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हादसे पर हादसे जारी : केवल मुआवजे का पहाड़ा रट रहे DFO साहब

हर बार वन विभाग की ओर से केवल औपचारिक जांच, कागज़ी कार्रवाई और मुआवज़े की बात होती है, लेकिन भविष्य में हमला न हो, इसके लिए अब तक कोई स्थायी रणनीति या समाधान सामने नहीं आया।
 

 जंगल में घूम रहे हैं कई खतरनाक भालू

DFO साहब कोई एक्शन लो केवल मुआवजे से नहीं बनेगी बात

कब रुकेगा जंगलों में हो रहा यह खूनी कहर

चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ में चंद्रप्रभा सेंचुरी के पास नरकटी का जंगल अब जानलेवा बन गया है, और ग्रामीण हर दिन अपनी जान जोखिम में डालकर जंगल में कदम रख रहे हैं। बीते एक साल में आधा दर्जन से अधिक बार भालू ग्रामीणों पर हमला कर चुका है, लेकिन वन विभाग की तरफ से अब तक न कोई सुरक्षा इंतजाम किए गए और न ही स्थायी समाधान की पहल। ताजा घटना में विमलेश पाल नामक युवक पर उस वक्त भालू ने जानलेवा हमला कर दिया जब वह रोज की तरह अपने घर से करीब 500 मीटर दूर बकरी चरा रहा था।

झाड़ियों से अचानक निकला भालू
बताया जा रहा है कि भालू अचानक झाड़ियों से निकलकर विमलेश पर झपटा। नुकीले पंजों से उसके चेहरे को फाड़ डाला, दांतों से शरीर के कई हिस्सों को नोच डाला। युवक के बाएं हाथ, पैर और शरीर पर गहरे घाव बने हैं। युवक की चीख-पुकार सुनकर ग्रामीण लाठी-डंडों से दौड़े और किसी तरह भालू को भगाकर घायल को बचाया। मौके पर पहुंची 108 एंबुलेंस ने उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नौगढ़ पहुंचाया, जहां से हालत गंभीर देख कर ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया गया।

 लगातार बढ़ते हमले पर वन विभाग मूकदर्शक 
1 साल में 5 हमले के बाद भी इलाके में एक पेट्रोलिंग टीम या पिंजरा तक नहीं लगाया गया। यह कोई पहली घटना नहीं है, बल्कि नरकटी और लौवारी कला के जंगलों में पिछले एक साल में कम से कम 5 हमले हो चुके हैं, और सभी मामलों में पीड़ितों को ट्रामा सेंटर भेजना पड़ा।

* 7 फरवरी – लौवारी कला के लालबरत कोल (28 वर्ष) पर हमला, ट्रामा सेंटर रेफर
* 4 मार्च – सरसो काटते वक्त रामभवन पर हमला, गंभीर घायल
* 4 मई – अनीता देवी अपनी देवरानी के साथ लकड़ी लेने गई थी, बुरी तरह घायल
* 17 जुलाई 2023 – रामकृत कोल बकरी चरा रहे थे, झाड़ियों से निकला भालू हमला कर दिया
* 22 जून 2025 – विमलेश पाल पर ताजा हमला


भालू हटाओ या जंगल जाना बंद 
 "जब सबको मालूम है कि इस इलाके में भालू लगातार हमला कर रहा है, तो अब तक पिंजरा क्यों नहीं लगाया गया? गश्ती दल क्यों नहीं तैनात हुए? क्या जानें इतनी सस्ती हो गई हैं?"

ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही भालू को पकड़ा नहीं गया या सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए गए, तो वे सामूहिक रूप से जंगल जाना बंद कर देंगे और प्रदर्शन करेंगे।

सिर्फ पंचनामा और मुआवज़े से नहीं बचेगी जान 
हर बार वन विभाग की ओर से केवल औपचारिक जांच, कागज़ी कार्रवाई और मुआवज़े की बात होती है, लेकिन भविष्य में हमला न हो, इसके लिए अब तक कोई स्थायी रणनीति या समाधान सामने नहीं आया।

क्या वन विभाग किसी बड़ी जनहानि का इंतजार कर रहा है? 
नरकटी जंगल में हर दो-तीन महीने पर भालू का हमला आम बात हो गई है। अब वक्त आ गया है कि वन विभाग सिर्फ फाइलें न चलाए, बल्कि जमीन पर सख्त और सक्रिय कार्रवाई करे। नहीं तो ‘जंगल में भालू नहीं, मौत घूम रही है’

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