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चंदौली के किसानों के लिए खुशखबरी, कुपोषण रहित गांव बनाएंगे कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी

हाल के दिनों में प्रचार प्रसार के माध्यम से जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर किसानों को जैविक खेती अपनाने के प्रति प्रेरित किया गया है, ताकि किसान रासायनिक मुक्त खेती को अपनाकर अपने जीवन को बेहतर बना सकें।
 

मृदा की स्थिति, पशुपालन, बागवानी आदि का भी करेंगे आकलन

ग्रामीणों के स्वास्थ्य की भी कराई जाएगी जांच

किसानों को मिलेगा भरपूर लाभ

चंदौली जिले के कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी जनपद में कुपोषण रहित गांव बनाएंगे। इसके तहत आने वाले दिनों में सर्वे कर गांव का चयन किया जाएगा। चयनित गांव में मृदा की स्थिति, पशुपालन, बागवानी आदि का आकलन करने के साथ ग्रामीणों को उत्तम खेती के लिए प्रेरित किया जाएगा। साथ ही ग्रामीणों के स्वास्थ्य को भी जांच कराई जाएगी, ताकि उन्हें कुपोषण रहित बनाया जा सके।

आपको बता दें कि दरअसल, कृषि प्रधान जनपद में रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक प्रयोग के कारण मृदा की सेहत दिन- प्रतिदिन खराब होती जा रही है। इससे उत्पादकता में तो कमी आ ही रही हैं, लोगों के स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा।

ऐसे में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के साथ श्रीअन्न की खेती को अपनाने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। हाल के दिनों में प्रचार प्रसार के माध्यम से जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर किसानों को जैविक खेती अपनाने के प्रति प्रेरित किया गया है, ताकि किसान रासायनिक मुक्त खेती को अपनाकर अपने जीवन को बेहतर बना सकें। अब कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी गांवों का सर्वे कर विशेष कार्यक्रम के जरिए कुपोषण रहित गांव बनाने की दिशा में कार्य करेंगे।

सुधारी जाएगी मृदा की सेहत
मृदा विज्ञानी डा. हनुमान पांडेय ने कहा कि कुपोषण रहित गांव के जरिए मृदा की सेहत सुधारने का विशेष प्रयास किया जाएगा। मिट्टी की जांच कर उसमें मौजूद पोषक तत्वों का आकलन किया जाएगा। जिन पोषक तत्वों की कमी होगी, उसे पूरा करने के लिए किसानों को जागरूक किया जाएगा। वागवानी अपनाने पर दिया गया वल उद्यान विज्ञानी डा. मनीष सिंह ने कहा कि आमतौर पर देखा जा रहा है कि अन्नदाता खेती के साथ बागवानी से दूर होते जा रहे हैं। ऐसे में उन्हें सब्जियों की उत्तम प्रकार की खेती की जानकारी तो दी ही जाएगी, साथ ही बागवानी लगाने के लिए भी प्रेरित किया जाएगा। इससे उनकी आय में भी वृद्धि होगी। किसानों को प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना चाहिए। इससे फसल की पैदावार ज्यादा होने की संभावना रहती है।

पशुपालन पर देंगे बल

केवीके के पशुपालन विज्ञानी डा. प्रतीक सिंह ने कहा कि किसानों को खेती के साथ पशुपालन अपनाने पर बल दिया जाएगा, ताकि पशुओं के गोबर से उन्हें जैविक खाद तो मिलेगी ही दूध के जरिए पौष्टिक आहार भी मिलेगा। इसके लिए किसानों को प्रशिक्षित भी किया जाएगा।

इस संबंध में प्रभारी कृषि विज्ञान केंद डा. नरेंद्र रघुवंशी ने बताया कि केवीके के विज्ञानियों को कुपोषण रहित गांव बनाने के लिए सर्वे करने का निर्देश दिया गया है। इसके जरिए चयनित गांव में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इसमें मृदा की सेहत सुधारने को लेकर ठोस प्रयास किए जाएंगे।

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