बंदरगाह और फ्रेट विलेज के लिए उजड़ रहा है मिल्कीपुर, डीएम से लोगों ने लगायी एक और गुहार
गंगा के किनारे मिल्कीपुर में बन रहा है बंदरगाह
ताहिरपुर मिल्कीपुर के लोगों ने मांगी जिलाधिकारी से मदद
पुस्तैनी पेशा व जमीन नहीं छोड़ना चाहते हैं गांव के लोग
चंदौली जिले में गंगा के किनारे मिल्कीपुर में बन रहे बंदरगाह तथा फ्रेट विलेज के संदर्भ में गांव से एक प्रतिनिधि मंडल जिलाधिकारी चंदौली से मिला और एक पत्रक के माध्यम से जिलाधिकारी के समक्ष अपनी बातों को रखा। साथ ही साथ मामले में मदद की गुहार लगायी।
गांव के लोगों ने पत्रक के माध्यम से कहा कि हम सभी लोग ग्राम ताहिरपुर मिल्कीपुर (पोस्ट–नियामताबाद, तहसील–मुगलसराय) के निवासी हैं और अत्यंत व्यथित मन से यह पत्र आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं कि हमारे गाँव की ज़मीन को बंदरगाह व फ्रेट विलेज जैसी औद्योगिक परियोजना हेतु अधिग्रहित किए जाने की योजना बन रही है। यह जानकारी जब हमें मिली तो पूरे गाँव में चिंता, भय और अनिश्चितता का माहौल फैल गया। लोग अपने विस्थापन को लेकर परेशान हैं।

लोगों ने जिलाधिकारी से कहा कि आप जनपद के संरक्षक हैं और हम आपके सामने किसी प्रशासनिक अपील से अधिक एक मानवीय करुणा के भाव से यह अनुरोध कर रहे हैं। यह ज़मीन हमारे लिए सिर्फ मिट्टी नहीं है, यह हमारी रगों में बहती परंपरा, संस्कृति और अस्तित्व की पहचान है। इसलिए हम लोगों को उजड़ने से बचाया जा सके।
1. आजीविका का एकमात्र सहारा:
हमारे गाँव की लगभग 70% आबादी 'माझी' समाज से आती है, जिनकी पीढ़ियों से गंगा के किनारे मछली पकड़कर, नाव चला कर, और अन्य जल संसाधनों पर आधारित कार्यों से जीविका चलती रही है। अगर यह ज़मीन चली गई, तो केवल हमारी खेती नहीं, बल्कि हमारे जीवन का एक पूरा आधार हमसे छिन जाएगा।

2. सांस्कृतिक और धार्मिक आस्था का केंद्र:
इस ज़मीन पर हमारे मंदिर, मस्जिद, श्मशान घाट, कब्रिस्तान जैसे अनेक पवित्र स्थल हैं। यह केवल ईंट-पत्थर के ढांचे नहीं, बल्कि हमारे पुरखों की स्मृति, हमारी आस्था और हमारी परंपरा की आत्मा हैं। क्या कोई भी विकास ऐसा हो सकता है, जो हमारी आत्मा को कुचलकर खड़ा किया जाए?
3. वैकल्पिक ज़मीन की उपलब्धता:
हमें जानकारी है कि यह परियोजना पहले राल्हूपुर में प्रस्तावित थी, जहाँ इस उद्देश्य के लिए उपयुक्त ज़मीनें उपलब्ध हैं। यदि सरकार की मंशा विकास है, तो क्या यह विकास हमारी बुनियादी ज़रूरतों, आजीविका और सांस्कृतिक अस्तित्व की बलि देकर ही संभव है?
महोदय हम लोग हम विकास के विरोधी नहीं हैं। परंतु ऐसा विकास जो गाँव के मूल अस्तित्व को ही मिटा दे, वह विनाश से कम नहीं। हम हाथ जोड़कर आपके समक्ष केवल यही प्रार्थना करते हैं कि हमारी ज़मीन को अधिग्रहण से मुक्त रखा जाए। हमें हमारे पूर्वजों की स्मृति, हमारी ज़मीन, और हमारे बच्चों का भविष्य बचा लेने दें।
साथ ही आपसे निवेदन है कि एक बार स्वयं गाँव आकर ग्रामीणों से बात करें, उनकी आँखों में देखिए आपको वहाँ आँसू, भय और असहायता दिखेगी। कृपया हमारी गुहार को सुना जाए और हमारी पुश्तैनी ज़मीन को हमारी पीढ़ियों से न छीना जाए। आपसे करुणा, संवेदनशीलता और न्याय की आशा में अपील करने आए हैं, ताकि गांव के लोगों को कहीं और न जाना पड़े।
जिलाधिकारी से मुलाकात करने वालों में प्रमुख रूप से ईशान मिल्की, मास्टर विद्याधर, अखिलेश सिंह, वीरेंद्र साहनी, चंद्र प्रकाश मौर्य, विनय मौर्य मौजूद रहे।
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