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महिला बाबू अनीता देवी के भरोसे चल रहा है पूरा खनन विभाग, फरार हैं अधिकारी व कर्मचारी ​​​​​​​

स्थानीय स्तर पर चर्चाओं का बाजार गर्म है कि खनन अधिकारी की जल्द गिरफ्तारी होगी या फिर वे तबादला कराकर जिले से बाहर चले जाएंगे।
 

खनन अधिकारी गुलशन कुमार समेत 6 कर्मियों पर दर्ज है  मुकदमा

11 दिनों से खनन कार्य ठप होनें से खनन माफियाओं की है चांदी

डीएम कर रहे हैं विभाग की निगरानी

चंदौली जिले में खनन विभाग इन दिनों गहरे संकट में है। 23 जून 2025 को खनन अधिकारी गुलशन कुमार सहित विभाग के 6 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के बाद से पूरा विभाग अस्त-व्यस्त हो गया है। मुकदमा गिट्टी से लदी ट्रकों से अवैध वसूली, चालान करने और मारपीट करने के आरोप में दर्ज किया गया था। मुकदमा दर्ज होने के बाद से ही गुलशन कुमार समेत उनका पूरा स्टाफ फरार चल रहा है और उनके मोबाइल फोन भी बंद हैं।

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खनन विभाग के कार्यालय में सन्नाटा पसरा हुआ है। अधिकारी की कुर्सी खाली है और अन्य दो बाबुओं की मौजूदगी भी नहीं है। विभाग में तैनात महिला लिपिक अनीता देवी का कहना है कि उनका भी किसी से संपर्क नहीं हो पा रहा है और अधिकारी कहां हैं, इसकी कोई जानकारी नहीं है। नतीजतन, पिछले 11 दिनों से जिले में खनन से जुड़े तमाम कार्य बाधित हैं। जरूरी फाइलें लंबित पड़ी हैं और आम जनता व खनन व्यवसाय से जुड़े लोग परेशान हैं।

इस स्थिति का लाभ खनन माफिया जमकर उठा रहे हैं। खनन पर नियंत्रण नहीं होने के कारण कई जगहों से अवैध खनन की सूचनाएं मिल रही हैं। स्थानीय स्तर पर चर्चाओं का बाजार गर्म है कि खनन अधिकारी की जल्द गिरफ्तारी होगी या फिर वे तबादला कराकर जिले से बाहर चले जाएंगे।

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इस पूरे मामले को लेकर जिला प्रशासन भी सक्रिय हो गया है। जिलाधिकारी चंद्र मोहन गर्ग ने कहा है कि विभाग के उच्च अधिकारियों से संपर्क कर वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है ताकि जिले में खनन कार्य फिर से सामान्य हो सके। उन्होंने यह भी बताया कि गुलशन कुमार की वर्तमान स्थिति की जानकारी के लिए विभाग से संपर्क किया जा रहा है, और आवश्यक कार्यवाही जल्द की जाएगी।

खनन जैसे संवेदनशील क्षेत्र में अधिकारियों की जिम्मेदारी अत्यधिक होती है। जब विभाग का पूरा संचालन ठप हो जाए और अवैध गतिविधियों को खुली छूट मिल जाए, तो यह न केवल शासन व्यवस्था के लिए चुनौती है बल्कि कानून-व्यवस्था के लिए भी खतरा है। यह घटना जिले में सरकारी नियंत्रण की गंभीर कमी को उजागर करती है।

अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि जिला प्रशासन और खनन विभाग मिलकर इस स्थिति से कैसे निपटते हैं। क्या फरार अधिकारियों की गिरफ्तारी होगी या विभागीय कार्रवाई कर उन्हें बर्खास्त किया जाएगा? फिलहाल खनन माफियाओं की चांदी कट रही है, लेकिन यदि कार्रवाई समय पर नहीं हुई, तो यह स्थिति और गंभीर हो सकती है।

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