चंदौली समीक्षा बैठक में बंद दरवाजों के पीछे की कहानी: पारदर्शिता पर उठे सवाल

प्रभारी मंत्री संजीव गौड़ की अध्यक्षता में हुई बैठक
पत्रकारों को बैठक से बाहर रखने पर मचा बवाल
मनरेगा घोटाले पर चुप्पी, सवालों से बचते नजर आए मंत्री
चन्दौली ज़िले में विकास कार्यों की समीक्षा करने पहुंचे उत्तर प्रदेश सरकार के प्रभारी मंत्री संजीव गौड़ की बैठक ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह बैठक कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित की गई थी, जिसमें जिला प्रशासन के उच्च अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक को पूरी तरह से बंद कमरे में आयोजित किया गया, जहाँ पत्रकारों को प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई, जिससे पारदर्शिता पर सवाल उठना स्वाभाविक है।

प्रभारी मंत्री को अधिकारियों ने जिले में चल रहे विकास कार्यों की विस्तृत जानकारी दिया। योजनाओं की प्रगति, निर्माण कार्यों की स्थिति, तथा विभिन्न सरकारी परियोजनाओं पर चल रही गतिविधियों की जानकारी दी गई। हालांकि, यह जानकारी केवल सरकारी दस्तावेजों और प्रस्तुतियों तक ही सीमित रही।

बैठक में पत्रकारों को शामिल न किए जाने को लेकर असंतोष देखने को मिला। पत्रकारों का आरोप है कि यह बैठक केवल दिखावे के लिए थी और वास्तविक स्थिति को छुपाने की कोशिश की गई। खासकर मनरेगा योजना में सामने आए भ्रष्टाचार के मामलों पर प्रभारी मंत्री ने कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया केवल अपने विकास कार्यों की बाते करते रहे,पत्रकारों को सिर्फ तयशुदा बयान दिए गए, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि भ्रष्टाचार के सवाल से बचने की कोशिश की गई।
प्रभारी मंत्री संजीव गौड़ ने बैठक के बाद मीडिया को केवल सरकार की उपलब्धियाँ गिनाईं और कोई और प्रश्न का उत्तर देना मुनासिब नहीं समझा। लोगों का मानना है कि यदि विकास कार्यों में पारदर्शिता होती, तो मीडिया को बैठक से दूर नहीं रखा जाता।
चन्दौली में आयोजित यह समीक्षा बैठक अब चर्चा का विषय बन चुकी है, जहाँ जनता को जवाब देने की बजाय जिम्मेदार लोग जवाब देने से बचते नजर आए। यह रवैया विकास की सच्चाई को सामने लाने के बजाय उसे छुपाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
बैठक में राज्यसभा सांसद साधना सिंह, सैयदराजा के विधायक सुशील सिंह, मुगलसराय के विधायक रमेश जायसवाल, जिलाध्यक्ष काशी नाथ सिंह, जिलाधिकारी चंद्र मोहन गर्ग, मुख्य विकास अधिकारी आर जगत साई सहित जिला स्तरीय अधिकारी मौजूद रहे।
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