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लंपी बीमारी को लेकर पशुविभाग के डॉक्टरों के साथ मीटिंग, डीएम ने दिए कई जरूरी निर्देश

जिलाधिकारी ईशा दुहन ने पशुओं को लम्पी स्किन बीमारी से बचाने हेतु पशुपालकों व जनसमान्य से अपील करते हुए कहा कि यदि किसी पशु में बीमारी के लक्षण दिखते हैं, तो तत्काल निकटतम पशु चिकित्साधिकारी को सूचित करें।
 

पशुओं की बीमारी की रोकथाम के लिए बना कंट्रोल रूम

पशुपालकों के लिए आवश्यक सुझाव


चंदौली जिले के पशुओं में तेजी से फैल रही लम्पी बीमारी के प्रभावी रोकथाम एवं जागरूकता के सम्बंध में बताते हुए जिलाधिकारी ईशा दुहन ने पशुओं को लम्पी स्किन बीमारी से बचाने हेतु पशुपालकों व जनसमान्य से अपील करते हुए कहा कि यदि किसी पशु में बीमारी के लक्षण दिखते हैं, तो तत्काल निकटतम पशु चिकित्साधिकारी को सूचित करें। प्रभावित पशु को अलग रखें, प्रभावित पशु का आवागमन प्रतिबंधित करें।

lumpi virus

लम्पी स्किन बीमारी की रोकथाम हेतु पशुपालकों के लिए आवश्यक सुझाव
1- यह बीमारी एक संक्रामक रोग विषाणु जनित बीमारी है, यह बीमारी गोवंशीय एंव महिषवंशीय पशुओं में पायी जाती है। इसीलिए वर्तमान में जनपद चन्दौली के बाहर गोवंश जाने एंव चन्दौली में बाहर से गोवंश आने पर पूर्णतया प्रतिबन्धित कर दिया गया है। अतः रोग के रोकथाम हेतु कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें ।
2- रोग का संचरण, फैलाव,  प्रसार पशुओ में मक्खी, चिचडी एवं मच्छरों के काटने से होता है।
3- लम्पी स्किन बीमारी के मुख्य लक्षण पशुओं में इस तरह से दिखते हैं.. पशुओ में हल्का बुखार होना , पूरे शरीर पर जगह - जगह नोड्यूल या गाठों का उभरा हुआ दिखाई देना।
4- इस बीमारी से ग्रसित पशुओं की मृत्यु दर अनुमान केवल 1 से 5 प्रतिशत होता है। इसलिए तनाव न लें।
5- बीमारी के रोकथाम एवं नियंत्रण के उपाय करें और कुछ सावधानियां बरतें... जैसे बीमारी से ग्रसित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखें, पशुओं के आसपास साफ-सफाई रखें। 
6- संकमित पशुओं को खाने के लिए संतुलित आहार तथा हरा चारा दें।
7- बीमारी से मृत पशुओं के शव को गहरे गड्ढे में दबा दें। 
8- बीमारी से बचाव हेतु आवलॉ, अश्वगन्धा, गिलोय एंव मुलेठी में से किसी एक को 20 ग्राम की मात्रा में गुड़ मिलाकर सुबह शाम लड्डू बनाकर खिलायें अथवा तुलसी के पत्ते एक मुट्ठी, दालचीनी 05 ग्राम, सोठ पाउडर 05 ग्राम, काली मिर्च 10 नग को गुड़ में मिलाकर सुबह शाम खिलायें। 
9- संक्रमण रोकने के लिए पशु बाड़े में गोबर के कण्डे में गूगल, कपूर, नीम के सूखे पत्ते, लोहबान को डालकर सुबह शाम धुआँ करें। 
10- पशुओं के स्नान के लिए 25 लीटर पानी में एक मुट्ठी नीम की पत्ती का पेस्ट एंव 100 ग्राम फिटकरी मिलाकर प्रयोग करें। घोल के स्नान के बाद सादे पानी से नहलायें ।
11-संक्रमण होने के बाद देशी औषधि व्यवस्था- नीम के पत्ते एक मुट्ठी, तुलसी के पत्ते एक मुट्ठी, लहसुन की कली 10 नग लौग 10 नग , काली मिर्च 10 नग, जीरा 15 ग्राम, हल्दी पाउडर 10 ग्राम, पान के पत्ते 05 नग, छोटे प्याज 02 नग पीसकर गुड़ में मिलाकर सुबह शाम 10-14 दिन तक खिलायें। 
 12- खुले घाव का देशी उपचार भी कर सकते हैं, जिसमें नीम के पत्ते को एक मुट्ठी, तुलसी के पत्ते एक मुट्ठी, मेहंदी के पत्ते एक मुट्ठी, लहसुन की कली, 10 ग्राम हल्दी पाउडर, नारियल का तेल 500 मिली को मिलाकर धीरे-धीरे पकायें तथा ठण्डा होने के बाद नीम की पत्ती पानी में उबालकर पानी से घाव साफ करने के बाद जख्म पर लगायें।
13-किसी भी पशु में बीमारी होने पर नजदीक के पशु चिकित्सालय पर सम्पर्क करके उपचार करायें। किसी भी दशा में बिना पशु चिकित्सक के परामर्श के कोई उपचार स्वयं न करें।
14- 19 सितंबर से जनपद में लम्पी स्किन बीमारी सी बचाव हेतु पशुपालन के कर्मियों द्वारा अभियान चलाकर गोवंशीय पशुओं को टीका निःशुल्क लगाया जा रहा है। 
15- सभी पशुपालक अपने पशुओं को टीका अवश्य लगवायें । कन्ट्रोल रूम का नम्बर -05412262197 , 9792961830 , 8840688479 जारी किया गया।

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