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चंदौली समाचार की ताकत और खबर का असर : दबाव में आया प्रशासन, वापस लेना पड़ा आदेश

गांव के लोगों ने सवाल उठाया कि सांसद कुंवर छोटेलाल खरवार और विधायक कैलाश आचार्य को जनता ने वोट देकर चुना था, लेकिन जब बच्चों का भविष्य दांव पर लगा तो वे समर्थन देने तक नहीं पहुँचे।
 

जनता की लड़ाई में पीछे हट गए सांसद-विधायक

साथ खड़े हुए भीम आर्मी व चंदौली समाचार

नौगढ़ में फिर से खुलेगा प्राथमिक विद्यालय पड़रिया का ताला

चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ में प्राथमिक विद्यालय पड़रिया के बंद होने पर बहाली के लिए लगातार 15 दिन से चल रहे धरना-प्रदर्शन और चंदौली समाचार की लगातार कवरेज के आगे आखिरकार प्रशासन को झुकना पड़ा। पहले विद्यालय विलय का आदेश जारी करने वाले शिक्षा विभाग को अब बैकफुट पर आकर अपना फैसला वापस लेना पड़ा है। यह जीत केवल ग्रामीणों की नहीं, बल्कि मीडिया और जनता की साझी ताकत की है।

गायब रहे सांसद छोटेलाल खरवार और विधायक कैलाश आचार्य 

इस पूरे आंदोलन ने राजनीति के दोहरे चेहरे को भी उजागर किया। गांव के लोगों ने सवाल उठाया कि सांसद कुंवर छोटेलाल खरवार और विधायक कैलाश आचार्य को जनता ने वोट देकर चुना था, लेकिन जब बच्चों का भविष्य दांव पर लगा तो वे समर्थन देने तक नहीं पहुँचे। ग्रामीणों का कहना है कि जब नेता जनता के सुख-दुख में साथ न खड़े हों तो उनकी असली भूमिका सामने आ जाती है।

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जिलाधिकारी को भी सौंपा गया था प्रार्थना पत्र

धरना-प्रदर्शन के बीच महिलाओं ने बच्चों के साथ 18 अगस्त को सम्पूर्ण समाधान दिवस पर नौगढ़ आए जिलाधिकारी चंद्र मोहन गर्ग को प्रार्थना पत्र सौंपा। जिलाधिकारी ने उसी समय तत्काल जांच के आदेश बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) को दिए।

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बीएसए सचिन कुमार का हुआ था घेराव

जिलाधिकारी के संपूर्ण समाधान दिवस में सुनवाई के दौरान जब बेसिक शिक्षा अधिकारी सचिन कुमार तहसील परिसर पहुँचे, तो आक्रोशित महिलाओं ने उनका घेराव कर लिया। ग्रामीणों ने साफ कहा कि बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसी दबाव में बीएसए को मौके पर ही कार्रवाई का आश्वासन देना पड़ा।

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आदेश वापस लेने को मजबूर हुआ विभाग

जिलाधिकारी के आदेश मिलने पर जांच रिपोर्ट और चंदौली समाचार की लगातार खबरों के दबाव के बाद आखिरकार बेसिक शिक्षा विभाग ने अपना आदेश वापस ले लिया। यानी अब प्राथमिक विद्यालय पड़रिया को धनकुवारी में मर्ज नहीं किया जाएगा। ग्रामीणों ने इसे लोकतंत्र और जनआंदोलन की बड़ी जीत बताया।

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आंदोलन में मिला व्यापक समर्थन

धरना-प्रदर्शन को मजबूती देने के लिए भीम आर्मी के जिला अध्यक्ष अनिल कुमार, समाजसेवी अनिल यदुवंशी, जिला पंचायत सदस्य आजाद अंसारी, एडवोकेट राम जियावन सिंह यादव सहित कई बड़े नाम शामिल रहे। वहीं भीम आर्मी के जिला संरक्षक रामचंद्र और पूर्व जिला सचिव श्यामसुंदर लगातार अधिकारियों पर दबाव बनाते रहे।  नौगढ़ दौरे पर आए   शिक्षक नेता एमएलसी लाल बिहारी यादव ने अनिल यदुवंशी के पत्रक को पढ़ने के बाद ग्रामीणों की आवाज को सही ठहराते हुए शासन तक बात पहुँचाने का वादा किया।

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चंदौली समाचार ने निभाई बड़ी भूमिका

  • इस पूरे आंदोलन की असली ताकत बनी चंदौली समाचार।
  • हर दिन की गतिविधि को रिपोर्ट करना
  • ग्रामीणों की आवाज को मंच देना
  • नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के बयानों को प्रकाशित करना
  • और आदेशों की कॉपी सार्वजनिक करना

ये सब चंदौली समाचार ने लगातार किया। यही वजह रही कि मामला दब नहीं पाया और अंततः प्रशासन को बैकफुट पर आना पड़ा।  लोगों का कहना है कि चंदौली समाचार की वजह से ही उनकी लड़ाई सफल हुई। मीडिया ने अगर आवाज न उठाई होती तो बच्चों का भविष्य अंधेरे में चला जाता। अब आदेश वापस लेने के साथ यह साफ हो गया है कि जनता और मीडिया जब साथ खड़े हों, तो प्रशासन को झुकना ही पड़ता है।

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जनता की आवाज, चंदौली समाचार

चंदौली समाचार हमेशा जनता की आवाज बनकर खड़ा रहा है और आगे भी ऐसे हर मुद्दे पर मजबूती से संघर्ष करेगा। यह केवल एक पोर्टल नहीं, बल्कि उन लोगों का साथी है जो न्याय और अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं।

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