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दैवीय आपदा प्रबंधन जांच समिति की मीटिंग, वाराणसी सर्किट हाउस में पेश किया गया ब्योरा

आगामी मानसून के मद्देनज़र संभावित बाढ़, जलजमाव, बिजली आपूर्ति में बाधा, महामारी जैसे खतरों से निपटने के लिए पूर्व तैयारियों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता बताई गई।
 

सभापति अवनीश कुमार सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक

चंदौली जिले की आपदा प्रबंधन तैयारियों की हुई गहन समीक्षा

डीएम चंद्रमोहन गर्ग एवं सीडीओ जगत साईं ने किया समिति का स्वागत

उत्तर प्रदेश विधान परिषद की दैवीय आपदा प्रबंधन जांच समिति की जनपद चंदौली से संबंधित बैठक वाराणसी सर्किट हाउस में संपन्न हुई। यह बैठक जनपद की आपदा प्रबंधन व्यवस्था की समीक्षा तथा आगामी संभावित प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की तैयारी के उद्देश्य से आयोजित की गई थी। बैठक की अध्यक्षता समिति के माननीय सभापति अवनीश कुमार सिंह द्वारा की गई। उनके साथ समिति के सदस्य  अंगद कुमार सिंह एवं पद्म सेन चौधरी भी उपस्थित रहे।

Meeting of Natural Disaster

बैठक में जिलाधिकारी चंद्रमोहन गर्ग एवं मुख्य विकास अधिकारी आर जगत साईं सहित जनपद स्तर के सभी प्रमुख अधिकारी मौजूद थे। बैठक की शुरुआत जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी द्वारा समिति के सदस्यों का पुष्पगुच्छ एवं अंगवस्त्र भेंट कर स्वागत करने के साथ हुई।

बैठक के दौरान पूर्व में लागू आपदा प्रबंधन योजनाओं की विस्तृत समीक्षा की गई। यह सुनिश्चित करने पर बल दिया गया कि पिछले वर्षों में आपदा के दौरान प्राप्त अनुभवों से सबक लेते हुए योजनाओं को अद्यतन किया जाए।
आगामी मानसून के मद्देनज़र संभावित बाढ़, जलजमाव, बिजली आपूर्ति में बाधा, महामारी जैसे खतरों से निपटने के लिए पूर्व तैयारियों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता बताई गई।

Meeting of Natural Disaster

समिति ने स्पष्ट निर्देश दिए कि राहत एवं बचाव कार्यों में समयबद्ध और प्रभावी प्रतिक्रिया दी जाए। इसके लिए सभी विभागों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित किया जाए। आवश्यक संसाधनों जैसे नावें, राहत सामग्री, प्राथमिक उपचार की किट, संचार उपकरण, जनरेटर आदि की पूर्व व्यवस्था सुनिश्चित करने पर बल दिया गया।

साथ ही जनसामान्य को आपदा के समय की जाने वाली सावधानियों, बचाव उपायों एवं सरकारी मदद की जानकारी देने हेतु जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए गए। विशेष रूप से स्कूलों, पंचायत भवनों और राशन दुकानों की दीवारों पर आपदा प्रबंधन से संबंधित योजनाओं एवं आपातकालीन संपर्क नंबरों का प्रचार-प्रसार करने पर जोर दिया गया।

Meeting of Natural Disaster

समिति ने अधिकारियों से आग्रह किया कि संवेदनशील एवं अति संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान कर वहाँ विशेष निगरानी रखी जाए। जलभराव वाले क्षेत्रों में जलनिकासी की व्यवस्था समय रहते सुनिश्चित की जाए। इसके अलावा, वाटर हार्वेस्टिंग जैसे पर्यावरणीय उपायों को भी प्राथमिकता देने की बात कही गई ताकि जल संकट की स्थिति से निपटा जा सके।

विद्यालयों में आपदा प्रबंधन से संबंधित प्रशिक्षण सत्र एवं मॉक ड्रिल आयोजित करने की सिफारिश की गई, जिससे बच्चों एवं शिक्षकों में आपदा के समय सजगता एवं आत्मरक्षा की भावना विकसित हो सके।

बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि प्रत्येक विभाग आपदा से संबंधित अपनी कार्ययोजनाएं तैयार कर उन्हें समय-समय पर अद्यतन करता रहे। इसके लिए सभी विभागों को एक साझा पोर्टल या प्लेटफॉर्म पर योजनाएं अपलोड करने की प्रक्रिया विकसित करने का सुझाव दिया गया।

Meeting of Natural Disaster

बैठक में उपस्थित प्रमुख अधिकारियों में अपर जिलाधिकारी (न्यायिक) रतन वर्मा, उप जिलाधिकारी अविनाश कुमार, अधिशासी अभियंता पीडब्ल्यूडी राजेश कुमार, अधिशासी अभियंता सिंचाई विभाग सर्वेश चंद्र सिंहा, प्रभागीय वनाधिकारी दिलीप श्रीवास्तव, उपनिदेशक कृषि, जिला पंचायत राज अधिकारी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक तथा जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी प्रमुख रूप से शामिल रहे।

इस बैठक के माध्यम से समिति ने स्पष्ट किया कि आपदा प्रबंधन न केवल प्रशासन की जिम्मेदारी है, बल्कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति की सहभागिता भी आवश्यक है। जागरूकता, तत्परता और आपसी समन्वय ही आपदा के प्रभाव को कम कर सकते हैं।

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