बंदरगाह विस्तार के विरोध में गंगा में उतरे ग्रामीण, परियोजना को रद्द करने के लिए जल सत्याग्रह

मिल्कीपुर और ताहिरपुर गांवों के ग्रामीणों ने गंगा में खड़े होकर जताया विरोध
भूमि अधिग्रहण के खिलाफ माझी समाज ने खोला मोर्चा
ग्रामीणों बोले-जमीन छोड़ने का मतलब भीख मांगना होगा
चंदौली जिले के मिल्कीपुर और ताहिरपुर गांवों में बंदरगाह विस्तारीकरण के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ ग्रामीणों का विरोध रुकने का नाम नहीं ले रहा है आज ग्रामीणों ने गंगा में खड़े होकर भारी विरोध किया। साथ ही साथ सरकार के सामने अपनी पीड़ा रखते हुए बताया कि जमीन देने के बाद वे लोग किस तरह से भीख मांगने के लिए मजबूर हो जाएंगे।

आपको बता दें कि मिल्कीपुर, ताहिरपुर, रसूलागंज तथा छोटा मिर्ज़ापुर की 60% आबादी माझी समाज से आती है जिनके परिवार का पालन पोषण मछली तथा नाव संचालन से होता है उन्होंने साफ कहा कि अगर हमें यहां से उजाड़ा जाएगा तों हमारा परिवार भीख मांगने के कगार पर आ जाएगा। इसलिए किसी भी कीमत पर हम अपनी ज़मीन बन्दरगाह तथा फ्रेट विलेज़ के लिए नहीं देंगे। हम सबकी मांग है कि इस फ्रेट विलेज़ परियोजना को रद्द किया जाए।

अपनी मांग को रखते हुए गांव के लोगों ने जल सत्याग्रह किया और चंदौली जिला प्रशासन के साथ-साथ उत्तर प्रदेश और भारत सरकार का ध्यान अपनी और खींचने की कोशिश की, ताकि वे लोग अपना अस्तित्व बचा सकें । गांव के लोग जब से इस परियोजना का नाम सुने हैं तब से इसका विरोध कर रहे हैं, लेकिन उनकी पीड़ा सुनने के बजाय लोग उन्हें विस्थापित करने पर तुले हुए हैं।
इस विरोध प्रदर्शन में ईशान मिल्की, डब्लू साहनी, वीरेंद्र साहनी, सुरेश कुमार, नीतीश साहनी, दलसिंगार साहनी, रामधनी साहनी, रामजी साहनी,पप्पू साहनी, शिवानंद साहनी, मनोज साहनी, दिलीप साहनी, विद्याधर जी, अखिलेश सिंह, चंद्र प्रकाश मौर्या, शिवम् साहनी, मनोहर साहनी, बबलू साहनी, अमरेश कुशवाहा, डा. विनोद कुमार, मिश्रिलाल सोनकर इत्यादि लोग मौजूद रहे।
चंदौली जिले की खबरों को सबसे पहले पढ़ने और जानने के लिए चंदौली समाचार के टेलीग्राम से जुड़े।*