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कन्या सुमंगला योजना के हजारों फॉर्म हो रहे हैं कैंसिल, इन वजहों से नहीं मिलेगा योजना का लाभ

जिन लोगों के आवेदन निरस्त किए गए हैं, उन्हें मोबाइल मैसेज के माध्यम से सूचना भेज दी गई है, साथ ही कन्या सुमंगला वेब पोर्टल पर भी आवेदन निरस्तीकरण का कारण स्पष्ट रूप से दर्ज किया गया है।
 

वाराणसी मंडल में 13,698 आवेदन निरस्त

जौनपुर में सबसे ज्यादा लेकिन चंदौली में सबसे कम

टीकाकरण और आयु संबंधी त्रुटियों से अयोग्य हो जा रहे हैं आवेदक

चंदौली जिले में मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के अंतर्गत वाराणसी मंडल के चार जिलों चंदौली, वाराणसी, जौनपुर और गाजीपुर में कुल 13,698 आवेदन निरस्त कर दिए गए हैं। इनमें जौनपुर जिले के सर्वाधिक 8,396 आवेदन, जबकि चंदौली जिले के सबसे कम 1,089 आवेदन अपात्र पाए गए हैं।

महिला कल्याण विभाग की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, आवेदन निरस्त होने के प्रमुख कारणों में दो से अधिक बच्चों का होना, दस्तावेजों में त्रुटियां, और टीकाकरण अथवा आयु संबंधी गलत जानकारी देना शामिल है। शासन की इस योजना का उद्देश्य बेटियों को जन्म से लेकर उच्च शिक्षा तक आर्थिक सहयोग देकर आत्मनिर्भर बनाना है।

इस वित्तीय वर्ष में चंदौली जिले में कुल 9,270 लाभार्थियों ने आवेदन किया, जिनमें 1,089 आवेदन सत्यापन के दौरान अपात्र पाए गए। इसी तरह गाजीपुर में 6,147 में से 1,720, जौनपुर में 17,959 में से 8,396, और वाराणसी में 15,580 में से 2,493 आवेदन निरस्त किए गए हैं।

विभाग ने बताया कि जिन लोगों के आवेदन निरस्त किए गए हैं, उन्हें मोबाइल मैसेज के माध्यम से सूचना भेज दी गई है, साथ ही कन्या सुमंगला वेब पोर्टल पर भी आवेदन निरस्तीकरण का कारण स्पष्ट रूप से दर्ज किया गया है।

छह चरणों में लाभ की व्यवस्था

मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के तहत बालिकाओं को छह अलग-अलग चरणों में आर्थिक लाभ प्रदान किया जाता है—

  •     जन्म के समय ₹2000
  •     एक वर्ष तक पूर्ण टीकाकरण के बाद ₹1000
  •     कक्षा 1 में प्रवेश पर ₹2000
  •     कक्षा 6 में प्रवेश पर ₹2000
  •     कक्षा 9 में दाखिले पर ₹3000
  •     इंटर के बाद स्नातक या दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स में दाखिले पर ₹5000

योजना के पात्रता मानक

  •     परिवार उत्तर प्रदेश का स्थायी निवासी होना चाहिए।
  •     परिवार की वार्षिक आय ₹3 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए।
  •     केवल दो बच्चों वाले परिवार पात्र होंगे — चाहे एक लड़का और एक लड़की हों या दो लड़कियां।

इस संबंध में जिला प्रोबेशन अधिकारी प्रभात कुमार ने बताया कि अधिकांश आवेदन उन परिवारों के थे जिनके दो से अधिक बच्चे थे या जिनकी बालिकाओं का टीकाकरण पूरा नहीं हुआ था, बावजूद इसके उन्होंने आवेदन कर दिया। इसी कारण से कई आवेदन सत्यापन के दौरान अमान्य पाए गए। उन्होंने कहा कि पात्र अभिभावकों को जागरूक करने और सही जानकारी के साथ आवेदन भरने के लिए विभाग की ओर से लगातार प्रचार-प्रसार अभियान चलाया जा रहा है।

विभागीय अधिकारी ने यह भी कहा कि योजना का उद्देश्य बेटियों के जन्म को प्रोत्साहित करना, उनकी शिक्षा और आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना है। इसलिए सही पात्रता वाले परिवारों को ही योजना का लाभ मिलेगा। आने वाले महीनों में विभाग पुनः अभियान चलाकर नये योग्य लाभार्थियों से आवेदन आमंत्रित करेगा, ताकि वास्तविक जरूरतमंद बालिकाओं तक योजना का लाभ पहुंच सके।

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