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केजी नंदा हॉस्पिटल vs महिला आयोग विवाद : मामला रफा-दफा या होगी जांच व कार्रवाई

चंदौली के केजी नंदा हॉस्पिटल में महिला आयोग सदस्य सुनीता श्रीवास्तव के दौरे के दौरान हंगामा हुआ। डॉक्टर और मरीजों के आक्रोश से मामला बिगड़ा, प्रशासन ने हस्तक्षेप कर शांत कराया।

 
 

केजी नंदा हॉस्पिटल विवाद

महिला आयोग सदस्य का दौरा

डॉक्टर और मरीजों का आक्रोश

सदर कोतवाली पर हंगामा

प्रशासन ने हस्तक्षेप कर शांत कराया

चंदौली जिला मुख्यालय स्थित केजी नंदा हॉस्पिटल बुधवार की रात अचानक चर्चा का केंद्र बन गया। उत्तर प्रदेश महिला आयोग की सदस्य सुनीता श्रीवास्तव के अस्पताल पहुंचने के दौरान हंगामे की स्थिति उत्पन्न हो गई। करीब तीन घंटे तक चले घटनाक्रम ने पूरे जिले में चर्चाओं और कयासों को जन्म दिया।

 महिला आयोग सदस्या की सफाई
प्राप्त जानकारी के अनुसार, महिला आयोग की सदस्य सुनीता श्रीवास्तव किसी शिकायत या निरीक्षण के क्रम में अस्पताल पहुंची थीं। वहां मौजूद महिलाओं से बातचीत के दौरान अचानक माहौल गर्म हो गया। उन्होंने अपने बयान में स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य केवल महिलाओं की समस्याएं सुनना और उनका हाल जानना था। उन्होंने कहा कि किसी प्रकार का विवाद करने का उनका इरादा नहीं था, लेकिन संभवतः डॉक्टरों को किसी बात को लेकर गलतफहमी हो गई। उन्होंने इसे संचार की कमी और गलतफहमी का परिणाम बताया।

 डॉक्टर बोले- मरीजों का आक्रोश भी जायज
वहीं, अस्पताल के संचालक एवं वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. आनंद प्रकाश तिवारी ने कहा कि महिला आयोग सदस्य के अचानक पहुंचने और बातचीत के दौरान मरीजों में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई। इससे मरीज और उनके परिजन उग्र हो गए। डॉक्टर ने बताया कि मरीजों की सुरक्षा और सम्मान को ध्यान में रखते हुए वह स्वयं सदर कोतवाली पहुंचे, जहां समझा-बुझाकर मामला शांत कराया गया।

डॉ. तिवारी ने यह भी कहा कि जो आक्रोश देखने को मिला, वह अस्पताल में इलाज करा रहे मरीजों और उनके परिजनों का था। उनका कहना था कि आरोप-प्रत्यारोप उचित नहीं है और मामला पूरी तरह शांत हो चुका है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि डॉक्टरों की भी एक गरिमा होती है, जिसे अधिकारियों और प्रशासन को ध्यान में रखना चाहिए। इसी क्रम में उन्होंने महिला आयोग सदस्य से स्वयं माफी मांगने की बात कही।

 सदर कोतवाली में हंगामा
घटना के बाद बड़ी संख्या में मरीज और उनके समर्थक सदर कोतवाली पहुंच गए। वहां घंटों तक हंगामा चलता रहा। पुलिस और प्रशासन को स्थिति नियंत्रित करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। अंततः प्रशासन ने दोनों पक्षों को समझा-बुझाकर मामला शांत कराया।

 प्रशासनिक कार्रवाई पर सवाल
फिलहाल दोनों पक्षों के बयानों के बाद मामला शांत बताया जा रहा है। लेकिन यह सवाल बना हुआ है कि क्या इस पूरे घटनाक्रम की कोई औपचारिक जांच होगी या फिर मामला यहीं रफा-दफा कर दिया जाएगा। जनपद में इस विषय पर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं और सबकी नजर प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हुई है।

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