बदहाल नहरें किसानों पर पड़ रही भारी, रोपाई से पहले पानी पहुंचाना चुनौती

सिंचाई विभाग की लापरवाही से किसानों की बढ़ी चिंता
365 नहरों में कई टेल तक नहीं पहुंच रहा पानी
चकिया, शिकारगंज, इलिया में नहरों की हालत जर्जर
किसानों ने आंदोलन की दी चेतावनी
चंदौली जिले में सिंचाई विभाग की उपेक्षात्मक नीति और सरकारी मशीनरी की उदासीनता का खामियाजा इस बार भी किसानों को भुगतना पड़ रहा है। धान की रोपाई का समय नजदीक आते ही किसानों की चिंता बढ़ गई है क्योंकि अधिकांश नहरें और माइनरें जर्जर, कटी-फटी और घास-झाड़ियों से पटी पड़ी हैं। परिणामस्वरूप किसानों के खेतों तक समय पर पानी नहीं पहुंच पा रहा है।

जनपद में नरायनपुर, लघुडाल, भूपौली, कर्मनाशा, चंद्रप्रभा, कूड़ा रजवाहा और नेवाजगंज नहर प्रणाली से 365 नहरें निकलती हैं, लेकिन इनमें 366 टेल ऐसे हैं जहां वर्षों से पानी नहीं पहुंचता। जागरण की टीम ने शुक्रवार को चकिया, शिकारगंज और इलिया क्षेत्र में नहरों की हकीकत की पड़ताल की तो स्थिति बेहद खराब मिली। कुछ जगहों पर सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूरी होती नजर आई।

शिकारगंज में हालात खराब
शिकारगंज क्षेत्र में जैसे-जैसे रोपाई का समय पास आ रहा है, किसानों की परेशानी बढ़ती जा रही है। यहां की नहरें और माइनरें उपेक्षा की वजह से बेकार हो चुकी हैं। भोका बांध, गुलाल बांध और विहड़ी बंधी से निकलने वाली नहरों में कई वर्षों से सफाई नहीं हुई। इनमें से अधिकांश नहरें कटी-फटी, जाम और घनी झाड़ियों से भरी हैं, जिससे पानी का बहाव रुक जाता है।
चकिया में भी दुर्दशा
चकिया क्षेत्र में चंद्रप्रभा और कर्मनाशा सिस्टम की नहरों की हालत भी खस्ता है। लतीफशाह बीयर से निकली लालपुर और बोदारा माइनर, घनावल रजवाहा से जुड़ी मवैया, करेमुआ, गुलगुलिया मैनपुर नवीन माइनर, रामपुर कला, इस्माइलपुर, राम लक्ष्मणपुर माइनर समेत दर्जनों नहरें और माइनरें घास-फूस और गाद से भरी हुई हैं। कई जगह अतिक्रमण और तटबंध कटान ने भी स्थिति और खराब कर दी है।
इलिया में गहराया किसानों का गुस्सा
इलिया क्षेत्र के जनकपुर माइनर की सफाई न होने से किसानों में आक्रोश है। किसानों का आरोप है कि विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के चलते समय रहते सफाई नहीं हुई, जिससे रोपाई के वक्त पानी की किल्लत हो रही है। किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द सफाई शुरू नहीं हुई तो वे धरना-प्रदर्शन करेंगे।
किसान कपिल देव सिंह, अखिलेश द्विवेदी, नंदलाल सिंह और लालजी सिंह ने कहा कि हर साल की तरह इस बार भी सिंचाई विभाग ने सफाई को गंभीरता से नहीं लिया। गाद और झाड़ियों के चलते पानी का बहाव बाधित है और इससे फसल बर्बादी की आशंका बढ़ गई है। सरोज यादव ने बताया कि उनके गांव में आंशिक सफाई हुई है लेकिन टेल के किसानों तक पानी पहुंचना अब भी मुश्किल है। प्रदीप यादव ने कहा कि हर बार आश्वासन मिलता है लेकिन नतीजा शून्य ही रहता है।
किसान रामरूप यादव ने कहा कि डीजल पंप और निजी ट्यूबवेल से सिंचाई करना आसान नहीं है क्योंकि छोटे जोत में लागत बहुत बढ़ जाती है। सुनील पटेल ने कहा कि शिकारगंज रजवाहा के किसानों के खेतों तक पानी ले जाने के लिए कुलावा ही नहीं बनाया गया है।
विधायक और सिंचाई विभाग का पक्ष
चकिया विधायक कैलाश आचार्य ने कहा कि विधानसभा सत्र में उन्होंने बांध, बंधी और नहरों की बदहाली का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा कि शासन ने नहरों और माइनरों को दुरुस्त करने का निर्देश दिया है और सिंचाई विभाग टेल तक पानी पहुंचाने के लिए कटिबद्ध है। जहां भी काम बाकी है, वहां जल्द पूरा कराने का आदेश दिया गया है।
अधिशासी अभियंता चंद्रप्रभा हरेंद्र कुमार ने कहा कि नहरों की सफाई अक्टूबर-नवंबर में कराई जाती है, लेकिन किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने आश्वासन दिया कि जहां सफाई शेष है वहां जल्द कार्य शुरू किया जाएगा।
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