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नहरों में पानी नहीं, खेतों में सूखा: सिंचाई संकट से जूझ रहे 20 गांव के किसान

नरवन क्षेत्र को सिंचित क्षेत्र में गिना जाता है और यहां नहरों का एक मजबूत जाल बिछा हुआ है। लेकिन इस समय स्थिति यह है कि खेतों तक पानी पहुंचाना किसानों के लिए एक सपने जैसा बन गया है। किसान रात-दिन नहरों का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन नहरें सूखी पड़ी हैं।
 

नहरों में पानी का घोर अभाव

धान की नर्सरी डालना हुआ मुश्किल

अमड़ा बड़ी नहर सूखी

टेल तक नहीं पहुंच रहा पानी

20 गांवों के दो हजार एकड़ खेत सिंचाई के बिना बेहाल

चंदौली जनपद के बरहनी ब्लॉक अंतर्गत नरवन क्षेत्र के किसान इन दिनों गहरे संकट से जूझ रहे हैं। क्षेत्र की अधिकांश नहरें सूखी पड़ी हैं, जिससे धान की नर्सरी डालने में भारी दिक्कतें आ रही हैं। जिन किसानों ने किसी तरह नर्सरी डाल भी ली है, वह भी पानी की कमी के चलते सूखने की कगार पर है। इससे किसान वर्ग में गहरी नाराजगी और चिंता व्याप्त है।

खासतौर पर नारायणपुर से निकली अमड़ा बड़ी नहर में इस समय पानी बिल्कुल नहीं है, जिससे इससे जुड़ी दर्जनों छोटी नहरें पूरी तरह सूखी हैं। यह बड़ी नहर लगभग 20 गांवों के दो हजार एकड़ खेतों की सिंचाई का एकमात्र मुख्य स्रोत है। बावजूद इसके नहर में पानी न होना प्रशासनिक उदासीनता और सिंचाई विभाग की विफलता को उजागर करता है।

नरवन क्षेत्र को सिंचित क्षेत्र में गिना जाता है और यहां नहरों का एक मजबूत जाल बिछा हुआ है। लेकिन इस समय स्थिति यह है कि खेतों तक पानी पहुंचाना किसानों के लिए एक सपने जैसा बन गया है। किसान रात-दिन नहरों का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन नहरें सूखी पड़ी हैं।

इन गांवों के किसान सबसे ज्यादा प्रभावित हैं:
कंदवा, ककरैत, बहेरा, अरंगी, अदसड़, धोना, तंवागढ़, मुड़ड़ा, धनाइतपुर, घोसवा, बरहनी, महुंजी, खुरहट, तेल्हारा, बकौड़ी, सिसौड़ा जैसे गांवों की छोटी माइनर नहरें भी पूरी तरह सूख चुकी हैं।

किसानों का कहना है कि यदि जल्द ही नहरों में पानी नहीं छोड़ा गया तो धान की पूरी फसल चौपट हो जाएगी। इससे न केवल आर्थिक नुकसान होगा बल्कि अन्न संकट भी गहराने की आशंका है। कई किसानों ने आरोप लगाया कि सिंचाई विभाग की लापरवाही और समय पर नहर सफाई न कराए जाने के चलते यह स्थिति बनी है।

बताते चलें कि परगना में मुख्य नहर भगवान तालाब से लेकर अमड़ा बड़ी नहर में मूंसाखाड़ बांध सहित गंगा में लगे नारायनपुर कैनाल का भी समय-समय पर पानी आता है। किसानों की माने तो नहर तटबंध क्षतिग्रस्त, सिल्ट, घास फूस की समय से सफाई न होने से टेल तक पानी नहीं पहुंच पाता है। इस बार तो कुछ नहर की सफाई हुई है, लेकिन पानी अमड़ा नहर में घोसवा के आगे तली में दिख रहा है।

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