताबिक हम एमओयू के लक्ष्य को शत-प्रतिशत पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं। जमीन की समस्या को सुलझाने के प्रयास हो रहे हैं। यदि किसी उद्यमी को कोई परेशानी है, तो वे हमसे सीधे संपर्क कर सकते हैं। हर समस्या का समाधान संभव है।

 चंदौली में निवेश की अपार संभावनाओं के बावजूद जमीन की उपलब्धता और विभागीय प्रक्रियाओं में विलंब उद्योगों की राह में सबसे बड़ी अड़चन बनकर खड़ी हैं। प्रशासन को तेज निर्णय प्रक्रिया और व्यवस्थित समन्वय से निवेशकों का भरोसा फिर से जीतना होगा।

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