जिले का पहला ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टलMovie prime

22 साल का लंबा इंतजार खत्म, चंदौली समाचार की खबर से मिला विधवा शांति देवी को न्याय

जिले के 15 जिलाधिकारी बदल गए, लेकिन बसंत लाल की विधवा 22 साल से अफसरों के पास चक्कर लगा रही है। शांति आज भी अपने परिवार के लिए संघर्ष कर रही है।
 

 विधवा शांति देवी की आवाज बना चंदौली समाचार

बदल गए 15 जिलाधिकारी..22 सालों से दौड़ रही ... शीर्षक से अपडेट हुयी थी खबर

चंदौली समाचार की खबर लायी रंग

22 साल से भटक रही महिला को मिली अपनी जमीन

चंदौली समाचार जनसरोकारों की बात करता है और इसकी खबर का असर भी तेजी से होता है। इसका ताजा नमूना नौगढ़ तहसील इलाके में देखने को मिला। जब एक विधवा का 25 साल का लंबा इंतजार खत्म हुआ और खबर छपने के बाद हरकत में आए तहसील प्रशासन ने मामले का संज्ञान लेकर महिला की मदद की और उसको जमीन पर कब्जा दिलवा दिया। 15 दिसंबर को छपी खबर का असर हो गया है।

कहा जाता है कि किसी का दर्द अगर अपने आप प्रशासन तक नहीं पहुंचता, तो मीडिया उसकी आवाज को वहां तक आसानी से पहुंचा सकती है। यह बात उस समय सच साबित हुई, जब चंदौली समाचार में खबर प्रकाशित होने के बाद 25 वर्षों से न्याय की आस लगाए बैठी विधवा शांति  को आखिरकार उनकी जमीन मिल गई।

khabar Ka Asar

चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ के  तेंदुआ गांव में 22 साल पहले 27 अगस्त 2002 की रात  बसपा के वरिष्ठ नेता और सामाजिक कार्यकर्ता बसंत लाल की नक्सलियों द्वारा बेरहमी से हत्या कर दी थी। इसके बाद जिला प्रशासन ने पीड़ित परिवार को जमीन का पट्टा और सरकारी योजनाओं में संतृप्त करने का भरोसा दिया। लेकिन दो दशकों बाद भी यह वादा अधूरा है। इस दौरान जिले के 15 जिलाधिकारी बदल गए, लेकिन बसंत लाल की विधवा 22 साल से अफसरों के पास चक्कर लगा रही है। शांति आज भी अपने परिवार के लिए संघर्ष कर रही है।

 बसंत लाल की गला रेत कर हत्या के बाद  उनकी पत्नी शांति को दो बीघा जमीन पट्टा के रूप में दी गयी थी। लेकिन विडंबना यह रही कि इस फैसले के बावजूद, प्रशासन की सुस्ती और लापरवाही के चलते उन्हें अपनी ही जमीन नहीं मिल सकी।

चंदौली समाचार की खबर ने जगाई प्रशासन की संवेदनशीलता

शांति देवी ने न्याय के लिए हर दरवाजा खटखटाया—मुख्यमंत्री पोर्टल, संपूर्ण समाधान दिवस, तहसील और जिला मुख्यालय—लेकिन कहीं भी उनकी सुनवाई नहीं हुई। मामला तब सुर्खियों में आया, जब "बदल गए 15 जिलाधिकारी लेकिन अभी तक नहीं मिला जमीन पर कब्जा, 22 सालों से दौड़ लगा रही है विधवा शांति" शीर्षक से यह खबर प्रमुखता से प्रकाशित हुई। इस खबर के बाद प्रशासन हरकत में आया, जिलाधिकारी निखिल टीकाराम फुंडे ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एसडीएम कुंदन राज कपूर को राजस्व जांच के आदेश दिए।

सरकार से मिले पट्टे पर क्यों नहीं मिला हक़

सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब सरकार ने 22 साल पहले ही जमीन आवंटित कर दी थी, तो इसे देने में इतनी देरी क्यों हुई? यह कोई अकेला मामला नहीं है। सरकारी योजनाओं का लाभ तभी मिल पाता है, जब जनता बार-बार दरवाजे खटखटाए या मीडिया मामले को उजागर करे। सवाल यह भी है कि इस दौरान जिन भी अधिकारियों ने इस मामले को नजरअंदाज किया, क्या उन पर कोई कार्रवाई होगी?

22 साल के इंतजार के बाद शांति के आंखों में खुशी के आंसू
एसडीएम कुंदन राज कपूर राजस्व टीम के साथ तेंदुआ गांव पहुंचे और शांति तथा व उनके पुत्र को साथ लेकर उनकी जमीन की पैमाइश कराई। सीमांकन के बाद जब उनसे सहमति मांगी गई, तो उनकी आंखों में आंसू थे, लेकिन इस बार यह आंसू दुख के नहीं, बल्कि 22 साल के संघर्ष के बाद मिली राहत के थे। शांति ने कहा ... हमें बहुत भटकना पड़ा, लेकिन आज हमें हमारी जमीन मिल गई, इसके लिए हम आभारी हैं," शांति देवी ने कहा।

इसे भी पढ़ें - बदल गए 15 जिलाधिकारी लेकिन अभी तक नहीं मिला जमीन पर कब्जा, 22 सालों से दौड़ लगा रही है विधवा शांति

क्या अब प्रशासन सीखेगा सबक
इस मामले ने यह साफ कर दिया कि जब तक जनता अपनी आवाज बुलंद नहीं करेगी और मीडिया इसे ताकत नहीं देगा, तब तक प्रशासन की नींद नहीं खुलेगी। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या भविष्य में प्रशासन ऐसे मामलों में सक्रिय रहेगा या फिर किसी और शांति, निर्मला को न्याय पाने के लिए 22 साल इंतजार करना पड़ेगा।

चंदौली जिले की खबरों को सबसे पहले पढ़ने और जानने के लिए चंदौली समाचार के टेलीग्राम से जुड़े।*