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मेडिकल कॉलेज शुरू होने पर मिलने लगेंगी विशेषज्ञों की सेवाएं, सुधरेगी जिला अस्पताल की हालत

चंदौली जिले के पंडित कमलापति त्रिपाठी संयुक्त जिला चिकित्सालय की समस्याएं तभी खत्म होंगी, जब मेडिकल कॉलेज बनकर तैयार हो जाएगा और उसकी पढ़ाई शुरू होने के बाद कई विशेषज्ञों की सेवाएं मिलनी शुरू होंगी।
 

न्यूरोलॉजी, यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी तथा न्यूरो सर्जन की जरूरत

कई मशीनें फांक रही हैं धूल

अधिकारी केवल कर रहे हैं पत्राचार

विभाग के आला अफसर नहीं देते हैं ध्यान

चंदौली जिले के पंडित कमलापति त्रिपाठी संयुक्त जिला चिकित्सालय की समस्याएं तभी खत्म होंगी, जब मेडिकल कॉलेज बनकर तैयार हो जाएगा और उसकी पढ़ाई शुरू होने के बाद कई विशेषज्ञों की सेवाएं मिलनी शुरू होंगी। जिले के जिला मुख्यालय के जिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के द्वारा भी ऐसी ही संभावना जताई जा रही है, क्योंकि जिले पर स्पेशलिस्ट चिकित्सकों के साथ-साथ कई तरह की जांच करने वाले कर्मचारियों की कमी है। जिले में न्यूरोलॉजी, यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी तथा न्यूरो सर्जन जैसी की सेवाएं नहीं मिल पाती हैं। इसीलिए जिले के मरीजों को तत्काल वाराणसी के लिए रेफर कर दिया जाता है।

मुख्यालय स्थित पंडित कमलापति त्रिपाठी संयुक्त जिला चिकित्सालय में समस्याएं दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। यहां मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। लेकिन अस्पताल के चिकित्सकों व जांच की बात करें, तो जहां चिकित्सकों की कमी है। वही वर्षों से थायराइड की मशीनें धूल फांक रही है। यही नहीं जनपद के पस सीएससी पर भी कोई विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं।

नौ चिकित्सा विशेषज्ञ कर रहे हैं पढ़ाई 


जिले की आबादी लगभग 21 लाख है। बिहार से सटे होने के कारण के कारण जिले के साथ बिहार के मरीज भी यहां पहुंचते हैं। यहां पर दो जिला अस्पताल, छह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, पांच सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के साथ-साथ अपर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 23, अर्बन प्राथमिक केंद्र दो, उप स्वास्थ्य केंद्र 248 और आरोग्य केंद्र 208 हैं। जहां पर लोगों के इलाज करने की व्यवस्था है। दोनों जिला अस्पतालों को छोड़कर कुल 208 चिकित्सकों के सृजित हैं।

 इसमें नौ चिकित्सा विशेषज्ञ अपनी  पढ़ाई पूरी करने की कोशिश कर रहे हैं और वहीं 199 चिकित्सा लोगों के इलाज के लिए लगे हुए हैं। पंडित कमलापति त्रिपाठी संयुक्त जिला चिकित्सालय के साथ-साथ शहर जिला चिकित्सालय चकिया 100 बेड के है। यहां पर 40 चिकित्सकों की तैनाती जिला अस्पताल में हैं। हजारों लोग इलाज के लिए प्रतिदिन आते हैं,लेकिन प्रमुख चिकित्सकों के न होने के कारण उन्हें गैर जनपदों का सहारा लेना पड़ता है।

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कार्डियोलॉजिस्ट के विशेषज्ञ नहीं


 जनपद चंदौली में स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर बनाने के लिए मेडिकल कॉलेज की स्थापना की गई है जल्द ही उसे बनने की उम्मीद है, लेकिन तमाम सरकारी अस्पताल होने के बाद भी जनपद के दोनों चिकित्सालय में न्यूरोलॉजी, यूरोलॉजी और कार्डियोलॉजिस्ट के विशेषज्ञ नहीं हैं। यही नहीं न्यूरोसर्जन की भी आवश्यकता है। क्योंकि आए दिन सड़क दुर्घटना में घायल होकर पंडित कमलापति त्रिपाठी संयुक्त जिला अस्पताल के इमरजेंसी में 25 से 30 मरीज आते हैं। जिन्हें हेड इंजरी होने के कारण उन्हें वाराणसी मजबूरी में रेफर करना पड़ता है।

जिले में एक वर्षों में लगभग 200 से अधिक मरीजों की हेड इंजरी से वाराणसी जाते समय मौत हो जाती है। यही हाल कार्डियोलॉजिस्ट की भी है। इसमें भी लगभग 100 से अधिक मरीज वाराणसी जाते-जाते मर जाते हैं। अगर यह व्यवस्था मुख्यालय स्थित जिला अस्पताल में होती, तो मरीजों की जान बचती और तीमदारों को आर्थिक क्षति उठानी नहीं पड़ती।

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कब चलेगी थायराइड की मशीन 


मुख्यालय स्थित पंडित कमलापति त्रिपाठी संयुक्त जिला चिकित्सालय के पैथोलॉजी में एक वर्षों से थायराइड मशीन खरीद गई है, लेकिन केमिकल ना होने के कारण जांच आज भी नहीं हो पा रही है। इसके कारण मरीजों व उनके तीमारदारों को गैर जनपदों जाकर जांच करनी होती है। इससे उन्हें आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है। उन्हें बाहर का सहारा लेना पड़ता है। जिससे वह परेशान हो जाते हैं। यह मशीन जल्द चालू हो जाती तो, यहां के मरीज और तीमारदारों को काफी राहत मिल जाती। 

मेडिकल कॉलेज की नोडल अधिकारी व मुख्यालय स्थित पंडित कमलापति त्रिपाठी जिला चिकित्सालय की अधीक्षक डॉ उर्मिला सिंह ने कहा कि जिले में विशेषज्ञों की कमी है, लेकिन मेडिकल कॉलेज से संबद्ध होने के कारण जल्द ही यह व्यवस्था उपलब्ध हो जाएगी। कुछ नए चिकित्सकों के तैनाती हुई है, जिससे मरीजों को जल्द ही राहत मिलेगी।

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