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मोहर्रम की नौंवी पर जिले में 366 स्थानों पर ताजिए, गूंजती रहीं 'या अली-या हुसैन' की सदाएं

किदवई नगर में ताजिए बैठाने के बाद अलम का भव्य जुलूस निकाला गया, जो नगर भ्रमण करता हुआ स्वर्गीय डा. अब्दुल्ला मुजफ्फर के अजाखाना-ए-रज़ा तक पहुंचा।
 

जिलेभर में गम और श्रद्धा के साथ मोहर्रम की नौंवी मनाई गई

366 स्थानों पर ताजिए बैठाकर की गई इमाम हुसैन को श्रद्धांजलि

अखाड़ेदारों ने अलम उठाकर दिखाया पारंपरिक युद्ध कौशल

चंदौली जिले में मोहर्रम की नौंवी को जिलेभर में गम और श्रद्धा का माहौल देखने को मिला। शनिवार को जिले के 366 स्थानों पर ताजिए बैठाए गए, जो देर रात तक ‘या अली-या हुसैन’ की सदाओं के साथ धार्मिक आस्था और परंपरा के प्रतीक बने रहे। अंजुमनों द्वारा इमाम हुसैन की शहादत की याद में मातम, मर्सिया और नौहाख्वानी की गई, वहीं अखाड़ेदारों ने अलम उठाते हुए अपने पारंपरिक युद्धकला का प्रदर्शन कर श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।

रविवार देर शाम तक सभी ताजिए कर्बला में दफन किए जाएंगे। प्रशासन की ओर से सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की टीमें लगातार गश्त करती रहीं, जिससे शांतिपूर्ण माहौल बना रहा।

Moharram and Tazia

पैगंबर हजरत मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन की कर्बला में दी गई कुर्बानी को याद करते हुए मोहर्रम का यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। बताया गया कि हक और इंसाफ के लिए इमाम हुसैन ने अपने 72 साथियों के साथ कर्बला के मैदान में शहादत दी थी। इसी की याद में हर वर्ष मोहर्रम के मौके पर ताजिए बैठाए जाते हैं और कर्बला का मंजर लोगों के सामने प्रस्तुत किया जाता है।

शनिवार शाम से ही जिले के विभिन्न मोहल्लों, कस्बों और गांवों में ताजिए स्थापित किए गए। इस दौरान अंजुमन के लोगों ने गमजदा माहौल में मातम किया और नौहाख्वानी व मर्सिया के माध्यम से इमाम हुसैन की याद में दर्द भरे नग्मे पढ़े। कर्बला के किस्से सुनकर कई लोगों की आंखें नम हो गईं।

किदवई नगर में ताजिए बैठाने के बाद अलम का भव्य जुलूस निकाला गया, जो नगर भ्रमण करता हुआ स्वर्गीय डा. अब्दुल्ला मुजफ्फर के अजाखाना-ए-रज़ा तक पहुंचा। वहां अखाड़ेदारों को शरबत पिलाया गया और विश्राम के बाद जुलूस चौक तक पहुंचा। चौक पर गदका, लकड़ी, बनेठी और चक्कर जैसे पारंपरिक हथियारों के साथ युवाओं ने हैरतअंगेज प्रदर्शन किया।

पुरानी बाजार समेत अन्य मोहल्लों में भी युवाओं ने अपने हुनर से लोगों को चौंका दिया। जुलूसों में अनुशासन और धार्मिक समर्पण का अद्भुत संगम देखने को मिला।

आज रविवार को सभी ताजिए स्थानीय कर्बला में सुपुर्द-ए-खाक किए जाएंगे, जिसके साथ मोहर्रम का यह सिलसिला सम्पन्न होगा। प्रशासन ने श्रद्धालुओं से सहयोग और शांति बनाए रखने की अपील की है।

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