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वित्तीय वर्ष के आखिरी दिन जमकर हुआ लेन-देन, विकास कार्यों के लिए मिले बजट को खपाने की कोशिश

हालांकि यह प्रक्रिया रात 9 बजे तक चलेगी। इससे इसमें इजाफा हो सकता है। इसके पूर्व शनिवार को 48 करोड़ 90 लाख 520 रुपये खर्च किए गए।
 

बजट खर्च करने में जुटे रहे विभागीय अधिकारी व कर्मचारी

खूब लगायी गयी गुणा-गणित

आखिरी 2 दिनों में लगभग 100 करोड़ के भुगतान

चंदौली जिले में वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन अवकाश होने के बावजूद सभी सरकारी कार्यालय खुले रहे। देर शाम तक विभागीय अधिकारी व कर्मचारी शासन से विकास कार्य के लिए मिले बजट को खर्च करने में जुटे रहे। इस दौरान कोषाधिकारी कार्यालय में वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन रविवार को शाम पांच बजे तक लगभग 29 करोड़ सात लाख रुपया विभिन्न मदों में भुगतान हुआ।

वहीं शनिवार को एक दिन में विभिन्न विभागों की ओर से विकास के लिए करीब 48 करोड़ 90 लाख खर्च किए गए। वित्तीय वर्ष समाप्ति को देखते हुए देर शाम तक जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी कार्यालय में शासन से बजट आने का इंतजार होता रहा।

आपको बता दे कि वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक विभागों की ओर से बजट खर्च न होने पर सरेंडर करने की स्थिति को देखते हुए बीते दिनों डीएम निखिल टी फुंडे ने सभी विभागों को रविवार को अवकाश के दिन भी कार्यालय खोलने का निर्देश दिया था ताकि लंबित बिलों का भुगतान कराने के साथ ही शासन से आवंटित बजट का सदुपयोग किया जा सके।

आदेश के तहत जिले में लगभग 55 से ज्यादा विभागों के कार्यालयों के ताले वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन छुट्टी होने के बाद भी खुले रहे। अधिकारी और कर्मचारी विकास कार्यों में किए गए खर्च के बाद बचे धनराशि को सरेंडर करने में लगे रहे। वहीं मुख्य कोषाधिकारी कार्यालय में विभिन्न विभागों की ओर से लंबित भुगतान कराने की होड़ मची रही। इसमें कलक्ट्रेट, विकास विभाग, पीडब्लूडी, सिंचाई, स्वास्थ्य, शिक्षा, समाज कल्याण, कृषि, सहित अन्य विभागों ने शाम पांच बजे तक लगभग 29 करोड़ सात लाख का लंबित भुगतान कराया।

हालांकि यह प्रक्रिया रात 9 बजे तक चलेगी। इससे इसमें इजाफा हो सकता है। इसके पूर्व शनिवार को 48 करोड़ 90 लाख 520 रुपये खर्च किए गए। मुख्य कोषाधिकारी कार्यालय में वरिष्ठ कोषाधिकारी हरिश्चंद्र के अलावा मनीष कुमार, जयप्रकाश, अमितेश, जिलाजीत, रमेश सहित अन्य अधिकारी व कर्मचारी पूरे दिन विभिन्न मदों में लंबित भुगतान करने में लगे रहे।

वहीं जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी कार्यालय में शासन से बजट आने का इंतजार अधिकारी व कर्मचारी करते रहे। ताकि जिले के विकास के लिए विभागों को धनराशि आवंटित की जा सके।

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