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जिले के इन 15 प्रमुख मुद्दों पर होगी लोकसभा चुनाव में चर्चा, आप भी पूछें नेताओं से सवाल

सकलडीहा व चंदौली मझवार स्टेशन पर मुख्य ट्रेनों के ठहराव की मांग पुरानी है। दूरस्थ इलाकों से कनेक्टिविटी नहीं होने से लोगों को दूसरे दूर के स्टेशनों का रुख करना पड़ता है।
 

चंदौली लोकसभा 2024 का चुनाव

15 मुद्दों पर जनता को पूछना चाहिए सवाल

किस पार्टी के एजेंडे में होंगे ये मुद्दे

प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से सटे चंदौली जिले के लोगों को विकास की दौड़ तेज होने की आस है। नक्सल समस्या ग्रस्त होने से इसका विकास कम हुआ लेकिन अब आकांक्षात्मक जिलों में शामिल करके विकास की गति तेज करने की कोशिश हो रही है। धीरे-धीरे कई योजनाएं धरातल पर उतरने लगीं हैं, जिससे विकास की उम्मीद है। धरातल पर नहरों के जाल से समृद्ध जिले में कृषि सुरक्षा और युवाओं का पलायन रोकने की जरूरत है, लेकि कई चीजों पर सरकार व सत्ताधारी दल के नेताओं का ध्यान नहीं जाता है।
चंदौली जिले में इन 15 मुद्दों पर ध्यान देने के साथ-साथ लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान चर्चा की जरूरत है...

1- गंगा नदी में कटान जिले का बड़ा मुद्दा है। यह पिछले कई चुनावों में उठता तो रहा है लेकिन आज तक स्थायी समाधान नहीं हो पाया। हर साल बाढ़ से धानापुर, चहनियां व नियामताबाद ब्लाक के तटीय गांवों की खेती योग्य भूमि गंगा में समाहित हो रही है। यहां पर छोटे-छोटे कार्य हुए लेकिन कटान के लिए कोई ठोस पॉलिसी नहीं बनायी जा सकी।

2- विश्वविद्यालय व उच्च शिक्षण संस्थान के अभाव में यहां के युवा हर वर्ष दूसरे शहर व प्रदेश का रुख कर रहे है। युवा उच्च शिक्षा के लिए वाराणसी, लखनऊ, प्रयागराज या फिर दिल्ली की ओर चल जाते हैं, जिससे परिजनों पर अनावश्यक बोझ बढ़ता है। इसीलिए जिला मुख्यालय के आसपास विश्वविद्यालय व उच्च शिक्षण संस्थानों का निर्माण किया जाना चाहिए। साथ ही पहले से स्थापित संस्थानों में सुविधाओं को बढ़ाया जाना चाहिए।

3- स्वास्थ्य सुविधा भी बड़ा मुद्दा है, लेकिन मेडिकल कालेज व ट्रॉमा सेंटर बनने के बाद लोगों को थोड़ी सहूलियत मिलेगी। फिलहाल लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए वाराणसी का रुख करना पड़ता है, लेकिन इन जगहों पर सुविधा बहाल कराने में देरी पर देरी की जा रही है।

4- धानापुर में चोचकपुर घाट पर पक्के पुल के निर्माण की आवश्यकता है। हर लोकसभा चुनाव में यह मांग लोगों के बीच जोर पकड़ने लगती है। इस पुल से चंदौली से गाजीपुर में लोगों का आवागमन आसान हो जाएगा।

5- धानापुर को तहसील बनाने का मुद्दा जनता उठाती रही है। सकलडीहा टाउन एरिया तथा चंदौली व चकिया को नगर पालिका बनाने का मुद्दा अहम है। 2022 के विधानसभा चुनाव में भी इसको लेकर मांग उठी तो मुख्यमंत्री योगी ने मंच से आश्वासन दिया था, लेकिन सरकार की ओर से कोई पहल नहीं हुयी है।

6- सकलडीहा व चंदौली मझवार स्टेशन पर मुख्य ट्रेनों के ठहराव की मांग पुरानी है। दूरस्थ इलाकों से कनेक्टिविटी नहीं होने से लोगों को दूसरे दूर के स्टेशनों का रुख करना पड़ता है। सांसद जी कई बार इसके लिए रेलमंत्री को चिट्ठी लिखते हैं, लेकिन 4-5 सालों में एक भी ट्रेन नहीं रुकवा सके।

7- सकलडीहा तहसील में मुंसफ कोर्ट स्थापना की मांग प्रमुख है। इसके नहीं होने से लोगों को दूर-दराज बने कोर्ट में जाकर अपनी समस्याओं का निराकरण करना पड़ता है। ऐसा होने से लोगों को न्याय के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।

8 - नहरों का जाल होने के बाद भी सिंचाई प्रमुख समस्याओं में एक है। खासतौर से खरीफ व रबी के सीजन में नहरों के टेल तक पानी नहीं पहुंच पाता है, जबकि मरम्मत व सफाई के नाम हर वर्ष लाखों खर्च होते हैं, लेकिन केवल कागजों पर साफ-सफाई होती है।

9- वनवासियों को वनाधिकार कानून का लाभ दशकों बाद भी नहीं मिल पाया है। वनों के क्षेत्र में पुराने समय से निवास कर रहे लोगों को सरकारी लाभ का इंतजार आज भी है।

10 - दुर्गम क्षेत्रों में विकास की संभावनाएं है। कई पहाड़ी इलाकों में मोबाइल का नेटवर्क कमजोर है। साथ ही इंटरनेट की सेवाओं के विस्तार की जरूरत होगी।
11. चंदौली जिले में सरकारी परिवहन सेवाएं नहीं होने से लोगों को कई परेशानी का सामना करना पड़ेगा। जिले में न तो डिपो है और न ही हर इलाके के लिए बस सेवा है। पहले चलने वाली सेवाओं को भी अलग-अलग बहाने से बंद कर दिया गया है।

12. चकिया व नौगढ़ के सभी इलाकों में जलापूर्ति के अभाव में चुआड़ दुर्गम इलाकों में राहत आज भी दे रहा है। साथ जिले के अन्य दूर-दराज के इलाकों में शुद्ध पेयजल देने में सरकार असफल रही है।

13. जिला न्यायालय, जिला जेल, खेलकूद के स्टेडियम और अन्य सरकारी विभागों के कार्यालय निर्माण को लेकर जितनी तेजी से पहल होनी चाहिए, लेकिन वह पहल धीमी गति से हो रही है। इससे जिले के लोग ठगा सा महसूस करते रहे।

14. मीडिया के लिए प्रेस क्लब या पत्रकार भवन की जरूरत है ताकि पत्रकारिता के पेशे से जुड़े लोगों को बेहतर सुविधाएं दी जा सकें। इसके लिए सत्ताधारी दल के नेताओं व सरकारों ने कोई पहल नहीं की।

15. जिले में कोई उद्योग लगाने की मांग होनी चाहिए, ताकि यहां के लोगों को काम करने के लिए दूसरे जिलों व राज्यों में न जाना पड़े।

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